डॉ ली वेनलियांग का नाम याद है? ये चीन के उन चंद डॉक्टर्स में से एक थे, जिन्होंने चीन सहित पूरे विश्व को वुहान वायरस की भयावहता के बारे में सचेत करने का प्रयास किया था। पर उल्टे चीन की दमनकारी कम्युनिस्ट पार्टी ने उन्हें इतना सताया कि अन्त में वे उसी बीमारी से ग्रस्त होकर परलोक सिधार गए। लगता है अब महाराष्ट्र में भी यही घटनाक्रम दोहराया जा रहा है। हाल ही में तबलीगी जमात के मुखिया पर निशाना साधने के लिए एक डॉक्टर के विरुद्ध मुकदमा चलाने का निर्देश दिया गया है। ये घटना औरंगाबाद की है, जहां एक डॉक्टर ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट पर तब्लीगी जमात के प्रमुख मौलाना साद को आतंकवादी कहा था। इसके पीछे औरंगाबाद की पुलिस ने इस डॉक्टर पर मुकदमा दर्ज किया है।
एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार डॉ संभाजी गोविंद चिताले के विरुद्ध मौलाना साद को आतंकवादी कहने के लिए गिरफ्तार किया गया है और उन्हें नोटिस थमाया गया है।
Worst part is that police released name and work details of the doctor to media, and media published it too. This when a guy has been killed for comments. They could have held back personal info and just informed about the case if intention was to warn people. https://t.co/3yZeigncE9
— Rahul Roushan (@rahulroushan) April 7, 2020
दरअसल, डॉ संभाजी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर मौलाना साद की फोटो पोस्ट करते हुए लिखा, “ये व्यक्ति मोस्ट वॉन्टेड है। यदि आपको ये आतंकवादी कहीं दिखे, तो स्थानीय पुलिस को अवश्य सूचित करें।”
बता दें कि तब्लीगी जमात के एक विशाल जलसे को आयोजित कराने वाले मौलाना साद अभी वांछित अपराधी है। इसी के जलसे के कारण भारत में वुहान वायरस के मामलों में भयंकर उछाल आया, जिसका सर्वाधिक प्रभाव तेलंगाना, तमिलनाडु, दिल्ली, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में दिखाई दे रहा है।
महाराष्ट्र की हालत इस समय बहुत खस्ता है। पूरे देश में सर्वाधिक मामले इसी राज्य से निकलते हुए दिखाई दिए हैं। उद्धव ठाकरे के सरकार की घोर लापरवाही के कारण महाराष्ट्र भारत का हुबेई बनने की ओर अग्रसर है। परन्तु यहां के मुख्यमंत्री को राज्य की सुरक्षा से ज़्यादा अपनी सेक्यूलर छवि बरकरार रखने की पड़ी है, जिसके लिए वे किसी भी हद तक जाने को तैयार है।
यदि आपको विश्वास नहीं होता तो इन उदाहरणों को देख लीजिए। हाल ही में महोदय ने एक भाषण दिया था, जिसमें उन्होंने तबलीगी जमात को निशाना बनाने वाली जनता को बदनाम करने का भी प्रयास किया। इसके तुरंत बाद ही बॉलीवुड के कुछ स्वघोषित सामाजिक ठेकेदारों ने उद्धव की तारीफ करनी शुरू कर दी। स्वरा भास्कर से लेकर जावेद अख्तर, यहाँ तक कि कैटरीना कैफ और सोनम कपूर भी उद्धव के इस बचकाने बयान की तारीफ करने लगे और इसके बारे में इन्स्टाग्राम पर स्टोरी डालने लगे।
इसके अलावा जब बीएमसी ने ये दिशानिर्देश जारी किया कि संप्रदाय कोई भी हो, सभी मृत मरीजों के शवों का दाह संस्कार किया जाएगा, तो फिर महा विकास आघाड़ी ने एड़ी चोटी का जोर लगवा कर इस निर्णय को हटवा दिया। कुछ भी हो, पर एजेंडा ऊंचा रहे हमारा ही इस सरकार का मंत्र है।
वैसे भी, आखिर उस डॉक्टर ने गलत क्या कहा था? जिस समय सोशल distancing ही इस महामारी से निपटने का एकमात्र कारगर उपाय हो, वहां विशाल भीड़ इकट्ठा कर देश की सुरक्षा को खतरे में डालने वाला व्यक्ति आतंकी नहीं तो और क्या है?
परन्तु उद्धव ठाकरे की सरकार इस खेल में अकेली नहीं है। ममता बनर्जी की तृणमूल सरकार ने भी अभी कुछ दिन पहले एक डॉक्टर को हिरासत में लिया था, क्योंकि उसने डॉक्टरों को दिए जाने वाले घटिया सुरक्षा उपकरण पर सवाल उठाए थे। लगता है ठाकरे सरकार भी इसी नक्शे कदम पर चल रही है, और शायद डॉ संभाजी चिताले का भी वहीं हाल हो सकता है, जो डॉ ली वेंलियांग का हुआ था।