पिछले कुछ दिनों से जिस प्रकार से कोरोना ने अपना तांडव मचाया है और WHO हाथ पर हाथ धरे बैठा रहा है, उससे एक बात तो स्पष्ट हो गयी कि यह वैश्विक संगठन किसी काम का नहीं है। यही नहीं यह संगठन यह भी कहता आया है कि कोरोना से बचने के लिए सभी को मास्क पहनने की जरूरत नहीं है। लेकिन अब यह रिपोर्ट आर ही है कि जिन देशों ने अपने नागरिकों के लिए मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया उन देशों में कोरोना कम फैला है।
डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देशों के अनुसार, वायरस से संक्रमित लोगों को मास्क पहनने की जरूरत होती है, लेकिन सामान्य लोगों को मास्क पहनने की जरूरत नहीं होती है। लेकिन यह दिशानिर्देश, WHO के कई अन्य दिशानिर्देशों की तरह, अतार्किक और सिर्फ ज्ञान योग्य है। जबकि तथ्य यह है कि asymptotic patients इस बीमारी को फैला रहे हैं। इस वजह से मास्क न पहनने की तुलना में इसे पहनना कहीं अधिक सावधानी भरा है।
अब कई शोध प्रकाशनों ने यह स्पष्ट किया है कि संक्रामक रोग को नियंत्रित करने के लिए मास्क वास्तव में एक प्रभावी उपकरण है। साथ ही, चेक गणराज्य, स्लोवाकिया, जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, हांगकांग जैसे देशों के डेटा इस दावे का समर्थन करते हैं। जिन देशों ने मास्क को अनिवार्य किया जैसे चेक गणराज्य, स्लोवाकिया और जिन देशों ने सार्वजनिक रूप से मास्क वितरित किए, ताकि कोई बिना मास्क के बाहर न आए, उनमें संक्रमण की दर बहुत कम है।
इसी पर ट्वीट करते हुए नसीम निकोलस तालेब ने कहा कि, “यह अभी तक का सबसे मजबूत statistical association है जिसे मैंने वायरस के संबंध में देखा है। मास्क पहनें, दूसरों को मास्क पहनने के लिए बाध्य करें, और याद रखें कि WHO criminally incompetent हैं। मैं फिर से दोहराता हूँ कि @WHO criminally incompetent है। जब तक आपके पास N95 मास्क न हो, लिफ्ट, बस इत्यादि में शामिल न हों।” इस तर्क के साथ उन्होंने एक ग्राफिक भी शेयर किया था जो स्पष्ट रूप से इस दावे का समर्थन करता है।
This is the strongest statistical association I've seen w/ respect to the virus. Wear a mask, mandate others to wear masks, & remember that @WHO is criminally incompetent. To repeat:@WHO is criminally incompetent.
PS-Don't get into elevators, buses, etc. unless your mask in N95 https://t.co/ZCkl3hql9K
— Nassim Nicholas Taleb (@nntaleb) March 31, 2020
हालांकि, अब तक, WHO यही कहता आया है कि जो लोग संक्रमित नहीं हैं, उनके लिए मास्क आवश्यक नहीं है।
डब्ल्यूएचओ स्वास्थ्य आपात स्थिति कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक डॉ माइक रेयान ने स्विट्जरलैंड के जिनेवा में एक मीडिया ब्रीफिंग में कहा था कि, “यह बताने के लिए कोई विशिष्ट प्रमाण नहीं है कि बड़े पैमाने पर लोगों द्वारा मास्क पहनने का कोई संभावित लाभ है। वास्तव में, मास्क पहनने के दुरुपयोग या इसे ठीक से फिट करने के विपरीत सुझाव देने वाले कुछ सबूत हैं।
अपने बचाव के लिए, इस संगठन ने कहा था कि मास्क की वैश्विक कमी है और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए उपकरणों को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है।
रयान ने मास्क और अन्य चिकित्सा आपूर्ति के बारे में कहा था,”यह भी मुद्दा है कि हमारे पास मास्क की एक बड़ी वैश्विक कमी है।” उन्होंने आगे कहा था, “अभी इस वायरस से सबसे ज्यादा खतरा उन लोगों को है, जो स्वास्थ्य कार्यकर्ता हैं, जो हर दिन हर सेकंड में वायरस के संपर्क में आते हैं।”
लेकिन WHO द्वारा यह तर्क और तथ्य कच्चे घड़े के समान फुट जाते हैं क्योंकि मास्क का मूल प्रोटोटाइप, जिसके लिए भारत सरकार ने कीमत 10 रुपये रखी है, घर पर भी बनाया जा सकता है। न्यूयॉर्क टाइम्स जैसे मीडिया संगठन इस पर लेख तक प्रकाशित कर चुका है कि घर पर मास्क कैसे बना सकते हैं।
हालांकि, WHO के मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन, व्यक्तिगत तौर पर मास्क के समर्थन में ट्वीट किया था।
Interview with George Gao, head of China CDC. Not wearing masks to protect against coronavirus is a ‘big mistake,’ top Chinese scientist says https://t.co/FUIK9KuXod
— Soumya Swaminathan (@doctorsoumya) March 29, 2020
लेकिन फिर भी WHO की राजनीति इस संगठन को सार्वजनिक रूप से यह स्वीकार करने की अनुमति नहीं दे रही है कि संक्रमण को रोकने के लिए मास्क आवश्यक है।
डब्ल्यूएचओ आपराधिक रूप से इतना अक्षम है कि वह अपनी सार्वजनिक छवि को बनाए रखने के लिए लोगों के जीवन को जोखिम में डालने के लिए तैयार है। संगठन पर फिलहाल प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए, क्योंकि अभी तक, इसने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में अच्छे से अधिक नुकसान पहुंचाया है।