अगर आपको यह लग रहा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन यानि WHO ने अब चीन की चापलूसी करना बंद कर दिया है, तो आप बहुत बड़े भ्रम में हैं। दरअसल, चीन की चाटुकारिता करने वाले WHO ने अब चीन को खुश करने के लिए भारत के खिलाफ बड़ा राजनीतिक कदम उठाया है।
दरअसल, WHO ने हाल ही में अपनी वेबसाइट पर एक MAP प्रकाशित किया जिसमें भारत के लद्दाख के अक्साई चिन हिस्से को चीन का हिस्सा दिखाया गया है। इतना ही नहीं, WHO के इस map में भारत के अन्य हिस्सों और जम्मू-कश्मीर राज्य को अलग-अलग रंगों से भरकर कर दिखाया हुआ है। कोरोना पर पहले ही चीन की तरफदारी करने के आरोप झेल रहे WHO का यह कदम भी चीन को खुश करने के लिए ही उठाया गया होगा।
World Health Organization (WHO) latest map has shown India's Laddakh region (Aksai-Chin) as Chinese territory.
Also, It is the first time that Jammu & Kashmir and the rest of India are depicted in different colors. #WHO pic.twitter.com/il75U46Cxo
— Vikrant Singh (@VikrantThardak) April 30, 2020
WHO का यह नक्शा UN के अन्य नक्शों से भी भिन्न है जहां सिर्फ POK के हिस्से को विवादित क्षेत्र की श्रेणी में रखा जाता था, लेकिन यह पहली बार हो रहा है कि किसी UN की बॉडी ने भारत के अक्साई चिन हिस्से को चीन का हिस्सा ही घोषित कर दिया हो। इससे स्पष्ट हो गया है कि अब WHO पर चीन का प्रभाव इस कदर तक बढ़ गया है कि अब चीन इसके माध्यम से अपना राजनीतिक एजेंडा आगे बढ़ा रहा है।
पाकिस्तान ने वर्ष 1960 में POK के एक हिस्से को चीन को दान कर दिया था, इसके अलावा चीन ने लद्दाख के 37 हज़ार square किमी हिस्से पर भी अवैध कब्जा किया हुआ है। हालांकि, इसके खिलाफ कभी भारत की पूर्ववर्ती सरकारों ने खुलकर आवाज़ नहीं उठाई। वहीं अब भारत सरकार ने कई बार चीन को यह आसान भाषा में समझा रखा है कि अक्साई चिन भारत का अटूट हिस्सा है और चीन ने उस पर अवैध कब्जा किया हुआ है।
यही कारण है कि अब चीन को अपना एजेंडा आगे बढ़ाने के लिए WHO का सहारा लेना पड़ रहा है। भारत को इसके लिए WHO की ना सिर्फ कड़ी निंदा करनी चाहिए बल्कि इसकी जांच भी की जानी चाहिए। WHO पर पहले ही कोरोना के मामले पर चीन का पक्ष लेने के आरोप लग चुके हैं, और इसी कारण से अमेरिका भी WHO की फंडिंग रोक चुका है। अब भारत को भी WHO को सबक सिखाने की ज़रूरत है।
चीन ने WHO के माध्यम से अपने आप को कोरोना की ज़िम्मेदारी से बचाने के लिए इस्तेमाल किया है, लेकिन अब इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि चीन ने WHO को अपने राजनीतिक फायदे के लिए भी इस्तेमाल किया है। WHO तो वही कह रहा है जो चीन उसे कहने के लिए बोल रहा है।
इसी का नमूना हमें तब देखने को मिला था जब WHO ने जनवरी महीने में चीन के अधिकारियों पर अंध विश्वास करते हुए यह दावा कर डाला था कि यह वायरस एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य में नहीं फैलता है, बाद में जब यह दावा कोरा झूठ साबित हुआ तो विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चीन के खिलाफ कोई जांच करने की ज़रूरत तक महसूस नहीं की, जिससे यह शक बढ़ जाता है कि WHO चीन की उंगलियों पर नाचने का काम तो नहीं कर रहा?
Preliminary investigations conducted by the Chinese authorities have found no clear evidence of human-to-human transmission of the novel #coronavirus (2019-nCoV) identified in #Wuhan, #China🇨🇳. pic.twitter.com/Fnl5P877VG
— World Health Organization (WHO) (@WHO) January 14, 2020
अमेरिका के कई सांसद अब WHO और चीन की मिलीभगत की जांच करने की बात कह चुके हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प WHO की फंडिंग रोकने की घोषणा कर चुके हैं। जापान के उप-प्रधानमंत्री WHO को चीनी स्वास्थ्य संगठन नाम से संबोधित कर चुके हैं। अब भारत को भी WHO के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने की ज़रूरत है।