4 कदम आगे, 5 कदम पीछे- भारत को ललकारने के बाद चीन बोला- “भाई हमें युद्ध नहीं लड़ना”

चीन, तुम्हारी रीढ़ की हड्डी तो बड़ी कमजोर निकली

लद्दाख मोदी

मई महीने की शुरुआत से ही चीन Line of Actual Control (वास्तविक नियंत्रण रेखा) पर गुंडागर्दी दिखाने से बाज नहीं आ रहा है। लद्दाख में उसके सैनिकों ने भारत की जमीन पर जमकर आक्रामकता दिखाई है।  इसके अलावा चीन ने अपने 5000 सैनिकों को भारत से सटे बॉर्डर पर भी भेज दिया है। हालांकि, भारत भी चीन का डटकर मुकाबला कर रहा है। भारत ने चीन को यह साफ शब्दों में कह दिया है कि भारत किसी भी कीमत पर अपनी जगह से पीछे नहीं हटेगा। भारत के कड़े रुख के बाद अब चीन की भाषा बदली बदली नजर आ रही है।

चीन की मीडिया ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक चीन का युद्ध लड़ने का कोई विचार नहीं है, और वह भारतीय मीडिया ही है जो मामले को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रही है। दरअसल, भारतीय मीडिया ने भारत तिब्बत सीमा पर बढ़ रहे विवाद को चीन द्वारा भारत से अपने नागरिकों को निकाले जाने की खबर से जोड़ कर दिखाया था, जिसका ग्लोबल टाइम्स ने अब विरोध किया है। ग्लोबल टाइम्स की भाषा से अब स्पष्ट होता जा रहा है कि चीन की हेकड़ी निकल चुकी है और वह भारत के साथ युद्ध करने के विचार को त्याग चुका है।

चीन की सरकारी मीडिया के मुताबिक “चीन द्वारा भारत से अपने नागरिकों को निकाला जाना एक सामान्य प्रक्रिया है। इसके बावजूद भारत के कुछ मीडिया चैनल जानबूझकर इसे भारत-लद्दाख सीमा पर बढ़ रहे विवाद से जोड़कर दिखा रहे हैं। यह बेहद गैर-जिम्मेदाराना है। इससे यह संदेश जा रहा है कि चीन बॉर्डर पर भारत के साथ युद्ध चाहता है, जो बिलकुल भी सही नहीं है”।

बता दें कि 5 मई को पहली बार भारत-तिब्बत सीमा पर भारत और चीन के सैनिकों में मुठभेड़ देखने को मिली थी, जिसमें दोनों ओर के कुछ जवानों को चोटें आई थी। उसके बाद से ही बॉर्डर पर चीन लगातार सैनिकों की संख्या को बढ़ा रहा है। हालांकि, भारत भी बॉर्डर पर mirror deployment कर रहा है, जिसके तहत चीन के मुताबिक ही भारत भी बॉर्डर पर सैनिकों की संख्या को बढ़ा रहा है। जब चीन ने बॉर्डर पर अपने हेलिकॉप्टर को भेजा था, तो भारत ने अपने fighter jets को भेजकर चीन को कडा संदेश दिया था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पहले ही कह चुके हैं कि चीन से कूटनीतिक माध्यमों के जरिये विवाद सुलझाने की कोशिश की जाएगी लेकिन इस दौरान भारतीय सैनिक एक इंच भी पीछे नहीं हटेंगे। इसके अलावा हाल ही में भारत के सेनाध्यक्ष MM नरवाने ने भी लद्दाख का दौरा कर जवानों का हौसला बढ़ाया था। शायद यही कारण है कि अब चीन के लद्दाख मामले पर सुर बदल गए हैं।

बॉर्डर पर चीन द्वारा इस प्रकार की आक्रामकता कोई नयी बात नहीं है। वर्ष 2017 में जब डोकलाम क्षेत्र में भी भारत और चीन के बीच ऐसे ही कई हफ्तों तक बॉर्डर विवाद देखने को मिला था। बाद में हार मानकर चीन की सेना को क्षेत्र से पीछे हटना पड़ा था। अब इस बात की पूरी संभावना है कि चीन अबकी बार भी ऐसे ही भारत को पीठ दिखा सकता है।

इस विवाद के समय पर भी गौर करना आवश्यक है। कोरोना काल में जब चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को कोविड बीमारी के घटिया मैनेजमेंट के लिए आंतरिक और बाहरी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है, तो ऐसे समय में चीनी सेना ने बॉर्डर पर भारत के साथ दबाव को बढ़ाया, इसी के साथ चीन ने हाँग-काँग में बेसिक लॉ बदलने का फैसला भी ऐसे वक्त में ही लिया है। जिनपिंग का विचार है कि उनके इस कदमों से ना सिर्फ पूरी दुनिया का ध्यान कोरोना से हटकर हाँग-काँग और भारत बॉर्डर पर चला जाएगा बल्कि चीन के अंदर भी जिनपिंग का विरोध कम हो जाएगा। हालांकि, चीन को भारत के इतने कड़े जवाब की आशा नहीं थी। अब जब भारत ने बड़े स्तर पर चीन की चालबाजी का जवाब देने का प्लान बनाया है, तो चीनी मीडिया की भाषा ही ठंडी पड़ गयी है। इससे एक बार फिर यह स्पष्ट हो गया है कि चीन शाब्दिक युद्ध लड़ने में ही माहिर है, ज़मीन युद्ध लड़ने में नहीं!

 

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