21 अप्रैल को अपनी एक रिपोर्ट में हमने आपको बताया था कि जिस प्रकार ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, कनाडा, UK और न्यूजीलैंड, इन 5 देशों ने मिलकर एक साथ चीन के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है, उससे स्पष्ट है कि इन देशों के पास चीन के खिलाफ कोई खूफिया सूचना उपलब्ध हो सकती है, क्योंकि ये सभी देश 5 eyes समूह का हिस्सा हैं और ये सभी देश आपस में महत्वपूर्ण खूफिया सूचना साझा करते हैं।
अब इन 5 देशों का एक डोज़ियर सामने आया है, जिसमें इन 5 देशों ने चीन पर कई बड़े आरोप लगाए हैं और सबसे बड़ी बात यह है कि इस डोज़ियर में वुहान वायरस और वुहान में चीन की एक लैब के बीच सीधा संबंध होने की संभावना पर काफी ज़ोर दिया गया है।
गौर करने वाली बात यह है कि Five Eyes के दो महत्वपूर्ण देशों यानि अमेरिका और UK में कोरोना ने सबसे बड़ी तबाही मचाई है। अमेरिका में तो 11 लाख से ज़्यादा लोग इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं, जबकि इससे लगभग 70 हज़ार लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। अब इन सब ने अपनी-अपनी खूफिया जानकारी जुटाकर चीन को घेरने का एक बढ़िया प्लान तैयार किया है।
5 Eyes द्वारा तैयार इस डोज़ियर में साफ-साफ लिखा है कि चीन ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पारदर्शिता की धज्जियां उड़ाकर हजारों लोगों की ज़िंदगियों को खतरे में डाला। इसके अलावा इस डोज़ियर में लिखा है कि कोरोना के खिलाफ बोलने वाले डॉक्टर्स के मुंह को बंद करके, और इस वायरस की vaccine को बनाने में जुटे बाहरी वैज्ञानिकों को इस वायरस के लाइव सैंपल देने से मना करके चीन ने मानवता के खिलाफ सबसे बड़ा काम किया है।
वुहान वायरोलॉजी के डॉक्टर ऑस्ट्रेलिया में भी बैट पर रिसर्च कर चुके हैं
दरअसल, आज वुहान की जिस लैब पर कोरोना को फैलाने के आरोप लग रहे हैं, उससे जुड़े कुछ वैज्ञानिक आज से कुछ वर्ष पहले ऑस्ट्रेलिया में आकर परीक्षण कर चुके हैं। वुहान वायरस लैब में वरिष्ठ डॉक्टर, डॉ शी पिछले कई सालों से bats पर रिसर्च कर रही थीं, और इस लैब को ऑस्ट्रेलिया ने भी फंडिंग की थी।
अमेरिका को जब संदेह हुआ तो 2014 में ही फंडिंग रोक दी थी
अमेरिका ने इस लैब की फंडिंग को वर्ष 2014 में रोक दिया था, क्योंकि अमेरिका को इस लैब में किए जा रहे परीक्षणों से दुनिया में एक महामारी आने का खतरा महसूस हुआ था, लेकिन वर्ष 2017 में अमेरिका ने फिर से फंडिंग को शुरू कर दिया। इस लैब के वैज्ञानिक ऑस्ट्रेलिया आकर भी bats पर रिसर्च कर चुके हैं, जिससे सारा शक इस बात पर जाता है कि कहीं इस वायरस के पीछे चीन की यही लैब तो नहीं थी।
अमेरिका शुरु से ही वुहान वायरोलॉजी पर शंका जाहिर कर रहा है
अमेरिका तो शुरू से ही चीन पर कोरोनावायरस को लेकर बड़े आरोप लगाता रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति का मानना है कि कोरोना वायरस चीन के वुहान स्थित एक प्रयोगशाला से बाहर निकला है। इस प्रयोगशाला में चमगादड़ों पर रिसर्च चल रही थी। अब ट्रंप चाहते हैं कि इस प्रयोगशाला की बड़े स्तर पर जांच होनी चाहिए। हालांकि, अमेरिका अपने स्तर पर इस लैब की जांच कर रहा है।
हाल ही में अमेरिका ने चीन से अपने अधिकारियों को वुहान लैब का परीक्षण करने की छूट देने को भी कहा था, जिसे चीन ने अस्वीकार कर दिया। ट्रम्प यह पहले ही कह चुके हैं कि अगर यह सामने आता है कि चीन ने सबकुछ जानबूझकर किया तो उसे इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
ऑस्ट्रेलिया के पीएम और विदेश मंत्री वुहान वायरोलॉजी को दोषी ठहरा रहे हैं
वहीं, ऑस्ट्रेलिया की बात करें तो वहाँ के विदेश मंत्री पहले ही US का समर्थन करते हुए चीन पर आंकड़े छिपाने और पारदर्शिता ना बरतने के आरोप लगा चुके हैं। ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री मैरिज़ पेन ने हाल ही में चीन द्वारा कोरोनावायरस को लेकर संभावित ढील बरतने की जांच करने का समर्थन करने की बात कह चुके हैं।
इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया के PM स्कॉट मॉरिसन भी अपने विदेश मंत्री को समर्थन दे चुके हैं। उधर, UK में भी अच्छा-खासा चीन विरोध देखने को मिल रहा है और लगातार Wuhan Lab theory के पक्ष में बात कही जा रही है। ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमिनिक राब ने हाल ही में कहा था कि चीन ने शुरुआती दौर में जिस तरह कोरोनावायरस से निपटने की कोशिश की, उसकी गहरी समीक्षा की जानी चाहिए। उन्होंने कहा था “ब्रिटेन सरकार को चीन से जरूर कड़े सवाल पूछने चाहिए कि आखिर कैसे यह महामारी सामने आई”।
कुल मिलाकर ये 5 eyes के सभी पाँच देश अब ना सिर्फ चीन को आड़े हाथों लेने का ये खाका तैयार कर चुके हैं, बल्कि उनके पास चीन के खिलाफ कार्रवाई करने का अच्छा-खासा आधार भी है। इन 5 देशों को दुनिया को अपने विश्वास में लेकर चीन के खिलाफ कठोर से कठोर कदम उठाने ही चाहिए।