भयंकर अफरातफरी, लॉकडाउन का उल्लंघन- आखिर क्यों जरुरी है देश में शराब की Online Delivery

ऑनलाइन डिलिवरी सबसे सटीक उपाय

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4 मई को देशभर में जहां-जहां लॉक डाउन के अन्तर्गत कंटेनमेंट ज़ोन नहीं बने थे, वहां-वहां शराब की दुकानें खुल गई। पर दुकानें क्या खुली, मानो जनसैलाब उमड़ उठा, और कई राज्यों में सोशल distancing की जमकर धज्जियां उड़ाई गईं।

इस मुद्दे पर सोशल मीडिया कई धड़ों में बंटा हुआ है। जहां एक ओर कई यूज़र इसका आर्थिक महत्व समझाने में लगे हुए थे, तो कई यूज़र नैतिक आधार पर पूछ रहे थे कि इन दुकानों को खोलने की आवश्यकता ही क्या थी। पर वास्तव में को प्रश्न पूछा जाना चाहिए था, वह यह कि जब लोग खरीदने को तैयार हैं और प्रशासन के पास उचित संसाधन भी है, तो शराब की ऑनलाइन बिक्री की व्यवस्था क्यों नहीं है?

40 दिनों के लॉक डाउन में राज्य सरकारों को तकरीबन 30,000 करोड़ रुपयों का नुकसान हुआ है। पर किसी को नहीं लगा कि शराब की बिक्री हेतु एक वैकल्पिक ऑनलाइन व्यवस्था का सृजन किया है। कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन एल्कोहोलिक बेवरेज एसोसिएशन ने वाणिज्य मंत्रालय को लिखे एक पत्र में बताया है कि यदि सरकार स्वीकृत करे, तो ऑनलाइन सेल संभव है।

पत्र के एक अंश अनुसार,

फैक्ट्री के गोदाम स्टॉक से पटे पड़े हैं, ट्रक भटक रहे हैं, डिस्ट्रीब्यूशन गोदाम ठप और रीटेल दुकानें भी अनसोल्ड स्टॉक से भरी पड़ी है। जो उद्योग 2 लाख करोड़ का योगदान दे, वह आज स्वयं संकट से जूझ रही है

ऐसा भी नहीं है कि किसी ने प्रयास ना किए हों। पर सरकारी तंत्र ने कभी भी इन प्रयासों को खुले दिल से स्वीकार नहीं किया । कर्नाटक और चंडीगढ़ में कुछ उद्यमियों ने ऐसे प्रयास किए भी थे, पर प्रशासन की ओर से उन्हें निराशा ही हाथ लगी थी।

2018 में महाराष्ट्र ने इस दिशा में एक सार्थक प्रयास किया था, जब देवेन्द्र फडणवीस की सरकार ने शराब की ऑनलाइन बिक्री  के लिए पहल की थी। परंतु जैसे ही सरकार बदली थी, यह प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया था।

लॉक डाउन के दौरान जब राजस्व के अन्य सभी साधन ठप पड़ चुके हैं, तब शराब की बिक्री उनके बहुत काम आ सकती है। यदि दिल्ली ने पहले ही ऐसा किया होता, तो शायद उन्हें 70 प्रतिशत कर लगाने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती।

शराब के दृष्टि में अब भी केंद्र और राज्य सरकारें। लाइसेंस राज वाले नियमों में अटकी पड़ी है, जिसका एक प्रमुख कारण हमारी भ्रष्ट नौकरशाही भी है । इससे केवल हमारे देश की प्रगति को ही हानि होती है। ऐसे में राज्य सरकारो को केंद्र सरकार के साथ मिलकर इस दिशा में काम करना होगा, और शराब की ऑनलाइन बिक्री  के लिए मार्ग प्रशस्त करना होगा।

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