पिछले महीने जब चीन के सरकारी बैंक Peoples Bank of China यानि PBC ने भारत के HDFC बैंक में लगभग 1 प्रतिशत हिस्सेदारी को खरीद लिया था, उसके बाद भारत सरकार ने देश के FDI नियमों में बदलाव कर चीनी कंपनियों द्वारा बिना सरकार की अनुमति के भारतीय कंपनियों में निवेश करने पर रोक लगा दी थी। हालांकि, अब सरकार Foreign Portfolio Investment यानि FPI नियमों में भी बदलाव करने जा रही है ताकि कोरोना के कारण भारत में कमजोर हो चुकी कंपनियों को चीन के चंगुल से बचाया जा सके।
अभी भारत की कंपनियों के लिए FDI और FPI ही विदेशी निवेश का सबसे बड़ा जरिया होते हैं। FPI के जरिये कोई भी विदेशी नागरिक भारत की किसी कंपनी में 10 प्रतिशत की हिस्सेदारी से कम stocks, वित्तीय संपत्ति, american depositary receipts (ADRs), और global depositary receipts खरीद सकता है। इसके माध्यम से कोई विदेश नागरिक भारत की कंपनी में सीधे तौर पर अंशधारक नहीं बनता है। FPI को FDI के मुक़ाबले short term investment माना जाता है और FPI की liquidity भी ज़्यादा होती है, यानि किसी भी वक्त FPI को बेचना आसान होता है। FPI में अपने assets का परिचालन भी निवेशक के हाथ में ना रहकर कंपनी के हाथ में होता है और इस प्रकार निवेशक एक passive shareholder बन जाता है। उदाहरण के लिए अगर एक व्यक्ति मिस्टर X अपने गोदाम को एक अमेरिकी कंपनी को किराये पर दे देता है, तो मिस्टर X उस कंपनी का FPI निवेशक बन जाता है।
अभी सरकार इन FPI के नियमों में बदलाव करने के बाद चीनी कंपनियों और चीनी नागरिकों के लिए भारत की कंपनियों में FPI निवेश पर भी कड़े नियम लागू करना चाहती है। सरकार इस प्रकार के निवेश से पहले भी सरकार की मंजूरी प्राप्त करने को अनिवार्य कर सकती है। वहीं सरकार इस मामले पर भी विचार कर रही है कि अगर चीन के नागरिक चीन से बाहर किसी देश से भारत की कंपनी में 10 प्रतिशत से ज़्यादा निवेश करते हैं, तो उसे भी इसी क़ानून के दायरे में लाया जाये।
कोरोना के समय में जब दुनियाभर की कंपनियां वित्तीय संकट का सामना कर रही हैं, ऐसे समय में चीनी कंपनियां विदेशों में निवेश कर विदेशी कंपनियों को हाई-जैक करने के प्रयासों में जुटी हैं। इसी को मद्देनजर रखते हुए यूरोप के कई देशों के अलावा भारत और अमेरिका जैसे देश अपने-अपने FDI के नियमों में बदलाव कर रहे हैं। भारत में SEBI ने हाल ही में भारतीय बाज़ार के अंदर चीन के सभी निवेश की जानकारी मंगाई थी।
#Gravitas | A new report claims that state-owned Chinese companies are looking for investment opportunities in Europe.
The countries fear hostile takeovers of businesses by China. @palkisu tells you how Italy, Germany and Spain are now tightening their foreign investment rules pic.twitter.com/eSWRL2BHwa— WION (@WIONews) April 8, 2020
इसके अलावा हाल ही में भारत के “डिपार्टमेंट फॉर प्रोमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड” ने नियमों में बदलाव कर यह सुनिश्चित किया था कि ज़मीनी तौर पर जिस देश की भी सीमा भारत से लगती है, उस देश की कंपनियों या नागरिकों को भारत में निवेश करने से पूर्व सरकार की अनुमति लेनी होगी। अब भारत सरकार FPI निवेश को भी इसी कानून के दायरे में लाने पर विचार कर रही है, जो देश की कंपनियों की वित्तीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा।