अमेरिका में कोरोना की वजह से अभी तक एक मिलियन से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं और 76 हजार से अधिक मौतें हो चुकी हैं। अमेरिका की अर्थव्यवस्था जर्जर हालत में पहुंच चुकी है और अब अमेरिका को यह डर सताने लगा है कि कहीं चीनी कंपनियाँ घाटे में चल रही अमेरिकी कंपनियों का अधिग्रहण न कर ले। इसी से बचने के लिए अमेरिकी कांग्रेस में एक बिल लाया जा रहा है जिससे चीन की कंपनियों को अमेरिकी कंपनियों में निवेश कर अधिग्रहण करने से रोका जा सकेगा।
अमेरिकी कांग्रेस के सशस्त्र सेवा समिति के सदस्य जिम बैंक्स ने बुधवार को Restricting Predatory Acquisition During Covid-19 Act पेश किया है। इससे United States में Committee on Foreign Investment का दायरा बढ़ेगा। इस बिल से CFIUS को कोरोना वायरस संकट के दौरान चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से संबंध रखने वाली सभी कंपनियों के अमेरिकी कंपनियों में निवेश की समीक्षा करने में मदद मिलेगी। बैंक्स ने एक बयान में कहा, “हमारा काम यह सुनिश्चित करना है कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी इस महामारी का फायदा अपने लाभ के लिए ना उठाए। चीन द्वारा अमेरिकी कंपनी का लाभ उठाने से रोकने के वादे पर ही अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चुनाव जीता था।” उन्होंने आगे कहा कि यह विधेयक अधिग्रहण के अंतिम लेन देन से पहले उसकी जानकारी राष्ट्रपति के पास भेजने की अनुमति भी देगा। बता दें कि यह विधेयक Defense Production Act of 1950 के हिसाब से वर्गीकृत संवेदनशील बुनियादी ढांचे से जुड़ी अमेरिकी कंपनियों में चीन से जुड़ी कंपनियों को 51% से अधिक की हिस्सेदारी खरीदने से रोकेगा।
बता दें कि अमेरिका चीन की कंपनियों के खिलाफ इस तरह का कदम उठाने वाला पहला देश नहीं है। भारत और यूरोप पहले ही चीन और उसकी इन करतूतों को रोकने के लिए कदम उठा चुके हैं। जब चीन की सेंट्रल बैंक पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने हाउसिंग लोन देने वाली भारत की बड़ी कंपनी HDFC लिमिटेड के 1.75 करोड़ शेयर खरीदे थे तभी भारत सरकार सतर्क हो गई थी। आगे से इस पर लगाम लगाने के लिए भारत ने चीन से आने वाले निवेशको टाइट कर दिया था।
इसी तरह से यूरोप में भी चीनी कंपनियों द्वारा अन्य कमजोर यूरोपीय कंपनियों में निवेश कर अधिग्रहण करने से रोकने के लिए रातों रात नियम में बदलाव किए गए थे। इटली की सरकार ने नियमों में बदलाव कर किसी विदेशी कंपनी द्वारा बैंक, ट्रांसपोर्ट, बीमा, ऊर्जा और स्वास्थ्य क्षेत्रों की कंपनियों के टेकओवर पर प्रतिबंध लगा दिया है।
कुछ इसी तरह के नियम स्पेन ने बनाए हैं। स्पेन के नियमों के मुताबिक अगर किसी देश को स्पेन की कंपनी में 10 प्रतिशत से ज़्यादा निवेश करना है, तो उसे पहले स्पेन की सरकार से इजाज़त लेनी होगी। इसी तरह के नियम जर्मनी ने भी बनाए हैं जिसके बाद किसी विदेशी कंपनी द्वारा जर्मनी की कंपनी को टेकओवर करना मुश्किल हो चुका है। यही नहीं कुछ हफ़्ते पहले, यूरोपीय संघ के कंपीटीशन मुख्य मार्गेटे वेस्टेगर ने चीन को दूर रखने के लिए यूरोपीय संघ के सदस्य-देशों को पूंजी की कमी के कारण कमजोर कंपनियों में हिस्सेदारी खरीदने के लिए कहा है जिससे ऐसी कंपनियों को चीन के हाथों में जाने से बचाया जा सके।
अब अमेरिका ने भी इसी तरह के नियम बनाने के लिए Restricting Predatory Acquisition During Covid-19 Act सदन में पेश किया है। अब सभी देश चीन के वास्तविक चेहरे को समझ चुके हैं कि किस तरह से चीन कोरोना वायरस का न सिर्फ फायदा उठाने की कोशिश कर रहा है बल्कि अन्य देशों की कंपनियों को भी अपने कब्जे में करने की चाल चल रहा था। पर अब सभी देश सतर्क हो चुके हैं और अमेरिका ने तो चीन के खिलाफ मोर्चा भी खुल दिया है और ट्रेड डील रद्द करने की धमकी दी है। अब यह देखना है चारो तरफ से घिरने के बाद चीन क्या कदम उठाता है।