अमेरिका में बच्चों का जन्म दर 35 वर्षों में सबसे निचले स्तर पर, यह सुपर पावर के पतन का कारण बन सकता है

सुपरपावर किसी काम की नहीं रह जाएगी!

अमेरिका

अमेरिका के लिए इस कोरोना के समय में एक और बुरी खबर सामने आई है। नए आंकड़ों के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका में जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या 35 वर्षों में सबसे कम स्तर पर पहुंच  गई है।

रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) ने बुधवार को एक रिपोर्ट में कहा कि पिछले साल अमेरिका में 3.7 मिलियन बच्चे पैदा हुए थे, जो 2018 से 1 प्रतिशत नीचे थे और वर्ष 1985 के बाद बच्चों के जन्म की सबसे कम संख्या थी। अमेरिकी महिलाओं द्वारा अब उनके जीवनकाल में लगभग 1.71 बच्चे पैदा करने का अनुमान है जो कि वर्ष 2018 के 1.73 से एक प्रतिशत नीचे है। बता दें कि एक पीढ़ी को दूसरे पीढ़ी से बदलने के लिए यह दर  2.1 की दर से नीचे होना आवश्यक है।

अमेरिका में लगभग हर उम्र, नस्ल और समूह की महिलाओं के बीच जन्म दर में गिरावट आई है। हालांकि, वे 40 के उम्र की महिलाओं में यह दर बढ़ा है। किशोरों के बीच जन्म दर में रिकॉर्ड गिरावट आई है। जन्म देने वाले किशोरों में 2007 के बाद 60 प्रतिशत की भारी कमी आई है, वहीं यह गिरावट वर्ष 1991 के बाद इसमें 73 प्रतिशत की है। इसके अलावा, सामान्य प्रजनन दर 2 प्रतिशत घटकर 15 से 44 के वर्ष की प्रति 1,000 महिलाओं में 58.2 जन्म हो गई। यह आंकड़ा वर्ष 1909 में के बाद से सबसे कम है।

यानि देखा जाए तो अमेरिका की जनसंख्या में अब गिरावट होने जा रही है। किसी भी देश में यह देखा जाता है जब विकास दर बढ़ती है तो उस देश की जनसख्या भी बढ़ती है। लेकिन जब जनसंख्या वृद्धि रुक जाती है तो विकास दर भी थमने लगता है।

यूरोप संसार के भू-भाग का 6.7 प्रतिशत ही है। पर पिछले पांच सौ वर्षों में उन्होंने अमेरिकी महाद्वीप और आस्ट्रेलिया पर कब्जा कर अपने अधीन भू-भाग को बढ़ाकर 38 प्रतिशत कर लिया। पांच सौ वर्ष पहले उनकी आबादी विश्व की कुल आबादी का करीब 12 प्रतिशत थी। 19वीं शताब्दी के अंत तक वह 38 प्रतिशत हो गई थी।

पिछले पचास वर्ष में घटकर वह अब 20-22 प्रतिशत के आसपास रह गई है। आज यूरोपीय मूल के लोगों की संख्या 747 मिलियन है यानि विश्व का मात्र 9.78 प्रतिशत। यूरोपीय लोगों की जनसंख्या में 17वीं से 19वीं शताब्दी तक जो अभूतपूर्व वृद्धि हुई थी, उसी ने वस्तुओं की विशाल मांग पैदा की । अगर लोगों की तेजी से संख्या बढ़ने से बाजार में मांग न बढ़ी होती तो औद्योगीकरण की गुंजाइश ही न पैदा हुई होती। आज यूरोप में ठहराव है अब वही हाल अमेरिका का भी होने वाला है।

धीरे धीरे जन्म दर कम  होने से जनसंख्या की उम्र भी बदलाव आएगा और फिर धीरे धीरे जनसंख्या में बुजुर्गों की संख्या अधिक हो जाएगी। चूंकि यह बड़ी उम्र बढ़ने वाली आबादी वर्कफोर्स से बाहर हो जाती है, इसलिए आर्थिक विकास को एक बोझ का सामना करना होगा।

अभी तक अमेरिका को जिस कारण ने यूरोप और जापान से आगे रखा था वो वहाँ का जन्म दर था जिससे वर्कफोर्स युवा रहता है और देश के विकास में अधिक सक्रिय भूमिका निभाता है। बुजुर्ग एक प्रकार से दूसरों पर निर्भर होता है, अगर किसी देश में बुजुर्गों की संख्या ही अधिक होने लगे तो उसके गंभीर आर्थिक परिणाम होंगे। बुजुर्गों के लिए स्वास्थ्य देखभाल में संसाधनों अधिक खर्च होंगे, जबकि युवा आबादी को इन बढ़ती लागतों पूरा करने के लिए संघर्ष करना पड़ेगा। इससे संभावना यह है कि खर्च करने की शक्ति घटेगी, उपभोक्तावाद में गिरावट आएगी, रोजगार का उत्पादन धीमा होगा और अर्थव्यवस्था भी रुक जाएगी।

किसी भी देश में कम बच्चे होने का अर्थ है कि लोग उपकरणों से लेकर कपड़ों तक हर चीज पर कम खर्च करेंगे जिससे देश की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ना तय है। IHS ग्लोबल इनसाइट के प्रमुख अमेरिकीअर्थशास्त्री, निगेल गाल्ट (Nigel Gault) का कहना है कि,“प्रजनन दर में गिरावट से, भविष्य के उपभोक्ता खर्च पर असर पड़ेगा।”

यानि स्पष्ट है, बच्चों में जन्म दर का सीधा असर देश के विकास पर पड़ता है। अब अमेरिकियों को सोचना होगा कि उन्हें अपने देश को कहां ले जाना है या बच्चों के जन्म दर को बढ़ाना है।

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