‘इस वर्ष 106 मिलियन टन गेहूं की पैदावर हुई है’, कोरोना काल में देश की इकॉनमी को किसान देंगे रफ्तार

अबकी बार- जय किसान-जय किसान

भारत, अर्थव्यवस्था, गेहूं, फसल, किसान

कोरोना की रोकथाम के लिए दुनियाभर के देशों द्वारा उठाए गए लॉकडाउन जैसे कदमों ने इन देशों की अर्थव्यवस्था पर एक बहुत बड़ा नकारात्मक असर डाला है। सभी उद्योग धंधे ठप पड़े हैं और कुछ सेक्टर तो तबाह होने की कगार पर पहुंच चुके हैं। शायद यही कारण है कि IMF के अनुमान के मुताबिक विश्व इस साल आर्थिक मोर्चे पर कोई तरक्की नहीं करेगा बल्कि, इसकी बजाय दुनिया की GDP को 3 प्रतिशत तक का नुकसान होगा।

भारत भी कोरोना के इस आर्थिक प्रभाव से अछूता नहीं रहेगा और 2020 में भारत की GDP विकास दर सिर्फ 1.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है। हालांकि, देश में एक ऐसा सेक्टर है जो इस साल भारत की अर्थव्यवस्था को बूस्ट करने में अपनी अहम भूमिका निभा रहा है और वह सेक्टर है कृषि सेक्टर!

भारत में रबी फसल की अच्छी पैदावार हुई है और देश के किसानों की मेहनत का फल देश की अर्थव्यवस्था को मिलता दिखाई दे रहा है। आंकड़ों के मुताबिक इस बार देश में करीब 106 मिलियन टन गेहूं की पैदावर हुई है। यह पहला मौका है जब भारत में 100 मिलियन टन से ज्यादा गेहूं की पैदावार हुई है। इससे देश की इकॉनमी को बड़ा बूस्ट मिलेगा।

वर्ष 2019 के आंकड़ों के अनुसार भारत की कुल GDP में कृषि सेक्टर का लगभग 15 प्रतिशत का योगदान है। इस सेक्टर के लिए देश का मौसम विभाग पहले ही खुशखबरी दे चुका है कि इस साल देश में मॉनसून अच्छा रहेगा। अब आपको बताते हैं कि कैसे मानसून और भारत के कृषि उद्योग का आपस में सीधा संबद्ध है और कैसे इस वर्ष मानसून का नॉर्मल रहना भारत के किसानों के लिए बहुत बड़ी खुशखबरी है।

दरअसल, अभी भारत विश्व में सबसे ज़्यादा ज़मीन पर खेती करता है। भारत में 215 मिलियन एकड़ भूमि पर खेती की जाती है और ऐसे में सिंचाई के लिए भी बहुत बड़ी मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है जो पूरी करता है मानसून। मानसून के चार महीनों में भारत में कुल होने वर्षा का तीन चौथाई से भी अधिक हिस्सा बरसता है, ऐसे में जिस वर्ष मानसून कमजोर होता है तो भारत के इस सेक्टर की कमर टूट जाती है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा और यही सबसे अच्छी बात है।

केंद्र सरकार ने 20 अप्रैल से ही देश में सब जगह कृषि से जुड़ी आर्थिक गतिविधियों को जारी रखने की अनुमति दे रखी है, जिसके कारण इस सेक्टर पर लॉकडाउन का कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा। पिछले महीने केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था “कृषि उद्योग पर उतना ज़्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा। इस साल पैदावार बम्पर हुई है और किसानों को MSP के तहत उनके हिस्से का दाम ज़रूर दिया जाएगा”।

सरकार किसानों के लिए अपने 20 लाख करोड के राहत पैकेज में भी काफी ऐलान कर चुकी है, और अब गेंहू की बम्पर पैदावार हुई है तो किसानों के लिए एक और खुशखबरी आई है। इसके अलावा कोरोना के समय में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसे राज्य किसानों की भलाई के लिए कई बड़े सुधार करने जा रहे हैं। इन राज्यों ने अपने-अपने यहाँ अब उद्योग और व्यापारियों को अपनी-अपनी सहूलियत के हिसाब से कच्चा माल सीधा किसान से खरीदने की अनुमति दे दी है।

इसी प्रकार किसानों को भी यह छूट दे दी गयी है कि वे अपना कच्चा माल सरकारी मंडियों के इतर सीधा retailers या processors को बेच सकते हैं। इससे न सिर्फ किसानों को उनकी फसल का बेहतर दाम मिल सकेगा बल्कि, इस कदम से आढ़तियों पर किसानों की निर्भता भी कम होगी।

अब स्पष्ट हो गया है कि चाहे वह व्यापार की बात हो या फिर अर्थव्यवस्था की, हर क्षेत्र में इस वर्ष कृषि उद्योग ही आर्थिक तौर पर भारत की डूबती नैया को बचा सकता है। आज भारत के सभी लोगों और अन्य देशों को घर बैठे खाने को मिल रहा है, तो वह दूर किसी खेत में पसीना बहाते किसान की मेहनत का ही फल है। कृषि उद्योग ही भारत का पेट पालता आया है और आज कोरोना के संकट में भी कृषि उद्योग ही देश को संभाले खड़ा है।

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