जहां पूरा देश वुहान वायरस की महामारी से निपटने के लिए युद्धस्तर पर काम कर रहा है, तो वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें अभी भी अपने निजी स्वार्थ की पूर्ति सर्वोपरि लगती है। ऐसे विकट समय में भी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी केंद्र सरकार से इस बात पर लड़ रही हैं कि हॉटस्पॉट का आंकलन उनके सरकार के अनुकूल क्यों नहीं है।
शुक्रवार को केंद्र सरकार ने लॉकडाउन को दो हफ्ते और बढ़ाया है। हालांकि, इस बार केंद्र सरकार ने आर्थिक दृष्टि से देश के विभिन्न क्षेत्रों को रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन में बांटा है।
परन्तु ममता बनर्जी को इससे भी समस्या है। केंद्र सरकार को लिखे एक पत्र में ममता बनर्जी की सरकार ने इस बात पर आपत्ति जताई है कि केंद्र सरकार ने उनसे कोई परामर्श क्यों नहीं किया।
पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) विवेक कुमार का कहना है कि कैबिनेट सचिव ने राज्यों के साथ 30 अप्रैल हुई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में जो प्रेजेंटेशन दिखाई, वह एकदम गलत और बेबुनियाद थी। इस पत्र में लिखा गया कि कैसे उन्होंने पश्चिम बंगाल के 10 जिलों को गलत तरह से रेड ज़ोन में चिन्हित किया।
इसी को कहते हैं, रस्सी जल गई पर बल नहीं गया। जहां एक ओर पश्चिम बंगाल में इस महामारी के कारण त्राहिमाम मचा हुआ है, तो वहीं ममता बनर्जी की सरकार को इस बात से आपत्ति है कि उनके अनुसार क्षेत्रों की जोनिंग क्यों नहीं हुईं।
परन्तु यह पहली ऐसी घटना नहीं है। इससे पहले भी ममता बनर्जी की सरकार वुहान वायरस से निपटने में अपनी अक्षमता को गाजे बाजे सहित प्रदर्शित कर चुकी हैं।
पश्चिम बंगाल में विशेषज्ञों की एक कमेटी तय करती है कि कौन सी मृत्यु वुहान वायरस की वजह से हुई है, और कौन सी नहीं। इतना ही नहीं, जब मोहतरमा से तब्लीगी जमात के प्रभाव के बारे में पूछा जा रहा है, तो वे कहती हैं, आप मुझसे ऐसे सवाल ना पूछें। इसे देख तो एक बार को उद्धव भी बोल दें- ‘भाऊ उतना भी बुरा नहीं हूं’।
बंगाल में जो भी व्यक्ति वुहान वायरस से मर रहा है, उसकी मृत्यु पर अब इस कमेटी के निर्णय के कारण संदेह खड़ा हो गया है। बंगाल सरकार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी सर्कुलर के अनुसार एक्स विशेषज्ञ कमेटी तय करेगी कि वुहान वायरस के कारण किसकी मृत्यु हुई है।
इतना ही नहीं, जो भी पश्चिम बंगाल सरकार के प्रशासनिक अक्षमताओं को उजागर करता है उसे तुरंत पुलिस कार्रवाई का शिकार होना पड़ता है। याद है आपको डॉ इंद्रनील खान? हां, वही डॉक्टर जिसने पश्चिम बंगाल में स्वास्थ्य कर्मियों को प्रदान की जा रही सुरक्षा उपकरण के गुणवत्ता पर सवाल उठाया था। इसके लिए उन्हें रातों रात पुलिस उठाकर ले गई और उन्हें हिरासत में रख लिया।
परंतु डॉक्टर का दोष क्या था? उस डॉक्टर ने पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों को दिये जा रहे आवश्यक Personal protective equipment यानि PPE की गुणवत्ता के बारे में सवाल उठाए थे। उन्हेंने आरोप लगाया कि कैसे पश्चिम बंगाल के डॉक्टरों को पीपीई के नाम पर घटिया सामान दिया जा रहा है। डॉक्टरों को रेनकोट तो नर्सों को biomedical वेस्ट वाले थैले पहनने के लिए दिये गए।
ममता बनर्जी जिस तरह से केंद्र सरकार से ऐसे विषम परिस्थिति में भी जूझ रही हैं, उससे एक बात तो सिद्ध हो जाती है, बंगाल बहुत बड़ी मुसीबत में है। यदि केंद्र सरकार ने तुरंत कोई एक्शन नहीं लिया, तो ममता बनर्जी का पागलपन बंगाल को भारी पड़ेगा।