सुधीर का जमीन जिहाद शो सच साबित हुआ, एक पाकिस्तानी ने 480 एकड़ जमीन कश्मीर में खरीद ली है

सुधीर चौधरी ने रोशनी एक्ट पर बहस की थी, देखिए उसी एक्ट का दुरुपयोग सामने है!

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याद है आपको डीएनए का वह शो, जिसमें सुधीर चौधरी ने ज़मीन जिहाद पर प्रकाश डाला था? केरल पुलिस से लेकर पाकिस्तानी जिहादी तक सुधीर चौधरी के इस सनसनीखेज रिपोर्ट पर टूट पड़े थे, और उनकी आवाज़ को दबाने का प्रयास किया था।

परन्तु ऐसा लगता है कि सुधीर चौधरी अपने विश्लेषण में कहीं भी गलत नहीं थे। अभी हाल ही में एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जिसमें जम्मू में एक पाकिस्तानी व्यक्ति ने अब निष्क्रिय पड़ चुके रोशनी एक्ट का दुरुपयोग करते हुए कई एकड़ ज़मीन पर ना सिर्फ कब्ज़ा किया, बल्कि वहां अवैध रूप से मुसलमानों को भी बसाया.

प्राप्त जानकारी अनुसार पाकिस्तानी नागरिक चौधरी मोहम्मद रफीक ने 480 एकड़ सरकारी जमीन अपने नाम करवाली। उसके आदमी यह जमीन केवल मुस्लिमों को बेचने के इश्तिहार समाचार पत्रों में दे रहे है। यह जमीन किसी पाकिस्तान के नागरिक के नाम कैसे हो गयी यह चिंता का विषय बन गया हैं।

भारतीय गुप्तचर एजेंसियों ने एक रिपोर्ट तैयार कर केंद्र सरकार को भेजी है। इसमें कहा गया है कि जम्मू कश्मीर के रामबन से कठुआ तक राष्ट्रिय मार्ग पर 40 से अधिक छोटी-छोटी मस्जिदे कुछ समय में ही बन कर तैयार हुई हैं तथा अधिकतर मस्जिदें तब बनी जब महबूबा मुफ़्ती मुख्यमंत्री थीं। इन मस्जिदों का निर्माण किसने किया तथा है साल इन पर रंगरोगन कौन करवाता है? किसी को कुछ नहीं पता।

तो इसका सुधीर चौधरी के रिपोर्ट से कैसे संबंध स्थापित हुआ? दरअसल, कुछ महीनों पहले अपने DNA शो पर सुधीर चौधरी ने कई तरीकों के जिहाद पर प्रकाश डाला था।

सुधीर चौधरी ने जम्मू-कश्मीर में आबादी के जरिये जम्मू क्षेत्र के इस्लामीकरण के नापाक प्रयास को उजागर किया। सुधीर चौधरी ने अपनी रिपोर्ट में कहा-

रोशनी एक्ट एक बहुत बड़ा घोटाला था जिसमें अवैध कब्जा करने वालों को बेशकीमती ज़मीनें कौड़ियों के भाव बेच दी गयी थीं। फिलहाल ये मामला जम्मूकश्मीर के हाई कोर्ट में लंबित है परंतु ये एक बहुत बड़ी साजिश थी। आरोपों की माने तो हिन्दू बहुल जम्मू में अवैध कब्जे वाली सरकारी ज़मीन का मालिक केवल एक धर्म विशेषके लोगों को बनाया गया।

परंतु यह रोशनी एक्ट था क्या? इस अधिनियम के अंतर्गत जम्मू-कश्मीर में सरकारी ज़मीन पर जो भी अवैध कब्जा करता, उसे ही उस क्षेत्र का वास्तविक स्वामी भी बना दिया जाता। इस तरह से राज्य में इस्लामी कट्टरपंथियों की पहुंच जम्मू क्षेत्र तक बढ़ाने के लिए सरकारी स्तर पर वर्षों तक धांधलेबाजी की जाती रही। इससे न सिर्फ देश के राजकोष को नुकसान पहुंचा, अपितु धर्म के आधार पर लोगों को ज़मीन अवैध रूप से पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस की सरकारों द्वारा आवंटित की जाती रही।

जब कठुआ मामला विवादों के घेरे में आया, तो उसी वक्त जम्मू के गुज्जर और बकरवाल समुदाय ने भी इस एक्ट के विरोध में अपनी आवाज़ उठानी शुरू कर दी, क्योंकि पीडीपी सरकार ने रोशनी एक्ट के जरिये रोहिंग्या घुसपैठियों को अवैध रूप से बसाना शुरू कर दिया था। अंतत: 2018 में राष्ट्रपति शासन लगने के उपरांत इस कपटी अधिनियम को निरस्त कर किया गया।

सुधीर चौधरी यूं ही वामपंथियों और आतंकियों के हिट लिस्ट पर नहीं आए हैं। वे ऐसी जगह रिपोर्टिंग करते हैं, जहां जाने से पहले बड़े से बड़ा वामपंथी पत्रकार भी सोचता है।

जब 2016 में बंगाल में इस्लामी कट्टरपंथियों ने धूलागढ़ में उत्पात मचाया था, तब ये सुधीर चौधरी ही थे, जिन्होंने इन घटनाओं को कवर करने का साहस किया। उनके विरुद्ध बंगाल सरकार ने एफ़आईआर भी दर्ज करवाई, परंतु सुधीर टस से मस नहीं हुए। ये सुधीर चौधरी के कवरेज का ही परिणाम था कि जिस विशाल जंगोत्रा को वामपंथी कठुआ केस का मुख्य दोषी बनाने पर तुले हुए थे, वो न केवल निर्दोष सिद्ध हूआ, अपितु जम्मू-कश्मीर के स्थानीय प्रशासन के कार्रवाई के तौर तरीकों पर भी सवाल उठे।

सच कहें तो सुधीर चौधरी देश के उन चुनिन्दा पत्रकारों में से एक हैं, जो सस्ती लोकप्रियता के लिए तथ्यों से खिलवाड़ करने में विश्वास नहीं करते। उनके तौर तरीकों पर निस्संदेह कुछ लोग सवाल उठाते हैं, पर जिस समय अधिकतर पत्रकार अपने आप को श्रेष्ठ  दिखाने के चक्कर में पत्रकारिता का उपहास उड़ाते हैं, उस लिहाज से सुधीर चौधरी ऐसे पत्रकारों से लाख गुना बेहतर हैं।

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