TFIPost ने आपको बार-बार इस बात से अवगत कराया है कि कैसे पश्चिम बंगाल वुहान वायरस को अभी भी हल्के में ले रहा है और कैसे वे मामले की भयावहता को छुपाने में लगा हुआ है। अब यह सिद्ध हो चुका है कि बंगाल में स्थिति बहुत ही बेकार है। ममता बनर्जी की बंगाल सरकार स्वयं इस बात को स्वीकार किया है कि स्थिति वैसी बिल्कुल नहीं है जैसे ममता बनर्जी देश भर को दिखाना चाहती है.
बंगाल सरकार के प्रमुख सचिव राजीव सिन्हा ने बताया कि राज्य में अब तक 105 लोग वुहान वायरस की भेंट चढ़ चुके हैं। ये बात इसलिए भी और गंभीर है, क्योंकि बंगाल में मृत मरीजों की आधिकारिक संख्या अब तक 33 से ऊपर नहीं गई है।
परन्तु ममता बनर्जी की सरकार अभी भी इस बात को स्वीकारने को तैयार नहीं है, मानो यह भी उनके सरकार के विरुद्ध कोई साजिश हो। ममता बनर्जी की सरकार के अनुसार जो 105 लोग मारे गए हैं, उनमें से 33 लोग ही वुहान वायरस से मारे गए हैं। बाकी लोग उससे उत्पन्न बीमारियों या co-morbidities से मारे गए हैं.
पूरी दुनिया में कोई भी व्यक्ति यदि COVID 19 या उससे संबंधित बीमारी से मारा जाता है, तो उसे COVID 19 का शिकार ही माना जाता है। पर बंगाल सरकार को लगता है कि वे विज्ञान से भी बढ़कर हैं, तभी तो उन्होंने एक विशेष कमेटी नियुक्त की, जो ये तय करती है कि कौन सा व्यक्ति वाकई में इस महामारी से मारा गया है। वाह री बंगाल सरकार और वाह री इनकी सोच।
बंगाल में Case to Fatality ratio (CFR) यानी प्रति केस मृत्यु अनुपात काफी ज़्यादा है। ये करीब 13.84 प्रतिशत के करीब है, जो शायद महाराष्ट्र और गुजरात की भी नहीं है, जहां संक्रमण के मामले इस समय सर्वाधिक है।
परन्तु ऐसा क्यों ही? इसके दो प्रमुख कारण हो सकते हैं –
- बंगाल में लचर स्वास्थ्य व्यवस्था
- बंगाल में कम टेस्टिंग करना
दिल्ली से भी बदतर हालात
ध्यान रहे, बंगाल में जनसंख्या का घनत्व सर्वाधिक है, और इसके बावजूद वहां टेस्टिंग लेवल अन्य राज्यों के मुकाबले बहुत कम है। उत्तर प्रदेश जैसा राज्य भी बंगाल से कई गुना बेहतर काम कर रहा है इस दिशा में। स्थिति कितनी खराब है, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि जहां दिल्ली शहर में कुल 97 कंटेनमेंट ज़ोन है, वहीं बंगाल में ये संख्या करीब 264 है। यदि बंगाल में काम मामले है, तो फिर इतने कंटेनमेंट ज़ोन क्यों?
केंद्र सरकार शुरु से ही चेता रही थी
शुरु से ही बंगाल प्रशासन इस महामारी को बहुत हल्के में ले रही है, जिसके लिए उसे केंद्र सरकार से फटकार भी पर चुकी है। इतना ही नहीं, जब केंद्र सरकार ने शुक्रवार को लॉकडाउन को दो हफ्ते और बढ़ाया और आर्थिक दृष्टि से देश के विभिन्न क्षेत्रों को रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन में बांटा, तो ममता बनर्जी को इससे भी समस्या हुई। केंद्र सरकार को लिखे एक पत्र में ममता बनर्जी की सरकार ने इस बात पर आपत्ति जताई है कि केंद्र सरकार ने उनसे कोई परामर्श क्यों नहीं किया।
पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) विवेक कुमार का कहना है कि कैबिनेट सचिव ने राज्यों के साथ 30 अप्रैल हुई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में जो प्रेजेंटेशन दिखाई, वह एकदम गलत और बेबुनियाद थी। इस पत्र में लिखा गया कि कैसे उन्होंने पश्चिम बंगाल के 10 जिलों को गलत तरह से रेड ज़ोन में चिन्हित किया।
न तो प्रशासन ने मामले की गंभीरता को समझा और ना ही ममता बनर्जी ये स्वीकारना चाहती है कि वुहान वायरस के कारण बंगाल को बहुत बड़ा खतरा है। ममता बनर्जी की हठधर्मिता के कारण आज बंगाल में वुहान वायरस का बम फट चुका है और अब बंगाल चाहकर भी इससे भाग नहीं सकता।