कोरोना के बाद पूरा विश्व चीन के खिलाफ एकजुट हो गया है। इस चीन विरोधी गुट का नेतृत्व ऑस्ट्रेलिया कर रहा है, जिसने ना सिर्फ पुरजोर तरीके से चीन की जांच करने की मांग को उठाया है, बल्कि Australia चीन द्वारा लगाये गए आर्थिक प्रतिबंधों का भी डटकर मुक़ाबला कर रहा है। अब ऑस्ट्रेलिया चीन को डंप करके लगातार भारत के साथ अपने सम्बन्धों को मजबूत करने में लगा है।
ऑस्ट्रेलिया और भारत ना सिर्फ आर्थिक मुद्दों पर एक दूसरे का साथ देने की क्षमता रखते हैं, बल्कि रणनीतिक तौर पर भी एक दूसरे के अहम साझेदार सिद्ध हो सकते हैं। अगले महीने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन के बीच virtual meeting होने वाली है, और इस दौरान दोनों देश एक बेहद ही रणनीतिक समझौते को आगे बढ़ा सकते हैं।
कोकोस द्वीप समूह और अंडमान निकोबार द्वीप समूह व्यापार के लिए बेहद महत्वपूर्ण
यह समझौता Australia के कोकोस द्वीपों और भारत के अंडमान एवं निकोबार द्वीप को लेकर किया जा सकता है। इस समझौते के तहत ऑस्ट्रेलिया भारत के अंडमान का रणनीतिक इस्तेमाल कर सकेगा, तो वहीं भारत भी ऑस्ट्रेलिया के कोकोस द्वीपों का रणनीतिक फायदा उठा सकेगा। बता दें कि कोकोस द्वीप Australia के अधिकार वाले टापू हैं, जो हिन्द महासागर में पड़ते हैं।
अंडमान और कोकोस, दोनों ही द्वीपों की लोकेशन बड़ी ही अहम है, क्योंकि एक तरफ जहां अंडमान straits of Malacca के मुहाने पर स्थित है, तो वहीं कोकोस द्वीप इंडोनेशिया के straits of Sunda के पास स्थित हैं। दोनों ही रास्ते दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के लिए अहम ट्रेडिंग रूट्स का काम करते हैं। भविष्य में भारत और ऑस्ट्रेलिया मिलकर इन द्वीपों के जरिये बड़ी आसानी से इन ट्रेडिंग रूट्स की निगरानी कर सकते हैं।
Australia चीन से चिढ़ा हुआ है
कोरोना से पहले चीन ऑस्ट्रेलिया का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था। Australia अपना अधिकतर एक्स्पोर्ट्स चीन को ही करता था। हालांकि, अब कोरोना के दौरान जिस प्रकार ऑस्ट्रेलिया और चीन के सम्बन्धों में कड़वाहट पैदा हुई है, उससे यह व्यापारिक रिश्ते पूरी तरह बिगड़ चुके हैं। अब Australia अपनी आर्थिक तरक्की के लिए भारत की ओर देख रहा है।
इसके अलावा भारत और ऑस्ट्रेलिया, दोनों देशों के लिए ही हिन्द महासागर में बढ़ते चीन के दख्ल से सुरक्षा चुनौती उत्पन्न हुई है, जिसके कारण दोनों देश अपने रणनीतिक रिश्तों को भी मजबूत करना चाहते हैं।
चीन को घेरने के लिए भारत पहले ही जापान और अमेरिका के साथ काम कर रहा है
समुन्द्र में चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिये ऑस्ट्रेलिया और भारत पहले ही जापान और अमेरिका के साथ मिलकर quad के तहत काम कर रह रहे हैं, लेकिन अब दोनों देशो द्विपक्षीय स्तर पर भी रिश्तों को नया आयाम देना चाहते हैं। Australia की एक मैगजीन द ऑस्ट्रेलियन के अनुसार– 4 जून को प्रस्तावित एक ऑनलाइन समिट में दोनों राष्ट्रध्यक्ष भारत और ऑस्ट्रेलिया की सामरिक साझेदारी को मजबूती प्रदान करने के लिए विचार विमर्श करेंगे।
ऑनलाइन समिट में कई मुद्दों पर बात होगी
सूत्रों के अनुसार, नई साझेदारी के अन्तर्गत चिकित्सीय परीक्षण एवं उपकरण, तकनीक, आवश्यक मिनरल इत्यादि के आदान-प्रदान पर दोनों देश बात करेंगे। इसके अलावा दोनों देश एक नए रक्षा समझौते पर भी हस्ताक्षर करेंगे, जिससे ना सिर्फ एक दूसरे के सैन्य बेस का उपयोग होगा, बल्कि सैन्य तकनीक के नए प्रोजेक्ट्स पर काम भी सुचारू रूप से चालू होगा। इतना ही नहीं, भारत ऑस्ट्रेलिया के साथ शैक्षणिक साझेदारी भी करेगा, जिससे ऑस्ट्रेलिया की चीनी छात्रों पर निर्भरता कम हो सके।
ऑस्ट्रेलिया और भारत, दोनों ही देश लोकतान्त्रिक हैं। ऑस्ट्रेलिया चीन की आर्थिक गुंडागर्दी का शिकार हो रहा है, तो वहीं भारत चीन की सैन्य गुंडागर्दी का! दोनों ही देशों की चुनौतियाँ भी एक जैसी हैं और मुश्किलें भी, ऐसे में ऑस्ट्रेलिया और भारत को साथ आकर अब चीन को सबक सिखाना ही होगा।