‘भारत का HCQ इस समय किसी वरदान से कम नहीं’, चीन ने भी माना HCQ का लोहा

HCQ से मरीजों में मृत्यु दर काफी कम

हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन

पूरी दुनिया में कोरोना से लड़ाई के लिए दवा और वैक्सीन की खोज में जुटी है। ऐसे में भारत पूरी दुनिया को HCQ जैसी दवा का एक्सपोर्ट कर रहा है और सभी की मदद कर रहा है। HCQ दवा कोरोना की दवा तो नहीं है लेकिन इस लड़ाई में एक कारगर दवा है जिससे कई फायदे होते हैं और इस पर कई रिसर्च में यह बात सामने आ चुकी है। अब एक नए शोध में यह बात सामने आई है कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन से कोरोना वायरस के मरीजों के मृत्यु दर में कमी आई है।

क्या कहती है रिपोर्ट?

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार यह शोध चीन में 1 फरवरी से 8 अप्रैल के बीच किया था जिसका अभी तक सहकर्मी-समीक्षा यानि peer review नहीं हुआ है। यह शोध वुहान के तोंगजी अस्पताल में 568 Covid-19 मामलों के क्लीनिकल विश्लेषण पर आधारित है।

चीन के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, नेचर साइंस फाउंडेशन और Ma Yun Foundation द्वारा वित्त पोषित, इस शोध को peer review के लिए Science China Life Sciences जर्नल में भेजा जा रहा है।

इस शोध के अनुसार, क्लीनिकल ​​विश्लेषण के तहत सभी रोगियों को सामान्य उपचार दिये गए, जिनमें एंटीवायरल और एंटीबायोटिक दवाएं शामिल थीं, और उनमें से 48 को सात-दस दिनों के लिए HCQ दवा दी गयी। अध्ययन में यह पाया गया कि गैर-HCQ समूह में मृत्यु दर 43.5 प्रतिशत रहा वहीं जिस ग्रुप को HCQ दिया गया उस ग्रुप में मृत्यु दर 18.8 प्रतिशत रहा। शोधकर्ताओं ने लिखा कि, गंभीर रूप से बीमार COVID-19 रोगियों में घटी हुई मृत्यु दर कारण काफी हद तक हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन द्वारा उपचार के कारण है।

अध्ययन में दावा किया गया है कि गंभीर रूप से बीमार COVID-19 के रोगियों में मृत्यु दर को घटाने के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन से उपचार को प्रथिमिकता दी जानी चाहिए।

हालांकि, कोरोना के उपचार के लिए किसी भी प्रकार की दवा की खोज नहीं हुई है लेकिन फिर भी मलेरिया के उपचार में इस्तेमाल होने वाली यह दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन एक बार फिर से चर्चा में है और भारत इस मलेरिया-रोधी दवा के दुनिया के सबसे बड़े निर्माताओं में से एक है।

हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन का उपयोग मलेरिया के इलाज के लिए किया जाता है। साथ ही इसका प्रयोग आर्थराइटिस के उपचार में भी होता है।

इस दवा का उपयोग कई देश कर रहे हैं और भारत 100 से अधिक देशों को HCQ दवा एक्सपोर्ट कर रहा है। तुर्की में शुरू से ही HCQ का प्रयोग किया गया है शायद यही कारण है अन्य यूरोपीय देशों में मौत का तांडव आने के बावजूद तुर्की ने मृत्यु दर को कम रखा है। अमेरिका में, अमेरिकन फिजिशियन और सर्जन के एसोसिएशन ने पाया कि HCQ के लगभग 90 प्रतिशत COVID-19 के रोगियों की मदद करने की संभावना है”। इस दवा पर फ्रांस में जो शोध हुआ उसमें सामने आया था कि ये वायरस को इंसानी कोशिकाओं को खत्म करने से रोकता है।

मलेरिया रोधी दवा Sars-CoV-2 से संक्रमण को धीमा करती है

फ्रांस में 40 कोरोनो वायरस रोगियों को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन दिया गया था। उनमें से आधे से अधिक तीन से छह दिनों में बेहतर फील करने लगे। एक अध्ययन में सुझाव दिया गया कि मलेरिया रोधी दवा Sars-CoV-2 से संक्रमण को धीमा कर सकती है। यह वायरस को शरीर में प्रवेश करने से रोकता है।

डॉक्टरों समेत वैज्ञानिकों ने अभी इस बारे में कोई भी पुख्ता जानकारी नहीं होने की बात कही है। इतना जरूर है कि जहां कोरोना का संक्रमण ज्यादा है, वहां इस दवा को लेने की इजाज़त जरूर दी गई है। पिछले दिनों भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने SARS-CoV-2 वायरस से होने वाली बीमारियों के उपचार के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन के उपयोग का सुझाव दिया था। भारत में, COVID-19 के खिलाफ लड़ाई में HCQ ही इस्तेमाल किया जा रहा है। इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च के महानिदेशक बलराम भार्गव ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की कोरोना वायरस संक्रमण के संदिग्ध या संक्रमित मरीजों की देखभाल करने वाले स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, जिनमे डॉक्टर, नर्स, सफाई कर्मचारी, हेल्पर आदि के इलाज के लिए सिफारिश की थी।

अन्य देशों ने भी जताया HCQ पर भरोसा

वहीं ब्राजील, इजरायल, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा सहित कई देशों ने COVID -19 से लड़ाई में HCQ का उपयोग जारी रखा है।

यहाँ यह जानने वाली बात है कि भारत, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन (HCQ) का दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक है, जिसने वित्तीय वर्ष 2019 में 51 मिलियन डॉलर मूल्य की दवा का निर्यात किया था। अब जब से HCQ की मांग बढ़ी है तब से भारत ने HCQ टैबलेट का उत्पादन एक महीने 12.23 करोड़ से अप्रैल में बढ़ाकर 30 करोड़ कर दिया। अब तो चीन ने भी मान लिया है कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन कोरोना के खिलाफ अन्य दवाइयों से अधिक कारगर है।

Exit mobile version