भारत के लद्दाख क्षेत्र में चीन घुसपैठ करने से बाज़ नहीं आ रहा है, और कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार अब चीन ने भारत पर दबाव बनाने के लिए LAC पर 5 हज़ार अतिरिक्त जवानों को तैनात कर दिया है। लद्दाख में भारत भी mirror deployment कर रहा है, यानि चीनी सैनिकों की संख्या के हिसाब से ही भारत भी बॉर्डर पर अपने सैनिकों की संख्या बढ़ा रहा है।
एक इंच भी पीछे नहीं हटेगा भारत
इस महीने की शुरुआत से ही लद्दाख में भारतीय सेना और PLA के सैनिकों के बीच मुठभेड़ की खबरें सामने आ रही हैं। भारत LAC के अपनी तरफ रणनीतिक तौर पर अहम सड़कों का निर्माण कर रहा है, जिसने चीन को काफी पीड़ा पहुंचाई है।
इसीलिए चीन अब भारत पर दबाव बनाकर सड़क निर्माण के कार्य में बाधा उत्पन्न करना चाहता है। हालांकि, भारत ने भी सड़क निर्माण कार्य रोकने से साफ मना कर दिया है, जिसके बाद अब डर बढ़ गया है कि जल्द ही हमें भारत और चीन बॉर्डर पर छोटे स्तर पर युद्ध देखने को मिल सकता है।
राजनाथ सिंह की एंट्री
भारत ने भी चीन को साफ संकेत दे दिया है कि भारत अब चीन के साथ लंबे बॉर्डर विवाद के लिए तैयार है, क्योंकि भारत किसी भी सूरत अपनी ज़मीन पर विदेशी सैनिकों को बर्दाश्त नहीं कर सकता। इस पूरे मामले में अब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की एंट्री भी हो चुकी है। राजनाथ सिंह के मुताबिक चीन से कूटनीतिक माध्यमों के जरिये विवाद सुलझाने की कोशिश की जाएगी लेकिन इस दौरान भारतीय सैनिक एक इंच भी पीछे नहीं हटेंगे।
बता दें कि लद्दाख की गलवान वैली में चीन लगातार आक्रामकता दिखा रहा है। उसने वहां पर पिछले दो हफ्तों में ही 100 टेंट लगा लिए हैं। चीन की सेना वहां पर बंकर बनाने के लिए भारी उपकरण ला रही है। भारतीय पक्ष ने चीनी सेना के इस कदम पर विरोध दर्ज कराया है।
पाकिस्तान एंगल भी हो सकता है
कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस विवाद में पाकिस्तान एंगल भी हो सकता है। पिछले वर्ष भारत ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का फैसला लिया था, जिसके बाद हो सकता है कि अब चीन ने आक्रामकता दिखाकर अपने कब्जे किए हुए क्षेत्रों पर दावे को मजबूत करने के लिए यह कदम लिया हो। बॉर्डर पर चीन द्वारा इस प्रकार की आक्रामकता कोई नयी बात नहीं है।
3 साल पहले चीनी सैनिक हार मानकर लौट चुके हैं
वर्ष 2017 में जब डोकलाम क्षेत्र में भी भारत और चीन के बीच ऐसे ही कई हफ्तों तक बॉर्डर विवाद देखने को मिला था। बाद में हार मानकर चीन की सेना को क्षेत्र से पीछे हटना पड़ा था। अब बॉर्डर पर लगातार सेना की संख्या बढ़ाकर चीन से संकेत दिया है कि वह इस विवाद को डॉकलाम से भी बड़ा विवाद बनाना चाहता है।
आलोचना से बचने के लिए जिनपिंग की नई चाल
इस विवाद के समय पर भी गौर करना आवश्यक है। कोरोना काल में जब चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को कोविड-19 बीमारी के घटिया मैनेजमेंट के लिए आंतरिक और बाहरी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है, तो ऐसे समय में चीनी सेना ने बॉर्डर पर भारत के साथ दबाव को बढ़ाया है, इसी के साथ चीन ने हाँग-काँग में बेसिक लॉ बदलने का फैसला भी ऐसे वक्त में ही लिया है।
जिनपिंग चाहते हैं कि ना सिर्फ पूरी दुनिया का ध्यान कोरोना से हटकर हाँग-काँग और भारत बॉर्डर पर चला जाएगा बल्कि चीन के अंदर भी जिनपिंग का विरोध कम हो जाएगा। बॉर्डर पर हालात बेहद तनावपूर्ण हैं, और चीन अब की बार पूरे इरादे के साथ विवाद को बढ़ाने के लिए मैदान में उतरा है।
भारतीय सेना भी चीन का डंटकर सामना करने का दमखम रखती है। इसके अलावा अमेरिका जैसे देश पहले ही इस विवाद में भारत का साथ दे चुके हैं।
ऐसे में यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि जल्द ही हमें भारत-चीन बॉर्डर छोटे स्तर पर युद्ध देखने को मिल सकता है और अगर ऐसा होता है तो चीन को अक्साई चिन क्षेत्र हाथ से गंवाना पड़ सकता है।