चीन के वुहान से निकले कोरोना से पूरी दुनिया तबाही मची हुई है और अमेरिका से ऑस्ट्रेलिया तक सभी बड़े देश चीन के खिलाफ कदम उठाने के लिए कमर कस चुके हैं। इसी बीच अमेरिका में रिपब्लिकन पार्टी के एक सीनेटर ने अमेरिका में पढ़ने वाले चीनी छात्रों पर बैन लगाने की बात कही है। यही नहीं उन्होंने चीनी छात्रों के बारे में कहा कि यह एक स्कैंडल ही है कि अमेरिकी विश्वविद्यालयों द्वारा कम्युनिस्ट पार्टी के भविष्य को प्रशिक्षित किया जा रहा है।
बता दें कि बीजिंग पहले से ही कोरोनावायरस महामारी को छिपाने की कोशिश करने के कारण विरोध का सामना कर रहा है अब चीन के विदेशी शिक्षा कार्यक्रमों बड़ा झटका लग सकता है। अमेरिका से चीनी छात्रों के लिए यह वास्तव में बुरी खबर है।
सीनेटर टॉम कॉटन ने सुझाव दिया है कि चीनी छात्रों को अमेरिका में विज्ञान का अध्ययन से रोकने के लिए वीजा से वंचित कर दिया जाना चाहिए। फॉक्स के संडे मॉर्निंग फ्यूचर्स को दिए एक साक्षात्कार में, सीनेटर ने कहा-
“यह मेरे लिए एक स्कैंडल है कि हम कम्युनिस्ट पार्टी के सबसे प्रतिभाशाली छात्रों को अपने देश में पढ़ने के बाद चीन वापस जाने जाने दे देते जिससे वे नौकरियों में प्रतिस्पर्धा करते हैं, हमारा बिजनेस ले लेते हैं और फिर बाद में हमारी संपत्ति चोरी कर हथियारों और अन्य उपकरणों को डिजाइन करते हैं जिनका उपयोग अमेरिकी लोगों के खिलाफ किया जा सकता है।”
कॉटन ने अमेरिका में विज्ञान के अध्ययन के लिए चीनी छात्रों को वीजा देने से इनकार करने का सुझाव दिया और कहा-
“मुझे लगता है कि हमें संयुक्त राज्य अमेरिका में अध्ययन करने के लिए आने वाले चीनी नागरिकों को वीजा देने के लिए बहुत सख्त नज़र रखने की ज़रूरत है, विशेष रूप से उन्नत वैज्ञानिक और तकनीकी क्षेत्रों में।”
बता दें कि चीन पर कई बार इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी के चोरी करने का आरोप लगा है और अमेरिका में इसी तरह की इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी की चोरी के कारण बढ़ती चिंताओं पर ही कॉटन की टिप्पणियों को देखा जाना चाहिए।
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर का बीजिंग से करीबी संबंध थे
उदाहरण के लिए, 2018 में, हार्वर्ड विश्वविद्यालय में एक रसायन विज्ञान के प्रोफेसर Charles Lieber को बीजिंग के साथ अपने करीबी संबंधों का खुलासा न करने के कारण गिरफ्तार किया गया था। इस साल जनवरी में, वहाँ की जस्टिस डिपार्टमेन्ट ने “thousand talents” कार्यक्रम के तहत चीन से प्राप्त होने वाले धन का खुलासा न करने के लिए इस प्रोफेसर के खिलाफ अभियोग दायर किया गया था।
चीन का यह टैलेंट प्रोग्राम अमेरिकी वैज्ञानिकों को फंड करती हैं लेकिन अमेरिका ने इस फंडिंग प्रोग्राम के कई लाभार्थियों पर इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी की चोरी का आरोप लगाया है।
वास्तव में, यह भी आरोप लगा है कि चीन में तेजी से बढ़ता “रिवर्स टेक्नोलॉजी” बाजार बीजिंग द्वारा कथित रूप से चोरी किए गए इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी के कारण ही बढ़ा है। यहां तक कि अमेरिकी सरकार के सदस्यों ने फरवरी में वाशिंगटन में एक सम्मेलन आयोजित किया था जिसमें चीन द्वारा तकनीकी संपत्ति की चोरी के मुद्दे पर चर्चा की गई थी।
उस सम्मेलन में बोलते हुए, नेशनल सिक्योरिटी के सहायक अटॉर्नी जनरल John Demers ने तकनीकी संपत्ति की चोरी पर कहा था, “चीन से इसका वास्तविक खतरा है और यह लगातार हो रहा है, यह अच्छी तरह से परिकल्पित है, यह अच्छी तरह से resourced है, और यह खत्म नहीं होने वाला है।”
FBI कई बार चेतावनी दे चुकी है
एफबीआई के निदेशक Christopher Wray ने भी चीन द्वारा इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी की चोरी के मुद्दे पर चेतावनी देते हुए कहा था-
“यह वास्तव में हमारे देश की सूचना और इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी तथा हमारी अर्थव्यवस्था के लिए सबसे बड़ा दीर्घकालिक खतरा है।”
अमेरिकी न्याय विभाग ने इस मुद्दे की जांच के लिए वर्ष 2018 में China Initiative Campaign शुरू किया था और FBI के अनुसार, चीन द्वारा इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी की चोरी के मामले सामने आ रहे हैं और वर्तमान में यह संघीय एजेंसी ऐसे 1,000 से अधिक मामलों की जांच कर रही है।
शिक्षा एक कमजोर क्षेत्र है जहां बीजिंग द्वारा इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी की चोरी करने की कोशिश की जाती है।
यहां तक कि संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) ने अमेरिकी विश्वविद्यालय परिसरों को विजिटिंग रिसर्च स्कॉलर द्वारा बीजिंग के लिए इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी चोरी करने के बारे में को सतर्क किया है।
टेक्सास में पढ़ाने वाला चीनी मूल का प्रोफेसर हुवावे का एजेंट बन गया था
टेक्सास विश्वविद्यालय में पढ़ाने वाले एक चीनी प्रोफेसर पर सिलिकॉन वैली की एक फर्म से अत्याधुनिक तकनीक चोरी करने का आरोप लगाया गया था। बाद में यह बात सामने आई कि वह चीनी कंपनी Huawei का सीक्रेट एजेंट बन गया था। अमेरिकी विश्वविद्यालयों में सभी अंतरराष्ट्रीय छात्रों में से एक तिहाई चीनी नागरिक होते हैं और अमेरिका वास्तव में चीन के छात्रों के लिए एक सीखने का एक प्रमुख आकर्षण है।
इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी की चोरी से परेशान होकर वर्ष 2018 में अमेरिका ने चीनी छात्रों और शोधकर्ताओं के खिलाफ पहली बार कदम उठाया था जब ट्रम्प प्रशासन ने विमानन, रोबोटिक्स और उन्नत विनिर्माण में पांच साल से एक वर्ष तक स्नातक करने वाले चीनी छात्रों का वीजा अवधि ही कम दिया था।
वीजा अवधि कम करने का कारण फिर से इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी की चोरी ही थी। अब अमेरिका के सीनेटर टॉम कॉटन ने फिर से इस मुद्दे को सभी के सामने उछाल दिया है अब देखना है कि चीन के खिलाफ इस माहौल में अमेरिकी सरकार क्या कदम उठती है। दुनिया भर के देश चीन के खिलाफ बोल रहे हैं और सुरक्षा चिंता के कारण स्वीडन ने तो चीन के कन्फ्यूशियस स्कूलों को बंद करने का भी निर्णय लिया था।