CPM सरकार ने अपने आदमी को Guruvayur मंदिर का प्रबंधक बनाया, अब प्रबंधक ने मंदिर के 5 करोड़ लूटने की अनुमती दी

इस प्रबंधक ने पहले भी मंदिर की पंरपरा तोड़ने के प्रयास किये हैं

Guruvayur

बात जब मंदिरों के संसाधन लूटने की हो, और केरल सरकार का नाम ना आए, ऐसा भला हो सकता है क्या? एक बार फिर केरल सरकार एक मंदिर के संसाधन लूटते रंगे हाथों पकड़ा गया। तमिलनाडु के तर्ज पर अभी हाल ही में केरल सरकार ने Guruvayur Devaswom Board के कोषागार से पांच करोड़ ऐंठे हैं, ये जानते हुए भी कि देश के अन्य प्रतिष्ठानों की तरह मंदिरों में भी राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण पैसों की काफी किल्लत है।

यह धनराशि तुरंत चीफ मिनिस्टर के राहत कोष में स्थानांतरित कर दी गई। हद तो तब हो गई, जब Guruvayur Devaswom Board के अध्यक्ष केबी मोहनदास ने कहा, बोर्ड ने सीएम आपदा राहत कोष को बाढ़ के समय भी काफी सहायता दी थी”। कृपया मोहनदास ये बताने का कष्ट करेंगे कि केरल में बाढ़ के समय कौन सा देश में लॉक डाउन लगा हुआ था?

राज्य के भाजपा प्रमुख के सुरेंद्रन ने इस लूटपाट पर राज्य सरकारों को आड़े हाथों लेते हुए पूछा कि आखिर राज्य सरकार इतने प्रेम से बाकी धार्मिक संस्थानों से पैसा क्यों नहीं मांगती है। के सुरेंद्रन के अनुसार, ” Guruvayur Devaswom act की धारा 27 के अनुसार यहां के आराध्य श्रीकृष्ण यहां के संपत्ति और आय के स्वामी है। इस आय का उपयोग केवल मंदिर के रखरखाव के लिए होना चाहिए। वैसे भी इस दुरुपयोग पर हाई कोर्ट में मामला लंबित है”।

बता दें  कि केरल सरकार श्री Guruvayur मंदिर के 14000 एकड़ भूमि की स्वामी है, और मुआवजे के तौर पर मंदिर को केवल 13 लाख सालाना देती है। यदि यह लूट नहीं है तो क्या है?

इस बोर्ड के प्रबंधक पर स केबी मोहनदास पर भी सवाल उठते हैं। अब केबी मोहनदास के गुरुवायूर देवासम बोर्ड अध्यक्ष होने से समस्या क्या है? दरअसल, यह व्यक्ति सीपीआईएम आल इंडिया लायर्स यूनियन का एक अहम सदस्य रहा है। दुर्भाग्यवश Guruvayur Devaswom की अध्यक्षता हो या फिर केरल के किसी भी देवास्वोम बोर्ड का प्रशासन, इनकी कमान हमेशा सत्ताधारी पार्टी के लिए आरक्षित होती है। नास्तिक होने के बावजूद यह लोग मंदिरों और उनके आंतरिक मामलों में आए दिन हस्तक्षेप करते हैं। ना केवल इन्होंने वर्षों पुराने मंदिरों के रीतियों को बर्बाद किया है, अपितु उनके धन को भी लूटा है।

उदाहरण के लिए अभी कई महीने पहले केबी प्रसाद ने गुरुवायूर मंदिर के तन्त्री पर चिल्लाने का दुस्साहस किया था। तन्त्री ने केवल उनसे मंदिर के अनुष्ठान पूरे होने तक अन्दर नहीं आने को कहा था, जिसे केबी प्रसाद ने अपनी तौहीन समझ लिया और तन्त्री को खरी खरी सुना दी।

परन्तु ऐसा कदापि मत समझिए कि यह लूटपाट केवल Guruvayur मंदिर तक सीमित है।  ये धर्मनिरपेक्ष सरकारें मंदिर के प्रबंधन बोर्ड का नियंत्रण करने की जिम्मेदारी गैर-हिंदुओं को भी देती हैं जो हिंदू धर्म में आस्था नहीं रखते और न ही भगवान को मानते हैं। पुजारियों को मंदिरों के प्रबंधन में दखल देने की इजाजत नहीं दी जाती है और ऐसे में मंदिर के पुजारी अब भ्रष्ट लेफ्ट को मानने वाले बोर्ड प्रबंधकों से तंग आ चुके हैं। उच्च न्यायालय ने कर्नाटक के गोकर्ण स्थित महाबलेश्वर मंदिर को सरकार के कब्जे में सौंपने का आदेश दिया था और अब कर्नाटक की तरह ही केरल सरकार हिंदू मंदिरों पर अपना नियंत्रण चाहती है।

कम्यूनिस्ट शासन में हिन्दू मंदिरों को हर प्रकार के भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है। इसीलिए केरल में तथाकथित नास्तिक विचारधारा के सरकारी नौकरशाहों मंदिरों से उसके सभी संसाधन निचोड़ने के लिए दिन रात एक किए पड़े है। यदि हमने इसके विरुद्ध मोर्चा नहीं खोला, तो ऐसे ही सनातन संस्कृति का अपमान होता रहेगा।

 

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