‘सुप्रीम कोर्ट में अर्नब के वकील हरीश साल्वे हैं’, इस बार न्यूजरुम से नहीं कोर्ट से कांग्रेस की लंका लगेगी

हरीश साल्वे अर्नब के बेहद करीबी हैं, पहले भी केस लड़ चुके हैं

हरीश साल्वे

PC: YouTube

महाराष्ट्र के पालघर में हुई हिंसा के बाद सोनिया गांधी को उनके असली नाम से बुलाने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है और अर्नब ने अपने खिलाफ हुए सभी FIR को रद्द करने की याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की है। इस बार अर्नब के वकील हैं जाने माने अधिवक्ता भारत को ICJ में जीत दिलाने वाले हरीश साल्वे। कांग्रेस जिस तरह से रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ पर FIR कर चुप कराना चाह रही है उससे देखते हुए अब ऐसा लगता है कि यह कांग्रेस पर ही भारी पड़ने वाला है।

दरअसल, अर्नब गोस्वामी की तरफ से उच्चतम अदालत में वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे उपस्थित हुए और उन्होंने कांग्रेस की धज्जियां उड़ा कर रख दी। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश को सुरक्षित रखते हुए याचिकाकर्ता को प्रदान की गई सुरक्षा की अवधि 24 अप्रैल तक के लिए बढ़ा दी है।

इस साल अप्रैल में पालघर मॉब लिंचिंग के बाद सोनिया गांधी पर गोस्वामी के बयानों से संबंधित सभी FIR के बारे में उन्होंने अदालत को बताया कि गोस्वामी से मुंबई पुलिस ने 12 घंटे तक पूछताछ की थी और FIR से पता चलता है कि यह डराने की एक चाल थी।

इस दौरान हरीश साल्वे ने बड़े खुलासे भी किए और कोर्ट को बताया कि जिस पुलिस अधिकारी ने अर्नब से पूछताछ की थी वह कोरोना पॉज़िटिव पाया गया है। उन्होंने शीर्ष अदालत को यह भी बताया कि मुंबई में कोरोना की व्यापकता को देखते हुए अर्नब ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम पूछताछ करने के लिए बार-बार अनुरोध किया, लेकिन बावजूद उन्हें एनएम जोशी मार्ग पुलिस स्टेशन द्वारा पूछताछ के लिए बुलाया गया था। यही नहीं उसी पुलिस स्टेशन में रिपब्लिक टीवी के वित्तीय अधिकारी को भी पूछताछ के लिए बुलाया गया था।

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अंतराष्ट्रीय स्तर पर भारत का परचम लहराने वाले साल्वे ने अनुच्छेद 19 (1) (ए) और प्रेस की स्वतंत्रता का मुद्दा उठाते हुए पूछा कि, क्या पुलिस और CRPC को किसी भी टीवी पर टेलीकास्ट या प्रिंट में राय रखने के लिए लागू किया जा सकता है वह भी बिना किसी सुरक्षा उपायों के? उन्होंने आगे कहा, इससे प्रेस की स्वतंत्रता का एक नकारात्मक प्रभाव होगा।“

हरीश साल्वे ने शीर्ष अदालत से इस मामले को CBI को सौंपने का आदेश देने का भी अनुरोध किया, क्योंकि स्पष्ट रूप से, मुंबई पुलिस पूर्वाग्रहों के साथ जांच कर रही है। साल्वे ने स्पष्ट रूप से कहा कि अर्नब गोस्वामी के खिलाफ कार्रवाई एक राजनीतिक पार्टी यानि कांग्रेस का एक पत्रकार के खिलाफ सुनियोजित कार्यक्रम है। उन्होंने आगे कहा, “ये पार्टी इस पत्रकार को सबक सिखाना चाहती है।

हालांकि, शीर्ष अदालत ने अर्नब को प्रदान की गई सुरक्षा की अवधि 24 अप्रैल तक के लिए बढ़ा दी है और इस मामले पर अपने आदेश को सुरक्षित रख लिया है।

अब कांग्रेस को सिर्फ अर्नब से ही नहीं बल्कि, हरीश साल्वे से भी डरने की जरूरत है। क्योंकि अर्नब गोस्वामी का हरीश साल्वे द्वारा प्रतिनिधित्व किया जाना कांग्रेस पर भारी पड़ने वाला है। यही नहीं निकट भविष्य में इस पार्टी को हार के बाद शर्मिंदगी का सामना करने लिए तैयार रहना चाहिए।

यह पहली बार नहीं है जब अर्नब गोस्वामी का प्रतिनिधित्व हरीश साल्वे ने किया है। वास्तव में, जब वह टाइम्स नाउ के साथ थे, तब भी साल्वे ने 100 करोड़ का मानहानि के केस में उनका प्रतिनिधित्व किया था। इसके अलावा, समाचार ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) की स्थापना में अर्नब गोस्वामी और हरीश साल्वे दोनों ने एक साथ बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हरीश साल्वे भारत के एक वरिष्ठ वकील हैं और आईसीजे में शुरू से ही वे कुलभूषण जाधव मामले को देखते आए हैं। वर्ष 2017 में जब आईसीजे ने भारत के पक्ष में फैसला सुनाया था, तब हरीश साल्वे की इसमें सबसे बड़ी भूमिका थी। इन्होंने कई मामलों पर विपक्ष के प्रोपोगेंडे की धज्जियां उड़ाई है। CAA का मामला हो, या कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का मामला, सभी पर अपनी राय रखते हुए हरीश साल्वे ने केंद्र सरकार के पक्ष का ही समर्थन किया था और कहा था कि भारत सरकार ने ये कदम संविधान के तहत ही उठाये हैं।

अब जो भी हो कांग्रेस के लिए आने वाला समय आसान नहीं रहने वाला है, क्योंकि अब कांग्रेस को खुलेआम चुनौती देने वाले पत्रकार अर्नब गोस्वामी का प्रतिनिधित्व हरीश साल्वे जैसे बेहतरीन वकील कर रहे हैं।

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