उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य के दोनों वक्फ बोर्ड यानि शिया और सुन्नी का नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया है। कोरोना संकट के बीच उत्तर प्रदेश के शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्षों का कार्यकाल समाप्त होने से अब इन दोनों वक्फ बोर्ड का नियंत्रण अब योगी सरकार के हाथों में आ चुकी है। ध्यान देने वाली बात यह है कि अब इन दोनों बोर्ड के काम काज पर निगरानी रखी जा सकेगी। प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मोहसिन रजा ने यह संकेत दिया है।
दरअसल, सुन्नी और शिया वक्फ बोर्ड का गठन समाजवादी पार्टी के कार्यकाल के दौरान किया गया था। सुन्नी वक्फ बोर्ड का कार्यकाल तो 31 मार्च को ही पूरा हो चुका था, मंगलवार 18 मई को शिया वक्फ बोर्ड का कार्यकाल भी पूरा हो गया। सुन्नी वक्फ बोर्ड के चेयरमैन रहे जुफर फारुकी तो पिछले लगातार 10 वर्षों तक बोर्ड का संचनलन करते रहे। वह वर्ष 2010 में पहली बार बसपा के कार्यकाल में बोर्ड के चेयरमैन बने थे। उसके बाद सपा और फिर 2017 में भाजपा की सरकार बनने के बावजूद वह बोर्ड का संचालन करते रहे।
दूसरी ओर शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने 2015 में अपना पदभार सम्भाला था और उसके बाद वह लगातार कार्य करते रहे। अब इन दोनों का ही कार्यकाल समाप्त हो चुका है। योगी सरकार ने तनिक भी देर न करते हुए इन दोनों ही बोर्ड का नियंत्रण अब अपने हाथों में ले लिया है। लॉकडाउन के चलते इस समय बोर्ड के गठन के लिए चुनाव होना मुश्किल है। इसी वजह से ऐसे में वक्फ बोर्ड के कामकाज राज्य सरकार के अधीन आ चुकी है। शिया वक्फ बोर्ड के कार्य मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ नसीम हसन की देखरेख में होंगे, जबकि सुन्नी बोर्ड के काम पहले से ही मुख्य कार्यकारी अधिकारी शुऐब अहमद देख रहे हैं। वक्फ राज्य मंत्री मोहसिन रजा के अनुसार सरकार के निर्देश दोनों बोर्ड के सीईओ के माध्यम से लागू होंगे।
मोहसीन रजा ने इन दोनों ही बोर्ड में चल रही सभी गड़बड़ियों की जांच करने का भी संकेत दिया है। मोहसिन रजा ने कहा कि वक्फ बोर्ड में नियम कायदे दरकिनार कर निजी फायदे के लिए मनमाने तरीके से नियुक्तियां की गई थी। ऐसे ही कई मामले सामने आने के बाद जांच करवाने का फैसला लिया गया है।“ उन्होंने बताया कि सरकार पहले ही इस बारे में सीबीआई जांच की सिफारिश कर चुकी है।
उन्होंने बताया कि ‘वक्फ के फायदे के लिए वक्फ ट्रीयूबनल बनाया गया है। पिछले दस साल तक चली गड़बड़ियों की सीबीआई जांच की भी अनुमति मिल गई है। ऑडिट जांच के निर्देश दिए जा चुके हैं। इसके साथ ही वक्फ बोर्ड को जल्द ही सीएम के पोर्टल जनसुनवाई ऐप और 1076 से जोड़ा जाएगा।’
बता दें कि अयोध्या के मंदिर-मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले और अयोध्या में किसी अन्य स्थान पर 5 एकड़ जमीन पर मस्जिद निर्माण के लिए सहमति आदि से जुड़ी तमाम फाइलें व दस्तावेज सुन्नी वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन ज़फ़र अहमद फ़ारूक़ी पास हैं।
राज्य वक्फ बोर्ड को राज्य सरकारों द्वारा वक्फ अधिनियम, 1995 की धारा 13 और 14 के प्रावधानों के तहत स्थापित किया जाता है। इन बोर्डों का काम वक्फ के संपत्तियों का प्रबंधन और संरक्षण करना है। निर्वाचित वक्फ कमेटी का कार्यकाल पाँच वर्ष का होता है।
उत्तर प्रदेश में सुन्नी वक्फ बोर्ड के पास 3 लाख की संपत्ति और शिया वक्फ बोर्ड के पास 7,225 संपत्तियां नियंत्रण में है।
अब योगी सरकार ने इन दोनों वक्फ बोर्डों पर नियंत्रण करने के साथ, इनके कामकाज की जांच करने का निर्णय लिया है और उम्मीद है कि जांच के बाद ही वक्फ बोर्ड का चुनाव किया जाएगा। सभी अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की जांच की जाएगी।