हमारे देश में मंदिरों को किस तरह से कुछ लोग अपनी निजी संपत्ति समझकर लूटते हैं, ये किसी से छुपा नहीं है। इसी कड़ी में तिरुमला तिरुपति देवस्थानम बोर्ड के निर्णय ने तब विवाद खड़ा कर दिया, जब उसने अपने 50 अटल संपत्तियों को नीलामी में शामिल करने का निर्णय लिया।
इस पक्षपाती और अलोकतांत्रिक निर्णय के कारण हज़ारों भक्त आग बबूला हो गए, और उन्होंने बोर्ड को इस निर्णय के लिए आड़े हाथों लिया। लेकिन इसी बीच भाजपा के सहयोगी और जन सेना पार्टी अध्यक्ष और प्रसिद्ध अभिनेता पवन कल्याण ने जिस प्रकार से मोर्चा संभालते हुए सनातनियों के अधिकारों की बात की है, वह अपने आप में काफी प्रशंसनीय है।
पवन कल्याण के अनुसार, “यदि बोर्ड उक्त भूमि को बेचती है, तो यह बहुत गांधी प्रवृत्ति को बढ़ावा देगा और लाखों हिंदुओं की आस्था के साथ एक भद्दा खिलवाड़ भी होगा.
If TTD sells away land, this shall set a bad precedent and even other Hindu Religious institutions might imitate it. This shall also hurt the sentiments and beliefs of millions of devotees.
— Pawan Kalyan (@PawanKalyan) May 25, 2020
Hurting the devotee’s sentiment & belief and risking the economic opportunities for the state in the future, it would be a grave mistake if the YCP led state government lets TTD sell off the lands in the prevailing circumstances.
— Pawan Kalyan (@PawanKalyan) May 25, 2020
इसके अलावा पवन कल्याण ने भगवान बालाजी के सभी भक्तों को इस अलोकतांत्रिक निर्णय के हटने तक आमरण अनशन में भाग लेने का आवाहन दिया, जिसे भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या ने अपना पुरजोर समर्थन भी दिया.
AP Govt’s decision to sell assets of Tirupati Devasthanam is highly deplorable. We must oppose this tooth & nail.
I request Sri @PawanKalyan Garu & BJP in AP to fight this issue until the govt reverses it’s stand.
In the longterm, we must get temples out of state control.
— Tejasvi Surya (ಮೋದಿಯ ಪರಿವಾರ) (@Tejasvi_Surya) May 25, 2020
पर तमाम विरोध प्रदर्शनों के बाद जगन सरकार को जल्द ही समझ में आ गया कि यह विरोध उन्हें कितना भारी पड़ सकता है. बताया जा रहा है कि जल्द ही तिरुमला तिरुपति देवस्थानम बोर्ड ने इस निर्णय पर पुनः विचार करने की बात कही है। प्रेस से बातचीत के दौरान सरकार के प्रतिनिधियों ने कहा-
“भक्तों की आस्था को ध्यान में रखते हुए सरकार ने टीटीडी को इस मुद्दे पर सभी लोगों के विचारों और उनके सुझावों की ध्यान में रखकर इस निर्णय पर पुनः विचार करने को कहा है“.
#BreakingNews Good news for devotees of Lord Balaji! @ysjagan Andhra Pradesh Govt takes back it’s decision to sell lands donated to Lord Balaji – TTD by issuing GO 888.
This is the victory of Secularism over communalism!!#TTDNotForSale pic.twitter.com/of9QGkmOxC
— Priti Gandhi (Modi ka Parivar) (@MrsGandhi) May 25, 2020
सच कहें तो पवन कल्याण ने बेहद सही समय पर जगन सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला। जिस तरह से तिरुमला तिरुपति देवस्थानम बोर्ड के जरिए वर्तमान आंध्र प्रदेश सरकार हिन्दुओं के मान सम्मान और उनके संसाधनों को लूटने में लगी हुई है, वो किसी से नहीं छुपा है। अब चूंकि पवन कल्याण ने हिन्दुओं को एकजुट करने में अपनी ताकत दिखा दी है, तो ये जगन मोहन रेड्डी सरकार के लिए निश्चित ही खतरे की घंटी है.
केरल की कम्युनिस्ट सरकार ने भी मंदिरों को लूटने का प्रयास किया
परन्तु आंध्र प्रदेश की सरकार इकलौती नहीं है, जो इस तरह के घृणित कार्यों में विश्वास रखती हो। अभी कुछ हफ्तों पहले केरल सरकार ने Guruvayur Devaswom Board के कोषागार से पांच करोड़ ऐंठे हैं, ये जानते हुए भी कि देश के अन्य प्रतिष्ठानों की तरह मंदिरों में भी राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण पैसों की काफी किल्लत है यहां तक कि मंदिर स्टॉफ की सैलरी के लिए भी धन की कमी पड़ रही है.
हालांकि, यह धनराशि तुरंत चीफ मिनिस्टर के राहत कोष में स्थानांतरित कर दी गई। हद तो तब हो गई, जब Guruvayur Devaswom Board के अध्यक्ष केबी मोहनदास ने कहा, “बोर्ड ने सीएम आपदा राहत कोष को बाढ़ के समय भी काफी सहायता दी थी”।
बता दें कि केरल सरकार श्री Guruvayur मंदिर के 14000 एकड़ भूमि की स्वामी है, और मुआवजे के तौर पर मंदिर को केवल 13 लाख सालाना देती है। यदि यह लूट नहीं है तो क्या है?
इस बोर्ड के प्रबंधक केबी मोहनदास पर भी सवाल उठते हैं। अब केबी मोहनदास के गुरुवायूर देवासम बोर्ड अध्यक्ष होने से समस्या क्या है?
दरअसल, यह व्यक्ति सीपीआईएम आल इंडिया लायर्स यूनियन का एक अहम सदस्य रहा है। दुर्भाग्यवश Guruvayur Devaswom की अध्यक्षता हो या फिर केरल के किसी भी देवास्वोम बोर्ड का प्रशासन, इनकी कमान हमेशा सत्ताधारी पार्टी के लिए आरक्षित होती है।
कुल मिलाकर जब पैसे, सोने-चांदी लूटने होते हैं तो इन्हें मंदिरों की याद आती है वरना यही लोग मंदिरों के बारे में अनाप-शनाप बकते रहते हैं। इन्होंने ना केवल वर्षों पुराने मंदिरों की रीतियों को बर्बाद किया है, बल्कि मुगलों और विदेशी आक्रांताओं की तरह मंदिरों को लूटने का भी प्रयास किया है.
इसके अलावा तमिलनाडु की सरकार ने मुख्यमंत्री राहत कोष में 10 करोड़ की राशि डालने का तुगलकी फरमान 47 मंदिरों को सुनाया था, जिसे भारी विरोध के बाद वापस भी लेना पड़ा था.
तिरुमला तिरुपति देवस्थानम बोर्ड के वर्तमान कांड से हम सभी हिन्दुओं को एक सीख लेनी चाहिए – जब तक मंदिरों को सरकार के चंगुल से नहीं छुड़ाया जाता है, तब तक हमारा उद्धार नहीं हो पाएगा। इस अंगरेजी मानसिकता को जड़ से उखाड़ कर फेंकना ही होगा।