तमिलनाडु इस बार सुर्खियों में है, पर इस बार गलत कारणों से। अभी सरकार ने लगभग 47 मंदिरों से मुख्यमंत्री रिलीफ फंड के लिए 10 करोड़ रुपए देने का फरमान जारी किया है।
तमिलनाडु में Hindu Religious and Charitable Endowments विभाग के सचिव के पानिंद्र रेड्डी department secretary, ने राज्य के 47 मंदिरों को लॉक डाउन में विभिन्न समस्याओं से निपटने के लिए कुल 10 करोड़ रुपए जारी करने का फरमान सुनाया है। पर मजे की बार तो देखिए, एक ओर हिन्दू मंदिरों से बेहिसाब धन लूटा जा रहा है, तो वहीं दूसरी ओर मस्जिदों को रमज़ान के दौरान हर प्रकार की सुविधा दी जा रही है।
राज्य सरकार ने हाल ही में ये फरमान जारी किया है कि लगभग 3000 मस्जिदों के लिए 5450 टन चावल की आपूर्ति हो। 21 रुपए प्रति किलो के दर से ये चावल तमिलनाडु को कुल 11 crore रुपए के मूल्य के हिसाब से मिलेगा। इसका अर्थ स्पष्ट है – मस्जिदों और उनके खैर खवाहों के लालन पालन हेतु सरकार हिन्दू मंदिरों से लूटपाट करने में विश्वास रखती है।
जहां लॉकडाउन के कारण देश के धार्मिक स्थलों पर लगभग ताला ही लगा हुआ है, वहां पर तमिलनाडु का निर्णय यह दर्शाता है कि सरकार कैसे केवल अपनी जेबें भरने के अलावा कुछ नहीं कर रही। मुस्लिमों की तुष्टिकरण के लिए ये लोग किसी भी हद तक जाने को तैयार हो सकते हैं।
अब ऐसे में भला सोशल मीडिया कैसे तमिलनाडु को छोड़ देती? उन्होंने ट्विटर पर तमिलनाडु सरकार की खिंचाई करते हुए अनगिनत ट्वीट किए
#TempleTakover due to-
Hindus'
👉 Sheer Ignorance
👉 Self-Absorbed nature
👉 Division amongst Hindus
👉 MAJOR Underlying factor : Lack of Dharma-educationCulminate into temples being soft targets
Hindus' Wake Up
Understand your duty unto Dharma#LootTemplesGiftMinorities pic.twitter.com/sXrNCGATGU
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) May 2, 2020
#TempleTakover due to-
Hindus'
👉 Sheer Ignorance
👉 Self-Absorbed nature
👉 Division amongst Hindus
👉 MAJOR Underlying factor : Lack of Dharma-educationCulminate into temples being soft targets
Hindus' Wake Up
Understand your duty unto Dharma#LootTemplesGiftMinorities pic.twitter.com/sXrNCGATGU
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) May 2, 2020
Temples in TN including Madurai, Palani, Thiruchendur, Thiruvannamalai, Rameswaram & others to contribute Rs 35L each for feeding the poor due to lockdown.
Why it hasn't been demanded from the Chrisitian/Muslim institutions that get govt grants yearly?#LootTemplesGiftMinorities pic.twitter.com/1XaudMSjEx
— 𝐌𝐢𝐥𝐢𝐧𝐝 𝐃𝐡𝐚𝐫𝐦𝐚𝐝𝐡𝐢𝐤𝐚𝐫𝐢 © (@Milind_MMD) May 2, 2020
There are 36,000+ temples under the TN HR& CE. Lakhs of Poojaris are solely dependent on the offerings from the devotees. With the lock down, they are facing starvation. Instead of helping them, the TN Govt has its eye on the wealth of Hindu temples !#LootTemplesGiftMinorities
— HinduJagrutiOrg (@HinduJagrutiOrg) May 2, 2020
Earlier India was an Islamic State with jaziya on Hindus. Under British, a White Christian State with "Dogs and Hindus not allowed."
After "independence" it became both—a #ChristoIslamic State, with legal discrimination under the pretext of "minority." #LootTemplesGiftMinorities https://t.co/WLBq3HDUY0
— Sankrant Sanu सानु संक्रान्त ਸੰਕ੍ਰਾਂਤ ਸਾਨੁ (@sankrant) May 2, 2020
तमिलनाडु की वर्तमान सरकार के पीछे की आलोचना का प्रमुख कारण यह भी है कि जहां एक ओर वे हिन्दू धार्मिक स्थलों से धन लूटने में एक क्षण भी नहीं गंवाते, तो वहीं ऐसा कोई भी निर्देश इसाई और मुस्लिम संस्थानों को नहीं दिया गया है, जिन्हें सालाना सरकारी अनुदान प्राप्त होते रहते हैं। इससे पहले मद्रास हाईकोर्ट ने रमजान के महीने में मस्जिदों में मुफ्त चावल वितरित करने के लिए तमिलनाडु सरकार के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया था।
इसके लिए पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के उस बयान को केंद्र बिंदु बनाया जिसमें शीर्ष अदालत ने कहा था कि सरकार किसी भी समुदाय को तीर्थयात्रा के लिए मदद देने के विचार के विरोध में नहीं है। उदाहरण के लिए सरकार द्वारा कुंभ का खर्च वहन करने और भारतीय नागरिकों को मानसरोवर तीर्थ यात्रा में मदद का जिक्र किया था। हालाँकि पीठ ने यह जिक्र नहीं किया कि कोरोना के दौरान बंद मंदिर ऐसी स्थिति में सरकार के फैसले का क्या करें?
दिलचस्प बात तो यह है कि यह कुप्रथा पिछले कुछ वर्षों में नहीं, बल्कि ब्रिटिश काल से चली आ रही है। 1927 में जो मद्रास Hindu Religious and Endowments Act लागू हुआ था, वो प्रारंभ में मुस्लिमों और ईसाइयों पर भी लागू करना था। परन्तु भारी विरोध के चलते ये दमनकारी अधिनियम केवल हिन्दुओं तक ही सीमित रह गया।
तमिलनाडु सरकार के वर्तमान कृत्य से हिन्दुओं को जागृत होना चाहिए और तब तक लड़ना चाहिए, जब तक मंदिरों पर से सरकारी नियंत्रण पूरी तरह नहीं हट जाता।