जब पाकिस्तान के गठन के दौरान अल्पसंख्यकों के अधिकार और उनके पलायन पर प्रश्न उठा था, तो तत्कालीन प्रधानमंत्री लियाकत अली खान ने तंज कसते हुए पूछा, “अगर यह चले गए, तो कराची के गटर कौन साफ करेगा?”
इसी गिरी हुई सोच को आगे बढ़ाते हुए पाकिस्तान की सरकार के काले करतूतों को एक अमेरिकी पत्रिका ने हाल ही में उजागर किया गया। इस पत्रिका के अनुसार पाकिस्तानी प्रशासन ने एक विज्ञप्ति निकाली थी, जिसमें सीवर साफ करने वालों के लिए केवल इसाई लोग ही आवेदन कर सकते हैं।
हालांकि यह कोई हैरानी वाली बात नहीं है, क्योंकि जब पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ समान अधिकारों की बात उठती है, तो जवाब में पाकिस्तानी प्रशासन का रवैया बोलता है, “समान अधिकार? यह क्या होता है?”
सीवर की सफाई एक जानलेवा काम होता है, जिसके लिए केवल ईसाईयों के लिए पद खोलना पाकिस्तानी प्रशासन की विकृत मानसिकता को जगजाहिर करता है। हालांकि यह कोई नई बात नहीं है, क्योंकि पाकिस्तान के लिए गैर मुस्लिम नागरिक जानवरों से भी गए गुज़रे हैं, जिनके साथ कितना भी अत्याचार किया जाए, कम है। बता दें कि सीवर की सफाई के काम में सिर्फ ईसाई समुदाय के लोग ही नहीं बल्कि हिंदुओं को भी ढकेला जाता है।
कोरोना काल में हिंदुओं को नहीं दिया जा रहा है राशन
इमरान खान के प्रधानमंत्री बनने के बाद से यह स्थिति बद से बदतर हो रही है। अभी वुहान वायरस के कारण जब आपातकालीन राशन वितरित किया जा रहा था, तो कराची में हिन्दुओं को यह कहकर भगाया जा रहा था कि यह राशन उनके लिए नहीं, केवल मुसलमानों के लिए है।
अभी कुछ महीनों पहले ही पाकिस्तान के ननकाना साहिब में एक गुरुद्वारे के मुख्य ग्रंथी की लड़की का अपहरण कर लिया गया था। कई दिनों तक लापता रहने बाद गुरुवार को उसकी एक वीडियो सामने आई जिसमें देखा जा सकता है कि उसको जबरन बंदूक की नोक पर इस्लाम धर्म में परिवर्तन करवाया गया और नाम आएशा रखा गया है। इसके बाद मौलवी ने एक मुस्लिम व्यक्ति से उसकी शादी करवा दी।
परन्तु जब वह वापिस अपने घर गई, तो उसके अभिभावकों ने उन्हें वापिस भेजने से मना कर दिया। इससे बौखलाए कट्टरपंथी मुसलमानों ने ननकाना साहिब पर हमला बोल दिया और वहां जमकर पत्थरबाज़ी की।
हर साल 1 हजार अल्पसंख्यक लड़कियों का धर्मान्तरण
पाकिस्तान में स्थिति कितनी भयावह है, इसका अंदाजा आप इसी रिपोर्ट से लगा सकते हैं। पाकिस्तान के ही एक मीडिया पोर्टल की एक रिपोर्ट भी सामने आई है जिसमें यह खुलासा किया गया है कि पाक में हर साल लगभग 1 हज़ार लड़कियों का जबरन मुस्लिम धर्म में परिवर्तन करवा दिया जाता है जिनमें करीब 700 लड़कियां ईसाई होती हैं जबकि लगभग 300 लड़कियां हिंदू धर्म से जुड़ी होती हैं। गौर करने वाली बात तो यह है कि इस रिपोर्ट के जारी होने के सिर्फ एक दिन बाद ही पाक से दो नाबालिग हिंदू बहनों के जबरन धर्म परिवर्तन की खबर सामने आई थी, जिसपर भारतीय विदेश मंत्रालय भी नज़र बनाए हुए हैं।
विरोध करने पर ईशनिंदा कानून लगाकर जेल में डाल देते हैं
यदि कोई इस पर प्रश्न करता है, तो उसे पाकिस्तान के ईशनिंदा कानून के अन्तर्गत अमानवीय यातना का सामना करना पड़ता है। कहने को तो पाकिस्तान एक लोकतन्त्र है, परंतु यहाँ कोई पाकिस्तानी सेना के विरुद्ध बोलता है, तो परिणाम काफी घातक होते हैं, और ये बात पाकिस्तान की मानवाधिकार कार्यकर्ता गुलालाई इस्माइल से बेहतर कौन जान सकता है। सेना द्वारा यौन उत्पीड़न की घटनाओं को उजागर करने का बीड़ा उठाना इनके लिए काफी भारी पड़ा, और उन्हें देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा।
जो विरोध करता है उसे देश छोड़ना पड़ता है
गुलालाई इस्माइल को पाकिस्तानी औरतों पर हो रहे अत्याचार के विरुद्ध आवाज़ उठाने के लिए पाकिस्तानी सेना द्वारा देशद्रोह के आरोप का सामना करना पड़ा। इसके पश्चात इस्माइल करीब 6 महीने तक पाकिस्तान में छिपी रहीं और बाद में अपने दोस्तों और परिवारवालों की सहायता से वे श्रीलंका के रास्ते अमेरिका भागने में कामयाब रहीं, जहां उन्होंने राजनीतिक शरण ली। 32 वर्षीय कार्यकर्ता ने कहा, “पाकिस्तान को लगता है कि अमेरिकी विदेश विभाग मुझे अपने परिवार के साथ अमेरिका छोड़ने के लिए विवश करेगा। परंतु मैं अमेरिका में अपना संघर्ष जारी रखूंगी”।
सीवर कर्मियों के लिए केवल ईसाईयों के लिए आवेदन खोलना पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की दुर्दशा को उजागर करती है क्योंकि विभाजन के समय 23% से पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की कुल आबादी का लगभग 3% ही बची है। एक ओर इमरान खान भारत के विरुद्ध कश्मीर पर घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं, तो वहीं उनके देश की सेना स्वयं देश के अल्पसंख्यकों का जीना मुहाल कर दी है। ऐसे में पाकिस्तान से गैर मुसलमानों के लिए मानवता की आशा करना दीवार से सिर भिड़ाने समान होगा।