कोरोनावायरस की भेंट चढ़ रहे नॉन कोरोना पॉजिटिव : HIV, TB, और मलेरिया के रोगी पहले से कहीं अधिक जोखिम में हैं

इन बिमारियों को भारत से जड़ से खत्म करने के प्रयासों पर कहीं पानी न फेर दे कोरोना !

COVID 19

PC: ThePrint

चीन में उत्पन्न वुहान वायरस ने विश्व के स्वास्थ्य प्रणाली पर बहुत बड़ा बोझ डाल दिया है, और भारत भी उससे अछूता नहीं है। वुहान वायरस पर देश के अधिकांश संसाधन केंद्रित होने के कारण अब एचआईवी, टीबी और मलेरिया के मरीजों पर आफत आन पड़ी है।

हाल ही में कुछ मैथमेटिकल मॉडल प्रकाशित हुए हैं, जिससे यह अंदाज़ा लगाया गया है कि स्वास्थ्य प्रणाली के COVID 19 की ओर ध्यान केंद्रित करने के कारण टीबी, मलेरिया और एड्स के मामलों में बढ़ोत्तरी देखने को मिल सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि जैसे ही लॉकडाउन में नरमी आती है, इनसे जुड़े चिकित्सकों को व्यवस्था दुरुस्त करनी पड़ेगी।

WHO की दक्षिणी एशिया की क्षेत्रीय निदेशक पूनम खेत्रपाल सिंह ने बताया, “जब हम COVID 19 से जूझ रहे हैं, तो हमें ये भी सुनिश्चित करना होगा कि आवश्यक स्वास्थ्य सेवा चलती रहे। पहले की महामारियों से ये सिद्ध हुआ है कि उन मामलों में मृत्यु दर बढ़ सकती है, जिन्हें वैक्सीन या अन्य उपचारों के जरिए बचाया जा सकता था।”

USAID द्वारा समर्थित टीबी मॉडलिंग स्टडी, जिसे   Stop TB partnership ने इंपीरियल कॉलेज, अवेनिर हेल्थ और जॉन हॉपकिंस विश्वविद्यालय के मदद से तैयार किया है। यह मॉडल बताता है कि भारत में लॉकडाउन के हर बढ़ते महीने के साथ टीबी के कारण 2020 से 2025 के बीच करीब 40685 से ज़्यादा मौतें हो सकती है। ये ना भारत के स्वास्थ्य व्यवस्था पर अतिरिक्त बोझ डालेगी, अपितु भारत के 2025 तक टीबी मुक्त होने की मंशाओं पर भी पानी फेर देगी।

बता दें कि भारत में टीबी के बहुत मामले सामने आते हैं, और भारत विश्व में आज भी दुर्भाग्यवश शीर्ष स्थान पर हैं, क्योंकि विश्व में वर्तमान आंकड़ों के अनुसार 40 प्रतिशत से अधिक मामले टीबी के निकल कर आते हैं।

परन्तु यह समस्या सिर्फ टीबी तक ही सीमित नहीं हैं। मैथमेटिकल मॉडल की माने तो COVID 19 आउटब्रेक का असर एड्स और मलेरिया सम्बन्धित मामलों पर भी भयानक रूप से पड़ सकता है। मलेरिया से मृत्यु दर में दोगनी रफ्तार से मामले बढ़ेंगे, जबकि एड्स पर इसी प्रकार के शोध से पता चलता है कि 2020-21 में सभी सहारा क्षेत्र में ही 5 लाख से ज़्यादा मृत्यु हो सकती है।

कनाडा के प्रसिद्ध McGill International TB Centre, McGill University के निर्देशक का कहना है कि COVID 19 के कारण ना केवल HIV, अपितु मलेरिया के लिए भी आवश्यक दवाइयों की कमी हो सकती है, जिसके कारण बच्चों में मलेरिया के कारण  मृत्यु दर काफी हद तक बढ़ सकती है।

अब आंकड़ों पर जाए तो उक्त निदेशक की चिंता भी उचित है। भारत में आज भी 40 लाख से अधिक लोग मलेरिया से संक्रमित पाए जाते हैं। हालांकि, 2018 के मुकाबले यह आंकड़ा काफी कम है, परन्तु यदि CoVID 19 पर जल्द नियंत्रण नहीं पाया गया, तो सारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा। यही बात एड्स के मरीजों पर भी लागू होती है।

भारत को अपने स्वास्थ्य व्यवस्था पर से COVID 19 का बोझ कम करना ही पड़ेगा, अन्यथा स्थिति बद से बदतर हो सकती है। पिछले महीने बताया गया था कि सरकार अस्पताल में COVID 19 से संबंधित मामलों में भर्ती की नीति को बदलने पर विचार कर रही है, जिसे वास्तव में अस्पताल में उपचार की आवश्यकता है, सिर्फ उसे ही भर्ती कराएगी।

भारत ने वुहान वायरस से अपनी लड़ाई में काफी अहम कीर्तिमान स्थापित किए हैं, परन्तु यदि उसने अपने स्वास्थ्य व्यवस्था के बचाव में कुछ अहम कदम नहीं उठाए, तो जितनी मृत्यु COVID 19 से नहीं हुई, उससे अधिक मृत्यु शायद एक overburdened स्वास्थ्य व्यवस्था के कारण अन्य बीमारियों से हो सकती है।

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