विश्व शांति के साथ ‘आत्मनिर्भरता’ – PM मोदी ने कैसे चीनी मैन्युफैक्चरिंग हब को रिप्लेस करने का संकेत दिया?

मोदी

हाल ही में पीएम मोदी ने वुहान वायरस के संबंध में देश को संबोधित किया। अपने संबोधन में उन्होंने चार अहम बातें कही, जिनमें प्रमुख थे –  देश को आत्मनिर्भर बनाना,  आत्मनिर्भर भारत अभियान के लिए 20 लाख करोड़ रुपए का पैकेज निकालना, जिसके तहत बुधवार शाम 4 बजे से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण घोषणाओं की शुरुआत करेंगी, आत्मनिर्भर बनने की राह में भारत के निवासियों का लोकल प्रोडक्ट्स को प्राथमिकता देना,   लॉकडाउन का चौथा फेज  नए रंग-रूप और नए नियमों वाला होना ।

सच कहा था किसी ने – विपत्ति ही किसी व्यक्ति, समाज या राष्ट्र की वास्तविक की परीक्षा लेती है। जहां 1991 के बैलैंस ऑफ पेमेंट संकट ने पीवी नरसिंह राव को नेहरूवादी समाजवाद की बेड़ियों को उखाड़ फेंकने के लिए प्रेरित किया, तो वहीं पीएम मोदी ने COVID 19 को एक अवसर के तौर पर भांपते हुए आत्मनिर्भरता के अभियान का प्रारंभ किया।

इस लिहाज से कल का संबोधन पीएम मोदी के सभी संबोधनों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण था, क्योंकि आत्मनिर्भरता के साथ ही उन्होंने ये संकेत भी दिए कि कैसे भारत वैश्विक फैक्ट्री का तमगा रखने वाली चीन की जगह लेगा।

पीएम मोदी ने ये स्पष्ट किया कि वे साम्राज्यवादी मानसिकता से नहीं, अपितु आत्मनिर्भरता और वैश्विक कल्याण के लिहाज से सोचेंगे। पीएम मोदी के अनुसार, “भारत जब आत्मनिर्भरता की बात करती है, तो वे स्वकेंद्रित सोच नहीं रखती। भारत की आत्मनिर्भरता वैश्विक खुशहाली, सहयोग और शांति में बस्ती है।”

पीएम मोदी ने अपने आत्म निर्भर भारत के विजन को कुछ यूं पेश किया –

  1. एक अर्थव्यवस्था जो व्यापक बदलाव में विश्वास रखे।
  2. एक इंफ्रास्ट्रक्चर जो आधुनिक भारत की छवि तैयार करे
  3. एक प्रणाली जो तकनीक आधारित हो और 21वीन सदी की आकांक्षाओं को पूरा करे
  4. हमारी वाइब्रेंट डेमोग्राफी, जो विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की मजबूती सिद्ध हो एल
  5. डिमांड जिसे सप्लाई चेन का हर स्टेकहोल्डर मिलकर पूरा करे और आगे बढ़ाए

आत्मनिर्भर भारत के पीएम मोदी के विजन का हर एक स्तंभ एक स्पष्ट संदेश देता है – भारत चीन से वैश्विक उत्पादन हब का तमगा  लेने के लिए पूरी तरह तैयार है, जिससे वैश्विक कल्याण का मार्ग प्रशस्त होगा। इसके लिए भारत ने तैयारियां भी ज़बरदस्त की है।

एक के बाद एक कई भाजपा शासित राज्य सरकारें श्रम संबंधी कानूनों में व्यापक सुधार करने पर लगे हुए हैं। अभी हाल ही में  येदियुरप्पा सरकार ने एक निर्णय लिया है, जिसके अन्तर्गत उद्योग अब किसानों से प्रत्यक्ष रूप में ज़मीन की खरीददारी कर सकेंगे, और बीच में किसी बिचौलिए की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। ये भूमि अधिग्रहण में आने वाले अधिकांश समस्याओं को जड़ से उखाड़ फेकेंगी.

परन्तु यह पहला ऐसा मामला नहीं है। हाल ही में एक विशेष अध्यादेश पारित कराकर उत्तर प्रदेश सरकार ने कुछ अहम अधिनियम छोड़कर बाकी सारे श्रम कानूनों को 3 साल तक निष्क्रिय करने का निर्णय लिया है। इससे ना सिर्फ ज़्यादा से ज़्यादा निवेश संभव होगा, बल्कि किसी उद्योग को स्थापित होने वाले में लगाई जाने वाली अड़चनों का भी सफाया होगा।

राज्य में अधिकांश श्रम कानूनों को निलंबित करने के लिए एक अध्यादेश पारित किया गया, ताकि मौजूदा कोरोना वायरस संकट के बीच राज्य में निवेश करने के लिए नई कंपनियों को आकर्षित किया जा सके।

इसके अलावा पीएम मोदी ने एक उदाहरण के जरिए समझाया कि आखिर क्यों आत्मनिर्भर भारत एक वैश्विक आवश्यकता है। पीएम मोदी के अनुसार, “भारत ने आपदा को अवसर में बदला,‘‘मैं एक उदाहरण के साथ अपनी बात बता रहा हूं। जब कोरोना संकट शुरू हुआ, तब भारत में एक भी पीपीई किट नहीं बनती थी। एन-95 मास्क का भारत में नाममात्र उत्पादन होता था। आज स्थिति यह है कि भारत में ही हर रोज दो लाख पीपीई और दो लाख एन-95 मास्क बनाए जा रहे हैं। हम ऐसा इसलिए कर पाए, क्योंकि भारत ने आपदा को अवसर में बदल दिया। ऐसा करने की भारत की दृष्टि आत्मनिर्भर भारत के हमारे संकल्प के लिए उतनी ही प्रभावी होने वाली है।’’

इसी परिप्रेक्ष्य में केंद्र सरकार ने प्रभावी कदम भी उठा लिए हैं। जहां स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए कई इंसेंटिव दिए जा रहे हैं, तो वहीं गृह मंत्रालय ने निर्णय लिया है कि अब से सभी केंद्र सशस्त्र बल के कैंटीन में स्वदेशी उत्पादों को प्राथमिकता मिलेगी।

लोकल उद्योगों को प्राथमिकता देकर सरकार ने उन्हें वो दिया है, जिसके वो हकदार हैं। कई सालों तक देश में ये ई-कॉमर्स कंपनियाँ नियमों की धज्जियां उड़ाकर कारोबार करती रहीं और देश के लोकल उद्योगपतियों को उसका खामियाजा भुगतना पड़ता रहा, लेकिन अब सरकार सही दिशा में कदम उठा रही है। अब पीएम मोदी ने जब इन लोकल स्टोर और ब्रांड को प्राथमिकता दी है, तो इससे ना सिर्फ एक आत्मनिर्भर और समृद्ध भारत का मार्ग प्रशस्त होगा, अपितु चीन के दमनकारी उत्पादन नीति से विश्व को मुक्ति मिलेगी।

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