वुहान वायरस के कारण चीन की छवि और उसके कद को ज़बरदस्त झटका पहुंचा है, और हुवावेे भी इससे अछूता नहीं है। हाल ही में 10 देशों के समूह ने यह निर्णय लिया है कि चाहे कुछ भी हो जाए, पर चीन के किसी भी उत्पाद, विशेषकर तकनीकी उत्पाद को हाथ भी नहीं लगाएंगे। अब इस परिप्रेक्ष्य में यदि किसी को सर्वाधिक लाभ होगा, तो वो है हमारी देसी मोबाइल सेवा, JIO। जी हां, हुवावेे के पतन से जियो को काफी लाभ मिलेगा, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था में एक व्यापक और सकारात्मक बदलाव आने की प्रबल संभावना है।
पर यह संभव कैसे होगा? इसका इलाज भी JIO ने स्वयं निकाला है। अभी 2 मार्च को रिलायंस JIO ने सरकार से अपने द्वारा विकसित 5जी तकनीक का ट्रायल शुरू करने के लिए अनुमति मांगी थी। इस तरह से रिलायंस जियो देश की पहली ऐसी कंपनी बनी, जिसने 5जी तकनीक को स्वयं विकसित किया हो। इससे पहले भारत की सभी कंपनियों ने 4जी तकनीक को विदेशी कंपनियों के सहारे भारत में लॉन्च किया था, लेकिन पहली बार जियो ने खुद से अपनी 5जी तकनीक का ट्रायल शुरू किया था।
इस क्रांतिकारी कार्य से JIO एक ही तीर से दो लक्ष्य भेदेगा। पहला, इससे कंपनी को खर्च कम करने में आसानी होगी। 4जी सेवाओं हेतु रिलायंस ने साउथ कोरिया की सैमसंग कंपनी के साथ मिलकर भारत में 4जी सेवाएं लॉन्च की थी। इसी प्रकार वोडाफोन और एयरटेल ने भी विदेशी कंपनियों का ही सहारा लिया था।
दूसरा फायदा कहीं ज़्यादा महत्वपूर्ण और प्रभावशाली होगा। दरअसल, अमेरिका सहित अनेक देश, जैसे ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, यहां तक कि दक्षिण कोरिया भी चीन के ऊपर तकनीक के लिए आश्रित नहीं रहना चाहते हैं। उन्हें तलाश थी एक बेहतर विकल्प की, जो ना केवल उच्चतम सुविधाएं प्रदान करे, अपितु जेब पर भी ज़्यादा भार ना पड़े।
तो जियो यह आवश्यकताएं कैसे पूरी करेगा? दरअसल, जब JIO को 2016 के अंत में लॉन्च किया गया था, तो उसका सबसे प्रमुख उद्देश्य था कि जन-जन को कम दाम पर विश्व स्तरीय टेलीकॉम सुविधाएं मिलें। JIO के कारण भारत के टेलीकॉम उद्योग में ऐसी क्रांति आई कि क्या डेटा, क्या कॉल रेट, सभी के दामों में भारी गिरावट आई। उदाहरण के लिए जो इंटरनेट प्रति जीबी 250 रुपए से अधिक के दाम पर 2014 में मिलता था, आज वो मात्र 12 रुपए प्रति जीबी के हिसाब से उपलब्ध है।
इसके अलावा जियो तकनीक के मामले में चीन से भी कम लागत पर उत्कृष्ट सुविधाएं प्रदान कर सकता है। इतना ही नहीं, JIO के स्वामी और प्रख्यात उद्योगपति मुकेश अंबानी ने 25 फरवरी को अमेरिका के टेलीकम्युनिकेशन के सूरमाओं के साथ हुई एक मेगा कॉन्फ्रेंस में ये खुलेआम घोषणा की थी, “हमारी कंपनी दुनिया में पहली ऐसी कंपनी होगी, जिसके 5 जी तकनीक का एक भी उपकरण चीनी मूल का नहीं है”।
पर जियो की खूबियां यहीं पर खत्म नहीं होती। JIO तकनीक के मामले में लगातार आगे बढ़ रहा है। जियो सक्रिय रूप से कार्बनिक और अकार्बनिक अप्रोच के मिश्रण के माध्यम से 5जी और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) प्रौद्योगिकी कैपेसिटी का निर्माण कर रहा है। यह कदम न केवल भारत में, बल्कि विश्व स्तर पर भी अपने आप में एक अनोखा कदम है, क्योंकि अधिकांश ऑपरेटर नेटवर्क उपकरणों के लिए टेक्नोलॉजी वेंडर पर निर्भर हैं।
5जी तकनीक की अहमियत को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि हमें चीन की कंपनी हुवावे और JIO के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिल सकती है। हुवावे को 5जी तकनीक के मामले में अभी दुनिया की सबसे एडवांस्ड कंपनी माना जाता है। ऐसे में अब सिर्फ जियो और हुवावे के बीच ही हमें कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है।
अब तक रिलायंस JIO के प्रदर्शन को देखते हुए और मुकेश अंबानी के बिजनेस स्टाइल को ध्यान में रखते हुए यह कहा जा सकता है कि आने वाले दशक में हुवावे को जियो ना केवल प्रतिस्पर्धा में पछाड़ सकता है, बल्कि विश्व के समक्ष एक बेहतर और कम लागत वाला विकल्प पेश कर सकता है।