पाकिस्तान में फंसे भारत के रिटायर्ड नौसेना अधिकारी कुलभूषण जाधव के मामले में वकील हरीश साल्वे ने एक बड़ा बयान दिया है। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के स्पष्ट निर्देश के बावजूद पाकिस्तान भारत को रिटायर्ड नौसेना अधिकारी कुलभूषण जाधव से मिलने नहीं दे रहा है। वरिष्ठ वकील और अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में भारत के वकील हरीश साल्वे ने कहा है कि पाकिस्तान के रवैये को देखते हुए भारत को एक बार फिर से इंटरनेशनल कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा।
क्या कहा हरीश साल्वे ने ?
एक ऑनलाइन लेक्चर में रिटायर्ड नेवी ऑफिसर कुलभूषण जाधव से जुड़े मामले की जानकारी देते हुए हरीश साल्वे ने कहा कि, “पाकिस्तान ने इसे ईगो का मामला बना लिया है। हमलोगों ने पाकिस्तान को कई लेटर लिखा लेकिन वे हमेशा इनकार करते रहते हैं।“ हरीश साल्वे ने कहा, “मुझे लगता है कि हम उस पॉइंट पर पहुंच गए हैं, जहां हमें ये तय करना पड़ सकता है कि क्या हमें फिर से अंतरराष्ट्रीय अदालत जाना चाहिए ताकि एक बार फिर से पाकिस्तान को दिशा-निर्देश दिया जा सके, पाकिस्तान पिछले आदेश पर एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा है।”
नहीं सुन रहा पाकिस्तान
हरीश साल्वे ने कहा कि हम पाकिस्तान को लगातार समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि कुलभूषण जाधव को रिहा किया जाए। यदि वे ऐसा कहते हैं कि वे मानवता के आधार पर उसे छोड़ रहे हैं तो वे ऐसा भी कर सकते हैं, भारत उन्हें हर हाल में वापस लाना चाहता है।
बता दें कि जुलाई 2019 में नीदरलैंड स्थित अंतरराष्ट्रीय अदालत ने करीब 26 महीने चली सुनवाई के बाद दिए फैसले में भारत के हक में निर्णय सुनाते हुए कुलभूषण जाधव के लिए कॉन्सुलर सम्पर्क की इजाज़त देने को कहा था। साथ ही जाधव के मामले की सिविलियन अदालत में सुनवाई के लिए भी अवसर मुहैया कराने को कहा था।
कौन है कुलभूषण जाधव?
बता दें, कि कुलभूषण जाधव मुंबई के रहने वाले एक पूर्व नौसेना अधिकारी है जो सेवानिवृत होने के बाद ईरान के चाबहार बंदरगाह पर अपना व्यापर कर रहे थे।
वहीं से कुलभूषण जाधव का अपहरण कर पाकिस्तान लाया गया और फिर उनपर जासूसी का झूठा मुकदमा चलाया गया। मुक़दमे के बाद पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई थी, जिसके खिलाफ भारत ने अंतरराष्ट्रीय अदालत का रुख किया था। उसके बाद मई 2017 में आईसीजे ने भारत के पक्ष में फैसला सुनाते हुए पाकिस्तान द्वारा कुलभूषण को फांसी दिए जाने पर रोक लगा दी थी। अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में करीब दो साल की लड़ाई के बाद इस मामले में आखिरी सुनवाई इसी साल 18 से 21 फरवरी तक हुई थी।
हरीश साल्वे भारत के एक वरिष्ठ वकील हैं और आईसीजे में शुरू से ही वे कुलभूषण मामले को देखते आए हैं। वर्ष 2017 में जब आईसीजे ने भारत के पक्ष में फैसला सुनाया था, तब हरीश साल्वे की इसमें सबसे बड़ी भूमिका थी। तब उन्होंने सिर्फ 1 रुपए की फीस लेकर भारत के पक्ष को आईसीजे के सामने रखा था और आईसीजे में पाकिस्तान को एक्सपोज किया था। तब हरीश साल्वे ने बताया था कि कैसे पाकिस्तान ने कुलभूषण को काउंसलर एक्सेस ना देकर अंतराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन किया है। पिछले वर्ष अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट ने इस मामले में भारत के पक्ष में ही अंतिम फैसला सुनाया था।
हरीश साल्वे समय-समय पर अलग-अलग मुद्दों पर अपनी राय रखते रहते हैं। CAB का मामला हो, या कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का मामला, सभी पर अपनी राय रखते हुए हरीश साल्वे ने केंद्र सरकार के पक्ष का ही समर्थन किया था और कहा था कि भारत सरकार के ये कदम संविधान के तहत ही लिए गए हैं।
अब उन्होंने भारत सरकार को यह स्पष्ट संदेश दिया है कि अब सरकार को दूसरे रास्तों पर गौर करना चाहिए जिससे वे कुलभूषण जाधव को इस्लामिक देश पाकिस्तान से वापस भारत ला सके।