भारत शुरु से ही दुनियाभर के छोटे देशों की मदद करता आ रहा है. आपको याद होगा कि पीएम मोदी ने अपने पहले और दूसरे कार्यकाल में कैसे चीन को घेरने के लिए छोटे द्वीपीय देशों को की मदद की थी. इन्हीं में से मॉरीशस का नाम भी एक है. पीएम मोदी ने यहां पिछले साल 3 अक्टूबर को एक अस्पताल का उद्घाटन किया था. आज यही अस्पताल कोरोना के मरीजों का इलाज कर रहा है.
इसके साथ ही भारत की आयुष मंत्रालय और ट्रेडिशनल दवाओं के क्षेत्रों में मारिशस भागीदार है. दोनों देशों ने ऑनलाइन वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए कोरोना से निपटने की मीटिंग भी की थी. इसी मीटिंग में मॉरिशस में फंसे भारतीयों के निकालने की बात हुई थी.
मॉरिशस में भारतीय उच्चायुक्त तन्मय लाल ने कहा कि यहां फंसे भारतीयों की मदद भी मॉरिशस की सरकार कर रही है. यानि दोनों देश एक दूसरे की मदद में जुटे हैं.
दवाइयों की खेप भी भेज चुका है भारत
इतना ही नहीं भारत जिस तरह से दुनियाभर के देशों को दवाइयां भेज रहा है वैसे ही मॉरिशस के लिए दवाओं की खेप भेजी है. दरअसल, बीते बुधवार को मॉरिशस और सेशेल्स को कोरोना से निपटने के लिए भारत ने एचसीक्यू और कई जीवन रक्षा दवाएं दान में दे दिया. पोर्ट लुई से मॉरीशस की डीप्टी पीएम ने एचसीक्यू की पांच लाख टैबलेट्स की खेप हासिल कीं. सबसे जरुरी बात यह कि भारत ऐसा पहला देश है जिसने मॉरिशस को दवाई मुफ्त में दी है।
दवाइयों की खेप प्राप्त करते ही मॉरिशस के पीएम ने प्रधानमंत्री मोदी का आभार व्यक्त किया और कहा-
‘’एयर इंडिया की एक विशेष उड़ान द्वारा कल चिकित्सा आपूर्ति के उदार दान के लिए मैं भारत सरकार से प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का बहुत आभारी हूं।‘’
I am very thankful to Prime Minister Narendra Modi for the generous donation of medical supplies from the Government of India which reached Mauritius yesterday, Wednesday, April 15, by a special flight of Air India: Prime Minister of Mauritius, Pravind Jugnauth (file pic) pic.twitter.com/DaFYaQ1Xro
— ANI (@ANI) April 16, 2020
यूं तो भारत ने सिर्फ कुछ ही देशों को एचसीक्यू और जरुरी दवाएं देने का फैसला किया है, जिसमें मॉरिशस को भारत ने अपने रणनीतिक हिसाब से बेहद ज्यादा तवज्जो दिया है. जिससे दोनों देशों के बीच घनिष्ठ संबंध साफ देखा जा सकता है.
यहां के कण-कण में भारतीय संस्कृति का वास है
मालूम हो कि भारत और मॉरिशस का संबंध बेहद गहरा और पुराना है. जहां 180 वर्ष से अधिक समय पहले भारत के गिरमिटिया मजदूरों का पहला जत्था गन्ना बागानों में काम करने के लिए गया था. बाद में अंग्रेजों के जाने के बाद इन्हीं गिरमिटिया मजदूरों ने मॉरिशस नाम के एक राष्ट्र को बनाया जो दुनियाभर में पर्यटन के लिए प्रसिद्ध है. यहां के कण-कण में भारतीय संस्कृति का वास है.
मॉरीशस में बैठकर चीन को चुनौती देता है भारत
बता दें कि हिंद महासागर की गोद में बैठा मारिशस भारत के लिए किसी परिवार से कम नहीं है. हिंद महासागर में अगर हम चीन को आज चुनौती दे पा रहे हैं तो यह मॉरिशस और शेसेल्स की वजह से ही संभव हुआ है.
ऐसे में मॉरिशस को अस्पताल, दवाएं देकर और इलाज करने के तरीकों को साझा करके भारत ने बेहद शानदार काम किया है. भारत के इस कदम से जरूर चीन चिंता में होगा. आज दुनिया को पता चल रहा है कि भारत ने पिछले कुछ सालों में जो कुछ भी इन देशों को मदद के रूप में दिया था आज उसका प्रत्यक्ष रूप से फायदा मिल रहा है.