भारत के राजदूत सौरभ कुमार ने मंगलवार को म्यांमार के स्वास्थ्य और खेल मंत्रालय को 2,00,000 हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (HCQ) की गोलियां सहित मेडिकल सप्लाई सौंपी। भारत द्वारा भेजे गए मेडिकल सप्लाई में सर्जिकल पंप, सिरिंज पंप, ग्लूकोमीटर, थर्मल स्कैनर और मेडिकल एयर कंप्रेशर्स आदि शामिल है। भारतीय दूतावास ने कहा कि भारत द्वारा यह योगदान दोनों देशों के बीच पारंपरिक रूप से मैत्रीपूर्ण संबंधों का संकेत है।
म्यांमार भारत के लिए कई कारणों से एक अहम पड़ोसी है। पड़ोसी देश होने के कारण भारत के लिए बर्मा का आर्थिक, राजनीतिक और रणनीतिक महत्व भी है। भारत और म्यांमार की सीमाएं आपस में लगती हैं जिनकी लंबाई 1600 किमी से भी अधिक है तथा बंगाल की खाड़ी में एक समुद्री सीमा से भी दोनों देश जुड़े हुए हैं।
लेकिन म्यांमार के साथ हमेशा यह देखा गया है कि वह चीन के साथ अधिक मैत्रीपूर्ण है और यह न सिर्फ भारत बल्कि पूरे साउथ ईस्ट एशिया के लिए खतरे की बात है। अभी कोरोना के समय में लगभग सभी देश चीन से नाराज हो चुके हैं। पहले कोरोना के बारे में दुनिया को न बताने के लिए और फिर घटिया मास्क तथा टेस्टिंग किट बेच कर फायदा कमाने की कोशिश के लिए।
हैरानी की बात यह है कि म्यांमार में जनता की लोकतान्त्रिक सरकार बनने के बाद से चीन और म्यांमार के संबद्धों में अचानक से तेज़ी देखी गयी थी। द्विपक्षीय आर्थिक संबंध पहले से अधिक गहरे दिखाई दे रहे हैं। म्यांमार बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव में शामिल हो चुका है तथा चीन-म्यांमार आर्थिक गलियारे को आकार देने की दिशा में दोनों देश मिलकर काम कर रहे हैं। म्यांमार के साथ इस तरह से चीन के रिश्तों का बढ़ना खतरे की घंटी है। बी. रमन की पुस्तक The Kaoboys of R&AW: Down Memory Lane में इस बात का उल्लेख किया गया है कि 1962 के युद्ध से पहले चीनी सैनिकों ने भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को धमकाने के लिए म्यांमार के रास्ते का इस्तेमाल किया था।
पूर्वोत्तर राज्यों के लिए भी महत्वपूर्ण है म्यांमार के साथ अच्छे संबंध
यही कारण है भारत को म्यांमार के साथ अपने सम्बन्धों को मजबूती देनी होगी। कोरोना के समय में विश्व के लगभग सभी देश कोरोना से जूझ रहे हैं। अन्य देशों के मुक़ाबले म्यांमार में अभी तक कोरोना के मात्र 161 पॉज़िटिव केस मिले हैं। भारत ने अपने covid dipolamcy का परिचय देते हुए इस महत्वपूर्ण पड़ोसी देश को HCQ सहित मेडिकल सप्लाइ देने का निर्णय किया।
म्यांमार के साथ अपने संबंधों को नए आयाम देना भारत के पूर्वोत्तर राज्यों के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। इससे कई नए आर्थिक द्वार खुलेंगे।
देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी म्यांमार महत्वपूर्ण है। पूर्वोत्तर राज्यों में जिस तरह से विद्रोही ताकत सक्रिय होते हैं उससे देखते हुए म्यांमार से अच्छे संबंधअत्यंत आवश्यक है।
विदेश मंत्रालय के अनुसार दोनों देशों ने सीमा क्षेत्र से बाहर प्रचालन करने वाले भारतीय विद्रोहियों से लड़ने के लिए वास्तविक समयानुसार सूचना को साझा करने के लिए संधि की है। इस संधि में सीमा एवं समुद्री सीमा के दोनों ओर समन्वित रूप से गश्त लगाने की परिकल्पना है तथा इसके लिए सूचना का आदान – प्रदान आवश्यक है ताकि विद्रोह, हथियारों की तस्करी तथा ड्रग, मानव एवं वन्य जीव के अवैध व्यापार से संयुक्त रूप से निपटा जा सके।
यही नहीं भारतीय जवानों ने 9 जून 2015 में म्यांमार की सीमा से लगे इलाके चंदेल में सर्जिकल स्ट्राइक की थी। इस सर्जिकल स्ट्राइक से पहले 4 जून को एनएससीएन-के के उग्रवादियों ने मणिपुर में सेना के काफिले पर कायराना हमला किया था। इस हमले में 18 जवान शहीद हो गए थे। इसके जवाब में ही भारत ने म्यांमार की सीमा में जा कर सर्जिकल स्ट्राइक की थी। दोनों देशों के बीच एक समझौते के तहत दोनों देशों के नागरिकों को 15 किलोमीटर तक जाने की अनुमति है।
म्यांमार न केवल SAARC, BIMSTEC और ASEAN का सदस्य है, बल्कि तेजी से बढ़ते पूर्व और दक्षिणपूर्व एशिया की अर्थव्यवस्था का गेटवे भी है। पिछले दशक में भारत का व्यापार इस पड़ोसी देश के साथ दोगुने से भी अधिक बढ़ा है। बता दें कि 70 और 80 के दौर में दोनों देशों के बीच कोई बहुत अच्छे संबंध नहीं थे। इसका कारण म्यामांर में लोकतन्त्र को हटा कर सैन्य शासन की स्थापना था। दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार 1990 के बाद से शुरू हुआ।
भारत और म्यांमार के संबंध मजबुत करते 5 बी
लेखक मनीष चंद के अनुसार बौद्ध धर्म, व्यवसाय, बॉलीवुड, भरतनाट्यम और बर्मा का टीक(शाल) – ये 5 बी हैं जो आम जनता की दृष्टि से भारत – म्यांमार संबंध का निर्माण करते हैं। भारत का म्यांमार के साथ ऐतिहासिक रूप से सांस्कृतिक रिश्ता रहा है। घरेलू व्यापार के लिहाज से भी म्यांमार अहम है क्योंकि भारत द्वारा प्रस्तावित कलादान प्रॉजेक्ट के जरिए म्यामांर के sittwe पोर्ट और कोलकाता का सीधा संपर्क स्थापित हो सकेगा।
भारत ने म्यांमार से आए रोहिगंया शरणार्थियों के लिए हमेशा कड़ा रुख अपनाया है। 40 हजार या उससे अधिक शरणार्थियों भारत में रहते हैं लेकिन सरकार उन्हें वापस भेजने की हरसंभव कोशिश कर रही है। और रोहिंग्या भारत न आए इसके लिए म्यांमार के रखाइन प्रांत में भारत ने रोहिंग्याओं के लिए घर भी बना दिया है।
यह भारत और म्यांमार बीच बढ़ते संबद्धों की पुष्टि करता है। अब भारत ने कोरोना जैसी महामारी में म्यांमार को मदद की है। यही समय है कि भारत अपने एक्ट ईस्ट पॉलिसी को और मजबूती से पालन करे जिससे चीन के प्रभावित देश भारत के साथ अपने संबंध मजबूत कर सकें।