मौजूदा समय में जिस रास्ते पर नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली चल रहे हैं, आज से कुछ महीनों पहले मलेशिया के प्रधानमंत्री मोहम्मद महातिर भी चल रहे थे लेकिन क्या हश्र हुआ ये सभी को पता है. दरअसल, मलेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री मोहम्मद महातिर ने भारत के अंदरुनी मामलों में खूब हस्तक्षेप किया.
महातिर ने पहले यूएन में कश्मीर और अनुच्छेद 370 पर खूब हल्ला मचाया उससे बाद सीएए पर भी उन्होंने पाकिस्तान का बोल बोला और उनकी सरकार गिर गई. इसी तरह केपी ओली शर्मा की भी है. फिलहाल महातिर के बारे में पहले जान लीजिए.
दरअसल, मलेशिया के तत्कालीन प्रधानमंत्री ने यूएन में जम्मू-कश्मीर पर कहा था-
“जम्मू एवं कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के बावजूद, देश पर हमला किया गया है और कब्जा कर लिया गया है, ऐसा करने के कारण हो सकते हैं, लेकिन यह फिर भी गलत है। भारत को चाहिए कि वह पाकिस्तान के साथ मिलकर काम करे और इस समस्या का समाधान करे”।
भारत ने महातिर मोहम्मद को इस पर चेतावनी भी दी लेकिन उन्होंने एंटी इंडिया बोल पर कोई रोक नहीं लगाई और सीएए कानून पर भी भारत के खिलाफ रुख अपनाते हुए बोले-
“मैं ये देखकर दुखी हूं कि जो भारत अपने को सेक्युलर देश होने का दावा करता है, वो कुछ मुसलमानों की नागरिकता छीनने के लिए क़दम उठा रहा है। अगर हम यहां ऐसे करें, तो मुझे पता नहीं है कि क्या होगा। हर तरफ़ अफ़रा-तफ़री और अस्थिरता होगी और हर कोई प्रभावित होगा”।
इन बयानों के बाद मलेशिया की पाम ऑइल इंडस्ट्री को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था। वहां की मीडिया से लेकर वहां के लोगों तक ने अपने प्रधानमंत्री की कड़ी निंदा की थी और उन्हें नसीहत भी दी कि वे भारत के अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप करने से बचें.
हालांकि महातिर अपने आदत से मजबूर थे और लगातार भारत विरोधी रूख अपनाने के कारण उनकी लोकप्रियता में काफी कमी आई और उनके खिलाफ आवाज उठने लगी. पाम ऑयल पर निर्भर रहने वाले देश को भारत ने घुटने पर ला दिया और अर्थव्यवस्था भी चौपट होने लगी. लिहाजा जिस पार्टी ने महातिर को समर्थन दिया था उसने हाथ खींच लिए और उनकी सरकार गिर गई. मौजूदा समय में मलेशिया के पीएम मुहयुद्दीन हैं जो भारत से लगातार संबंध सुधार रहे हैं. भारत ने अभी पाम आयल इम्पोर्ट को शुरु भी कर दिया है.
केपी शर्मा ओली की कहानी भी महातिर से कम नहीं
अब बात नेपाल के पीएम केपी ओली शर्मा की करते हैं. वे इन दिनों चीन के गुलाम की तरह काम कर रहे हैं. इस बारे में हमनें आपको बताया था कि कैसे चीन ने नेपाल ओली सरकार को गिरने से बचाया और फिर उसका भारत के खिलाफ बॉर्डर विवाद में प्रयोग कर रहा है. चीन के इशारों पर नेपाल भारतीय क्षेत्र को अपना बता रहा है और उसे अपने नक्शे में दिखा रहा है.
नेपाल की कम्युनिस्ट सरकार भले ही गिरने से बच गई लेकिन कब तक चलेगी?
हालांकि मौजूदा समय में भले ही केपी शर्मा ओली ने चीनी हस्तक्षेप के कारण अपनी सरकार बचा ली हो लेकिन सरकार लंबे समय तक चले इसका कोई भरोसा नहीं है. क्योंकि कम्युनिस्ट पार्टी दो खेमें में बंट चुकी है. इसके साथ ही कल एक रिपोर्ट सामनें आई थी कि लिपुलेख में नेपाली झंडा फहराने कुछ कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ता जा रहे थे लेकिन उन्हें अपनों का ही विरोध झेलना पड़ गया.
नेपाली लोगों ने कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ताओं को पीट-पीटकर भगाया
दरअसल, नेपाल के डुमलिंग गाँव में कम्युनिस्ट पार्टी के कुछ कार्यकर्ता भारतीय क्षेत्र को अपना क्षेत्र बताने के लिए अपना झंडा फहराने गए थे परंतु नतीजा कुछ और हुआ। उन कम्युनिस्टों को डुमलिंग के निवासियो ने पहले तो समझाया लेकिन वे जब नहीं माने तो गांव वालों ने उन सभी को मार-पीट कर भगा दिया।
दो खेमे में नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी
अब इसी तरह नेपाल में चीन के बढ़ते प्रभाव से वहां के लोग और विपक्षी पार्टी भी काफी गुस्से में है. कम्युनिस्ट पार्टी भी दो खेमें में बंट गई है. नेपाल पर चीन का कर्ज भी बढ़ रहा है. आय दिन नेपाली लोग और चीनी कामगारों से लड़ाई की खबरें आती रहती हैं.
एवरेस्ट मामले में भी नेपाली-भारतीय चीन विरोध में साथ-साथ दिखे. नेपाली मजदूर, छोटे व्यापारी, छात्र भारत पर काफी निर्भर हैं. ऐसे में कहा जा सकता है कि आने वाले दिनों में केपी ओली शर्मा की कम्युनिस्ट सरकार गिर सकती है. वहां की जनता और विपक्षी पार्टीयां नेपाल को जल्द ही चीनी एजेंडे से बाहर निकालेंगी.