बसपा प्रमुख और चार बार उत्तर प्रदेश की कमान संभाल चुकी मायावती एक बार फिर से एनडीए की ओर अपनी रुचि दिखा रही हैं। पिछले कुछ ट्वीट्स को देखकर तो यही लगता है कि मायावती भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए के साथ फिर जुड़ने को तैयार हैं।
राजस्थान की सरकार द्वारा श्रमिक बस घोटाले को लेकर मायावती ने ट्वीटों की झड़ी लगा दी, जहां उन्होंने कांग्रेस को उसकी निकृष्ट राजनीति के लिए आड़े हाथों लिया। एक ट्वीट में वह कहती हैं-
“आज पूरे देश में कोरोना लाॅकडाउन के कारण करोड़ों प्रवासी श्रमिकों की जो दुर्दशा दिख रही है उसकी असली कसूरवार कांग्रेस है क्योंकि आजादी के बाद इनके लम्बे शासनकाल के दौरान अगर रोजी–रोटी की सही व्यवस्था गाँव/शहरों में की होती तो इन्हें दूसरे राज्यों में क्यों पलायन करना पड़ता?”
1. आज पूरे देश में कोरोना लाॅकडाउन के कारण करोड़ों प्रवासी श्रमिकों की जो दुर्दशा दिख रही है उसकी असली कसूरवार कांग्रेस है क्योंकि आजादी के बाद इनके लम्बे शासनकाल के दौरान अगर रोजी-रोटी की सही व्यवस्था गाँव/शहरों में की होती तो इन्हें दूसरे राज्यों में क्यों पलायन करना पड़ता? 1/4
— Mayawati (@Mayawati) May 23, 2020
पर मायावती यहीं नहीं रुकी। उन्होंने आगे कहा, “वैसे ही वर्तमान में कांग्रेसी नेताओं द्वारा लॉकडाउन त्रासदी के शिकार कुछ श्रमिकों के दुःख-दर्द बांटने सम्बंधी जो वीडियो दिखाए जा रहे हैं वह हमदर्दी वाला कम व नाटक ज्यादा लगता है। कांग्रेस अगर यह बताती कि उसने उनसे मिलते समय कितने लोगों की वास्तविक मदद की है तो यह बेहतर होता”।
2. वैसे ही वर्तमान में कांग्रेसी नेता द्वारा लाॅकडाउन त्रासदी के शिकार कुछ श्रमिकों के दुःख-दर्द बांटने सम्बंधी जो वीडियो दिखाया जा रहा है वह हमदर्दी वाला कम व नाटक ज्यादा लगता है। कांग्रेस अगर यह बताती कि उसने उनसे मिलते समय कितने लोगों की वास्तविक मदद की है तो यह बेहतर होता।2/4
— Mayawati (@Mayawati) May 23, 2020
इसके अलावा मायावती ने ये भी बताया कि कैसे भाजपा को कांग्रेस की प्रवृत्ति पर ना चलकर भारत के मजदूरों के लिए आवश्यक प्रबंध कराना चाहिए। उनके अनुसार, “बीजेपी की केन्द्र व राज्य सरकारें कांग्रेस के पदचिन्हों पर ना चलकर, इन बेहाल घर वापसी कर रहे मजदूरों को उनके गांवों/शहरों में ही रोजी-रोटी की सही व्यवस्था करके उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की नीति पर यदि अमल करती हैं तो फिर आगे ऐसी दुर्दशा इन्हें शायद कभी नहीं झेलनी पड़ेगी”.
3. साथ ही, बीजेपी की केन्द्र व राज्य सरकारें कांग्रेस के पदचिन्हों पर ना चलकर, इन बेहाल घर वापसी कर रहे मजदूरों को उनके गांवों/शहरों में ही रोजी-रोटी की सही व्यवस्था करके उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की नीति पर यदि अमल करती हैं तो फिर आगे ऐसी दुर्दशा इन्हें शायद कभी नहीं झेलनी पड़ेगी।
— Mayawati (@Mayawati) May 23, 2020
यही नहीं, मायावती ने बसपा के कार्यकर्ताओं से भी अपील की, “बीएसपी के लोगों से भी पुनः अपील है कि जिन प्रवासी मजदूरों को उनके घर लौटने पर उन्हें गाँवों से दूर अलग-थलग रखा गया है तथा उन्हें उचित सरकारी मदद नहीं मिल रही है तो ऐसे लोगों को भी अपना मानकर उनकी भरसक मानवीय मदद करने का प्रयास करें। मजलूम ही मजलूम की सही मदद कर सकता है”.
4. बीएसपी के लोगों से भी पुनः अपील है कि जिन प्रवासी मजदूरों को उनके घर लौटने पर उन्हें गाँवों से दूर अलग-थलग रखा गया है तथा उन्हें उचित सरकारी मदद नहीं मिल रही है तो ऐसे लोगों को भी अपना मानकर उनकी भरसक मानवीय मदद करने का प्रयास करें। मजलूम ही मजलूम की सही मदद कर सकता है। 4/4
— Mayawati (@Mayawati) May 23, 2020
परन्तु मायावती के अंदर ये परिवर्तन यूं ही नहीं आया। कुछ दिनों पहले कांग्रेस द्वारा की गई बसों में घालमेल को लेकर काफी खरी खोटी सुनाई थी। बहनजी के ट्वीट के अनुसार–
“राजस्थान की कांग्रेसी सरकार द्वारा कोटा से करीब 12000 युवा-युवतियों को वापस उनके घर भेजने पर हुए खर्च के रूप में यूपी सरकार से 36.36 लाख रुपए और देने की जो माँग की है वह उसकी कंगाली व अमानवीयता को प्रदर्शित करता है। दो पड़ोसी राज्यों के बीच ऐसी घिनौनी राजनीति अति-दुखःद। लेकिन कांग्रेसी राजस्थान सरकार एक तरफ कोटा से यूपी के छात्रों को अपनी कुछ बसों से वापस भेजने के लिए मनमाना किराया वसूल रही है तो दूसरी तरफ अब प्रवासी मजदूरों को यूपी में उनके घर भेजने के लिए बसों की बात करके जो राजनीतिक खेल खेल कर रही है यह कितना उचित व कितना मानवीय?”
1. राजस्थान की कांग्रेसी सरकार द्वारा कोटा से करीब 12000 युवा-युवतियों को वापस उनके घर भेजने पर हुए खर्च के रूप में यूपी सरकार से 36.36 लाख रुपए और देने की जो माँग की है वह उसकी कंगाली व अमानवीयता को प्रदर्शित करता है। दो पड़ोसी राज्यों के बीच ऐसी घिनौनी राजनीति अति-दुखःद। 1/3
— Mayawati (@Mayawati) May 22, 2020
इसके अलावा जब केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के विशेषाधिकार संबंधी प्रावधानों को निरस्त किया था, तो मायावती ने सभी को चकित करते हुए केंद्र सरकार को अपना समर्थन दिया था।
ऐसे में ये स्पष्ट है कि मायावती अपने राजनीतिक अस्तित्व को बचाने के लिए एनडीए का दामन थामने को भी तैयार हैं। मायावती को आभास हो चुका है कि यदि उन्होंने स्थिति नहीं संभाली, तो उत्तर प्रदेश विधासभा चुनाव में सीट प्राप्त करना लगभग असम्भव हो जाएगा, 2024 के लोकसभा चुनावों में कोई छाप छोड़ना बहुत दूर की बात।