कभी पूरा विश्व ही भारत था, अधिकतर लोग हिन्दू थे- वियतनाम में 9वीं सदी के शिवलिंग की खोज हुई है

ये है हिन्दुत्व की शान!

वियतनाम

एक बार फिर से यह सिद्ध हो गया कि विश्व का अधिकतर भाग भारत था और अधिकतर रहने वाले लोग सनातन धर्म का पालन करते थे। भारत की जड़े ईरान से लेकर वियतनाम तक फैली हैं। हाल ही में ASI को वियतनाम में 9वीं शताब्दी का शिवलिंग मिला है जिसे स्वयं विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने ट्वीटर से ट्वीट कर बताया।

दरअसल, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को गत बुधवार एक संरक्षण परियोजना की खुदाई के दौरान 9वीं शताब्दी का शिवलिंग मिला है। यह शिवलिंग बलुआ पत्थर का है और इसे किसी तरह की हानि नहीं पहुंची है। यह शिवलिंग वियतनाम के माई सोन मंदिर परिसर की खुदाई के दौरान मिला है।

इस प्राचीन मंदिर के मिलने पर ASI की प्रशंसा करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर लिखा कि, “9वीं शताब्दी का अखंड बलुआ पत्थर शिवलिंग वियतनाम के माई सोन मंदिर परिसर में जारी संरक्षण परियोजना की नवीनतम खोज है। इसके लिए मेरी ओर से ASI की टीम को बहुत बधाई।”

इस मंदिर परिसर से पहले भी कई मूर्तियां और कलाकृतियां मिली हैं, जिनमें भगवान राम और सीता की शादी की कलाकृति और नक्काशीदार शिवलिंग प्रमुख हैं।

वियतनाम स्थित ‘माई सन मंदिर’ पर हिन्दू प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है और यहां कृष्ण, विष्णु तथा शिव की मूर्तियां हैं।

यह मंदिर परिसर, वियतनाम के क्वांग नाम प्रांत में स्थित है जो यूनेस्को विश्व विरासत स्थल का हिस्सा है। इसे 9 वीं शताब्दी ईस्वी में राजा इंद्रवर्मन द्वितीय के शासनकाल के में बनाया गया था, जिन्होंने उस समय में प्रसिद्ध डोंग डोंग बौद्ध मठ भी बनवाया था।

यूनेस्को के शब्दों में कहे तो यह एक अनूठी संस्कृति है जो समकालीन वियतनाम के तट पर विकसित भारतीय हिंदू धर्म के बारे में बताती है।

हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, ASI की चार सदस्यीय टीम वियतनाम में चाम मंदिर परिसर में मंदिर में मिलने वाले तथ्यों के restoration के काम में लगी है। पिछले तीन सत्रों में, ASI ने इस मंदिर परिसर में दो अलग-अलग समूहों में स्थित मंदिरों को restore किया है, और अब टीम मंदिरों के तीसरे समूह पर काम कर रही है।

वियतनाम का चंपा क्षेत्र प्राचीन काल में हिंदू राज्य और हिंदू धर्म का गढ़ था। यहां स्थानीय समुदाय चाम का शासन दूसरी शताब्दी से 18वीं शताब्दी तक रहा था। चाम समुदाय में ज्यादातर लोग हिंदू थे, लेकिन आगे चलकर इस समुदाय के कई लोगों ने बौद्ध और इस्लाम धर्म को अपना लिया।

वियतनाम में कई प्रमाण ऐसे मिले हैं  जिससे यह सिद्ध होता है कि वहाँ हिन्दू धर्म का कितना प्रभाव था। दूसरी शताब्दी के संस्कृत भाषा और ब्राह्मी लिपि में मिले शिलालेख इसी ओर इशारा करते हैं।

वियतनाम में बने मंदिरों पर भी भारत की कलाओं का प्रत्यक्ष प्रमाण मिलता है। वहाँ बने मंदिरों पर भारत के दक्षिण भारत के मंदिरों का खास प्रभाव है। वहीं हिन्दू देवी देवताओं की मूर्तियों और पत्थर पर बने कलाकृतियों पर मथुरा गांधार अमरावती और कलिंग का प्रभाव नजर आता है। चम्पा प्रशासन के दौरान वियतनाम में शैव परंपरा को मनाने वाले थे जिसके कारण से शिवलिंग मिला है। आज भी वियतनाम के मध्य-क्षेत्रीय प्रान्तों में चाम के स्मारकों-मंदिरों के ध्वंसावशेष मौजूद हैं। वियतनाम में चाम के सैकड़ों हजारों वंशज मौजूद हैं। वियतनाम के राष्ट्रीय प्रशासन की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, “उनके कई तीर्थस्थल शिव का सम्मान करते हैं।” जिससे यह स्पष्ट होता है कि शैव परंपरा का कितना महत्व है

इंडोनेशिया, मालदीव, मलेशिया और अन्य दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में हिंदू सभ्यता के सांस्कृतिक पदचिह्न आज तक दिखाई देते हैं। कहा जाता है कि हिंदू धर्म पहली शताब्दी में इंडोनेशिया पहुंच गया था, जिसके बाद से वहाँ के लोग सनातन धर्म का पालन करते हैं। हालांकि, 15-16वीं शताब्दी में इस्लामिक आक्रमण के बाद से लोगों का धर्मपरिवर्तन किया गया।

दक्षिण-पूर्व एशिया में हिंदू सभ्यता का सबसे गहरा प्रभाव पड़ा है, शायद इसलिय आज इंडोनेशिया निश्चित रूप से इंडोनेशिया और मलेशिया जैसे देशों में मुस्लिम बहुसंख्यक धर्म होने के बावजूद लोग अपनी हिंदू जड़ों को नहीं भूले हैं।

वियतनाम में शानदार बलुआ पत्थर शिव लिंगम की खोज से हिंदू सभ्यता की का विस्तार का एक और प्रमाण सामने आया है। भारत में गैर-विस्तारवादी संस्कृति होने के बावजूद, पूरे विश्व भर में हिंदू धर्म का विस्तार हुआ है। आज भले ही भारत की किताबों को सिर्फ मुगलों और अंग्रेजों तक सीमित कर दिया गया है लेकिन विश्व के कोने कोने में मिलने वाली भारतीय परंपरा के चिन्ह से यह और अधिक प्रमाणित होता है कि भारत के युवाओं को कैसे तोड़ मरोड़ कर इतिहास पढ़ाया गया है।

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