1991 में नरसिम्हा राव और 2020 में PM मोदी- जानें कैसे मोदी सरकार इकॉनमी को बूस्ट कर रही है

अर्थव्यवस्था की हालात और प्रधानमंत्रियों के फैसले एक जैसे

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आज कोरोना वायरस के दौरान भारत सरकार के सामने लोगों के जीवन के साथ-साथ अर्थव्यवस्था बचाने की भी बड़ी चुनौती पेश आ रही है। लॉकडाउन के कारण लाखों लोग अपने रोजगार से हाथ धो बैठे हैं और इसके साथ ही देश की कंपनियों पर भी बड़ा वित्तीय संकट आन खड़ा हुआ है। आज की स्थिति की अगर वर्ष 1991 की स्थिति से तुलना की जाये, तो यह समझना आसान होगा कि जिस प्रकार तब प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव के नेतृत्व में भारत में उदारीकरण को अंजाम दिया गया था, ठीक उसी प्रकार आज पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार कोरोना की स्थिति से निपटने के लिए बड़े पैमाने पर सुधारों को अंजाम दे रही है। पीएम मोदी कोरोना की स्थिति से निपटने के लिए पहले ही 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज का ऐलान कर चुके हैं, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था की सूरत बदल सकती है।

आइए अब आपको सिलसिलेवार तरिके से बताते हैं कि मोदी सरकार ने किस क्षेत्र में किन बड़े सुधारों को अंजाम दिया है:

किसानों के लिए: प्रधानमंत्री मोदी द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज के घोषणा के तीसरे दिन मोदी सरकार ने इन सुधारों पर अपनी सहमति जताई।

इसके अलावा वित्तमंत्री ने ऑपरेशन ग्रीन के तहत सभी फल और सब्जियों को सब्सिडी युक्त आपूर्ति की व्यवस्था का ऐलान किया है। इसका मतलब है कि अधिक उत्पादन वाले इलाकों से कम उत्पादन वाली जगहों पर इनकी आपूर्ति, भंडारण और परिवहन के खर्च पर 50 फीसदी सब्सिडी दी जाएगी। मोदी सरकार पहले ही वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का संकल्प ले चुकी है। केंद्र सरकार द्वारा किए जा रहे ये सुधार बेशक किसानों की स्थिति को बेहतर करने मेँ अहम भूमिका निभाएंगे।

व्यवसाय के लिए:

कोरोना के दौरान अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने MSMEs के लिए बिना गारंटी के 3 लाख करोड़ रुपये के लोन देने की घोषणा की थी, जिसका लगभग 45 लाख MSME फायदा उठा सकेंगे। इसकी समय-सीमा 4 वर्ष की होगी और 12 महीने तक मूलधन भी नहीं चुकाना होगा। अभी मोदी सरकार ने इस लोन के लिए ब्याज दर निर्धारित नहीं की है, और आने वाले दिनों में ब्याज दर की घोषणा भी की जा सकती है। सरकार ने साथ में MSMEs की परिभाषा को भी और ज़्यादा विस्तृत कर दिया है ताकि सरकार के इन फैसलों का अधिक से अधिक बिजनेस फायदा उठा सकें।

Agriculture सेक्टर के बाद देश में MSME ही सबसे ज़्यादा रोजगार पैदा करता है। अगर यह सेक्टर धराशायी हो जाता है, तो देश की अर्थव्यवस्था को दोबारा पटरी पर लाना असंभव जो जाएगा। करोड़ों लोग बेरोजगार हो जाएंगे और देश कई साल पीछे चला जाएगा। कल वित्त मंत्री ने लगभग 6 लाख करोड़ रुपयों के राहत पैकेज संबन्धित जानकारी को देश से साझा किया जिसमें से लगभग 4 लाख करोड़ रुपयों को MSME के लिए ही आवंटित किया गया था। देश के माध्यम वर्गीय व्यवसायों के लिए यह राहत पैकेज किसी जड़ी-बूटी से कम नहीं है और यह भविष्य मेँ इस सेक्टर के विकास मेँ अपनी बड़ी भूमिका निभा सकता है।

वन नेशन वन राशन कार्ड:

केंद्र सरकार पहले ही देश मेँ वन नेशन वन राशन कार्ड को लागू करने की बात कह चुकी है। वित्त मंत्री के मुताबिक यह योजना सार्वजनिक वितरण से जुड़ी 83 फीसदी आबादी को कवर करेगी। वहीं 23 राज्यों में मौजूद 67 करोड़ राशनकार्ड धारक (जो कुल PDS आबादी का 83 फीसदी है) अगस्त, 2020 तक नेशनल पोर्टेबिलिटी के तहत आ जाएंगे। इसके साथ ही मार्च 2021 से पहले 100 फीसदी नेशनल पोर्टेबिलिटी हासिल कर ली जाएगी। बता दें कि पहले वन नेशन वन राशन कार्ड योजना को 1 जनू 2020 से देशभर में लागू करने की बात कही जा रही थी। अगर यह योजना सफल रहती है तो देश मेँ उस योजना के लाभार्थी अपने कार्ड से देश के किसी भी कौने मेँ अपने हिस्से का राशन सरकारी डिपो से ले सकेंगे।

शिक्षा से जुड़े सुधार:

कोरोना के समय देश मेँ ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा मिला है, और ऐसे मेँ सरकार ने कक्षा 1 से लेकर कक्षा 12 तक DTH पर शिक्षा से जुड़े चैनल लॉंच करने का फैसला लिया है। ये सुधार आने वाले समय मेँ देश मेँ शिक्षा सेक्टर के विकास मेँ बड़ी भूमिका निभाने वाले हैं।

निजीकरण:

पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज पॉलिसी के रूप में भारत सरकार ने भारत को आत्मनिर्भर बनाने का फैसला किया है। भारत में कुछ निश्चित क्षेत्रों में पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहेंगे, इसके लिए एक नई नीति बनाई जा रही है। इसके साथ ही सभी सेक्टर को निजी क्षेत्र के लिए खोला जा रहा है। रक्षा क्षेत्र में सरकार ने FDI को 49 प्रतिशत से 74 प्रतिशत निवेश को मंजूरी दे दी है, जिससे देश में प्राइवेट सेक्टर डिफेंस क्षेत्र में और अधिक सक्रिय भूमिका निभा सकता है।

वर्ष 1991 के बाद देश में सबसे बड़े पैमाने पर आर्थिक सुधार किए जा रहे हैं, और यह भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनमी को बनाने में बड़ी भूमिका निभाने वाला है।

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