‘न मुस्लिम, न अल्पसंख्यक, तुम लोग देशद्रोही हो’, पाकिस्तान ने अल्पसंख्यक आयोग में अहमदियों को शामिल करने से मना कर दिया

भेदभाव के मामले में पाकिस्तान का कोई सानी नहीं है

अहमदिया

आए दिन कश्मीर और भारतीय मुस्लिमों पर कथित अत्याचार का रोना रोने वाले इमरान खान के देश पाकिस्तान से दोबारा ऐसी खबर आई है जिसे सुनकर इमरान खान को शर्म के मारे डूब कर मर जाना चाहिए, अगर उनमें ज़रा भी शर्म बाकी है तो! दरअसल, पाकिस्तान के एक मंत्री ने पाकिस्तान के अहमदिया मुसलमानों को लेकर एक बेहद ही विवादित बयान दिया है जिसमें उन्होंने कहा है कि पैगंबर का मज़ाक उड़ाने वाले इन लोगों का सिर कलम कर देना चाहिए। इससे पहले पाकिस्तानी मीडिया में यह खबर चली थी कि पाकिस्तान सरकार ने अहमदिया मुसलमानों को अपने देश में अल्पसंख्यकों का दर्जा दे दिया है, जिसपर पाकिस्तान के कई कट्टरपंथी लोग भड़क उठे।

पाकिस्तान के संसदीय कार्यमंत्री अली मोहम्मद खान ने इस खबर पर ट्वीट कर खुलेआम कह डाला कि पैगंबर का मज़ाक उड़ाने के लिए सज़ा के तौर पर अहमदिया लोगों का सिर कलम कर दिया जाना चाहिये। उन्होंने यह भी कहा कि अहमदी किसी कमीशन का हिस्सा तभी हो सकते हैं जब वे पाकिस्तान के संविधान के मुताबिक खुद को गैर-मुस्लिम करार दें। बता दें कि अहमदिया मुसलमान खुद को तो मुसलमान मानते हैं लेकिन बाकी मुसलमान उन्हें सच्चा मुसलमान नहीं मानते। अहमदी इस बात में विश्वास नहीं रखते हैं कि मोहम्मद आखिरी पैगंबर थे, और इसलिए इन्हें दुनियाभर के मुसलमानों द्वारा प्रताड़ित किया जाता है, जिसमें पाकिस्तान के मुसलमान भी शामिल हैं।

दरअसल, अहमदिया इस्लाम के कई पंथों में से एक है। अहमदिया मुसलमानों की जो मान्यता है, उस वजह से दूसरे मुसलमान अहमदिया को मुसलमान नहीं मानते और सऊदी अरब ने उनके हज करने पर रोक लगा रखी है। अगर वे हज करने के लिए मक्का पहुँचते हैं तो उनके गिरफ़्तार होने और डिपोर्ट होने का ख़तरा रहता है। ऐसे में पाकिस्तान में भी इनपर जमकर अत्याचार किया जाता है। इन्हें ना तो अल्पसंख्यक समझा जाता है, और ना ही इनके साथ बहुसंख्यकों वाला व्यवहार किया जाता है।

इसीलिए जैसे ही पाकिस्तानी मीडिया में यह खबर चली कि अहमदिया लोगों को अल्पसंख्यक कमीशन का हिस्सा बना दिया गया है, तो मंत्री अली मोहम्मद खान ने साफ कर दिया कि उन्हें पहले खुद को गैर-मुस्लिम करार करना होगा। मोहम्मद खान ने यह भी कहा कि इमरान खान ने इस प्रस्ताव को यह कहकर ठुकरा दिया है कि यह एक संवेदनशील मुद्दा है और इसे छुआ नहीं जाना चाहिए। उन्होंने यहां तक कहा कि अगर ऐसा कोई करता है तो सबसे पहले वे सरकार का साथ छोड़ देंगे।

इमरान खान वो ही व्यक्ति हैं जो हर दिन भारत में मुसलमानों की कथित दयनीय स्थिति पर ट्वीट करते हैं और दुनिया के सामने भारत पर कड़ी कार्रवाई करने की भीख मांगते हैं, लेकिन खुद उनके देश में अहमदिया लोगों पर क्या बीत रही है, उसकी उन्हें कोई सुध नहीं है। इन अहमदिया लोगों का आज कोई नहीं है। भारत सरकार को अहमदिया मुसलमानों के मामले को पाकिस्तान की सरकार के समक्ष ज़रूर उठाना चाहिए और उन्हें उनके अधिकार मिलें, यह सुनिश्चित करना चाहिए। इमरान खान के रोज़ के रोने-धोने का एक ही इलाज़ है कि मौका मिलने पर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को उनके देश की हालत के बारे में अवगत करा दिया जाये।

Exit mobile version