‘अब और टेक चोरी नहीं’- चाइनीज टेक इंडस्ट्रीज बर्बाद होने वाली है, अमेरिका पूरी तैयारी कर चुका है

चीन अमेरिकी टेक्नोलॉजी के बिना कुछ भी नहीं है

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लगता है अमेरिका ने चीन को चकनाचूर करने का खाका बुन लिया है। अमेरिका ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में सभी गैर यूएस चिप सेमीकंडक्टर, विशेषकर हुवॉवे से संबंधित चीनी सेमीकंडक्टर को प्रतिबंधित करने का निर्णय लिया है।

बता दें कि सेमीकंडक्टर किसी भी टेलीकम्युनिकेशन यंत्र के संरचना में एक अहम चीज मानी जाती है। यदि इस प्रतिबंध को सफलतापूर्वक लागू किया गया, तो हुवॉवे इतिहास के पन्नों सिमटकर रह जाएगा।

शुक्रवार को अमेरिका के वाणिज्य विभाग  घोषणा की कि अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति के हित में ये निर्णय लिया गया है। एक ट्वीट में वाणिज्य सचिव विल्बर रॉस ने कहा-

जिन नीतियों का दुरुपयोग कर हवॉवे और hisilicon जैसे कम्पनी अमेरिकी तकनीक का दुरुपयोग कर रही थी, उसे देख हमें अपने नियमों में बदलाव लाना ही होगा“। यही नहीं, इसी परिपाटी पर चलते हुए Taiwan Semiconductor Manufacturing Company (TSMC), जो अमेरिका के गुप्त कार्यों हेतु सेमीकंडक्टर बनाती थी, अब हवॉवे से कोई नया ऑर्डर नहीं लेगा’’

इस निर्णय से संदेश स्पष्ट जाता है – वुहान वायरस के पश्चात नए अमरीका में चीन के लिए कोई स्थान नहीं है। इस प्रतिबंध ने चीन प्रशासन के रातों की नींद उड़ा दी है, और वे चाहकर भी कुछ नहीं कर सकते।

चीनी मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने एक लेख में अमेरिका को शीत युद्ध में घसीटने का आरोप लगाया है। इसके अलावा उसी दिन उसने दूसरे लेख में ये आरोप लगाया कि यूएस अब सेमी कंडक्टर राष्ट्रवाद के जरिए दूसरे देशों पर अनावश्यक दबाव डाल रहा है.

इन लेखों से चीन की कुंठा साफ दिखती है। कुछ वर्ष पहले तक सभी यूरोपीय देशों में Huawei अपने पैर पसारने के ख्वाब बुन रहा था, पर वुहान वायरस के कारण अधिकतर यूरोपीय देशों ने अब अपने देशों के दरवाज़े चीन के लिए बंद कर दिए हैं। अब अमेरिका के इस प्रस्तावित प्रतिबंध से ना सिर्फ Huawei, बल्कि चीन की भी कमर टूट जाएगी।

उदाहरण के लिए पिछले माह इटली के प्रधानमंत्री से बातचीत में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा था कि इटली को OBOR के साथ-साथ चीन के साथ Health Silk Route पर भी काम करना चाहिए। इससे इटली में डर बढ़ गया है कि कहीं इटली का वायरलेस हेल्थ नेटवर्क चीनी कंपनियों के हाथ में ना चला जाये। इटली में भी अब Huawei के खिलाफ राजनीतिक दबाव बढ़ना शुरू हो गया है।

Huawei को UK में पहले ही झटका लग चुका है क्योंकि चीन से बुरी तरह चिढ़े प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन अपने यहां 5जी सेवाएँ शुरू करने से संबन्धित हुवावे को दी गयी सभी अनुमति को वापस लेने का ऐलान कर चुके हैं। इसके साथ ही कुछ ब्रिटिश सांसद UK के इन्फ्रास्ट्रक्चर में चीन की किसी भी कंपनी के शामिल होने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की भी बात कर रहे हैं।

अमेरिका की बात करें तो ट्रम्प प्रशासन शुरू से ही Huawei के खिलाफ कड़े कदम लेता आया है। अब चूंकि अमेरिका को भी मेडिकल सप्लाई की ज़रूरत है, तो ऐसे समय में चीन अमेरिका को हुवावे के नाम पर ब्लैकमेल करने लगा। चीन के मुखपत्र कहे जाने वाले ग्लोबल टाइम्स ने हाल ही में एक चीनी अधिकारी के हवाले से लिखा था –

अगर अमेरिका Huawei की किसी भी तरह की तकनीक लेने से मना करता है, तो अमेरिका को चीन से मेडिकल सप्लाई लेने में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

हुवावे सुरक्षा चिंताओं की वजह से पहले ही विवादों में रह चुकी है और अमेरिका जैसे कई देश तो इस पर प्रतिबंध तक लगा चुके हैं, लेकिन जिस तरह कोरोनावायरस के समय में पर चीन ने Huawei को बल देने की कोशिश की है, उससे कई देशों में चीन के खिलाफ गुस्सा बढ़ गया है, और अब इस बात के अनुमान बढ़ गए हैं कि कोरोना वायरस के साथ जल्द ही हुवावे का अंत भी होने वाला है। जिस तरह से अमेरिका ने एक के बाद एक ताबड़तोड़ प्रतिबंध लगाए हैं, उससे लगता है कि चीन को चकनाचूर करने के लिए अमेरिका ने कमर कस ली है।

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