भारत ने विश्व को एक सूत्र में जोड़ने के लिए बिजली के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम उठाया है। केंद्र सरकार ने वैश्विक इलेक्ट्रिसिटी ग्रिड बनाने के मकसद से “One Sun One World One Grid” (OSOWOG) नाम के प्लान के लिए टेंडर को आमंत्रित किया है।
लाइव मिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस योजना के संबंध में 5 जून को नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) में एक प्री-बिड बैठक बुलाई है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि यह दुनिया के किसी भी देश की ओर से शुरू की गई सबसे महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है और आर्थिक लाभ साझा करने के मामले में वैश्विक महत्व की योजना है।
बता दें कि महत्वाकांक्षी योजना को विश्व बैंक की तकनीकी सहायता कार्यक्रम के तहत लिया गया है।
दुनिया एक तरह जहां कोरोनावायरस महामारी से ग्रस्त है तो वहीं भारत एक वैश्विक रणनीति बना रहा है। भारत को सौर क्षेत्र में वैश्विक लीडर के तौर पर देखा जाता है और एक ग्रिड योजना बनाने से भारत थर्ड वर्ल्ड के देशों की बिजली जैसी सबसे बुनियादी मांगों को पूरा करेगा। इससे न सिर्फ भारत का उन देशों पर प्रभाव बढ़ेगा बल्कि चीन के बढ़ते प्रभाव को भी काउंटर किया जा सकेगा। इसके अलावा अफ्रीकी देशों और दुनिया के अन्य क्षेत्रों में चीनी प्रभाव भी कम होगा।
मिंट की रिपोर्ट के अनुसार प्रस्ताव में लिखा है कि, “भारत के प्रधानमंत्री ने हाल ही में “One Sun One World One Grid” के मंत्र के साथ सौर ऊर्जा आपूर्ति को अपनी सीमाओं से बाहर जा कर अन्य देशों को जोड़ने का आह्वान किया। OSOWOG मंत्र के पीछे की की सोच सूर्य के कभी न डूबने पर आधारित है। सूर्य 24 घंटे विश्व के किसी न किसी कोने में चमकता ही रहता है।
Request of Proposal के मुताबिक, भारत द्वारा प्रस्तावित सोलर ग्रिड दो जोन में बांटा जाएगा। पहला ईस्ट जोन जिसमें म्यांमार, वियतनाम, थाइलैंड, लाओ, कंबोडिया जैसे देश शामिल होंगे। वहीं दूसरा, वेस्ट जोन होगा जिसमें मिडिल ईस्ट और अफ्रीका क्षेत्र के देशों को एक ग्रिड से जोड़ा जाएगा।
यहाँ यह समझने वाली बात है कि भारत ने थर्ड वर्ल्ड देशों में बिजली की कमी को देखा है और उसे पूरा करने का एक बेहतरीन प्लान बनाया है जिससे उन देशों की बुनियादी जरूरत पूरी होगी और वे भारत के प्रति कृतज्ञ होंगे।
इस योजना को तीन चरणों में विभाजित किया गया है। पहले चरण के तहत Middle East—South Asia—-South East Asia (MESASEA) क्षेत्र को जोड़ा जाएगा जिससे बिजली की डिमांड को पूरा करने के लिए सौर ऊर्जा जैसे स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों का उपयोग किया जा सके। दूसरे चरण में MESASEA को अफ्रीकी देशों से जोड़ा जाएगा। और फिर तीसरे चरण में इसे वैश्विक स्तर पर विस्तार किया जाएगा।
इस योजना से भारत का उद्देश्य गरीब अफ्रीकी देशों, युद्ध से जूझते खाड़ी के देशों जैसे यमन और इराक को बिजली उपलब्ध करना है। चीन के खिलाफ जिस तरह से भावना बढ़ रही रही वैसी स्थिति में भारत का स्थान और महत्वपूर्ण हो जाता है। भारत की यह योजना चीन की वन बेल्ट-वन रोड (ओबीओआर) योजना के काउंटर के रूप में देखी जा रही है। वर्षों से बीजिंग अपने BRI परियोजनाओं के तहत अफ्रीकी देशों सहित दुनिया कई देशों को अपने ऋण जाल में फंसा चुका है। लेकिन भारत का ऐसा कोई इरादा नहीं है और वह सभी देशों की मदद करने के लिए one grid की योजना लेकर का आया है।
भारत दुनिया में सबसे सस्ती सौर ऊर्जा का उत्पादन करता है, और पिछले कुछ वर्षों में सोलर सेल के लिए चीनी आयात पर निर्भरता में भी भारी कमी आई है। अप्रैल 2017 और मार्च 2019 के बीच, चीन से आयात 2.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 1.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर पर आ गया। अब, दुनिया के कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां कम लागत वाली बिजली आपूर्ति की सख्त जरूरत है। भारत के पास ऐसे क्षेत्रों में अपने प्रभाव को बढ़ाने का यह सुनहरा मौका है।
भारत की इस योजना से इंटरनेशनल सोलर अलायंस को भी फायदा होगा। यानि देखा जाए तो यह योजना वैश्विक स्तर पर भारत का कद और बढ़ा देगा।