COVID-19 वैक्सीन- भारत और चीन दुनिया में सबसे पहले वैक्सीन बनाने की रेस में, और भारत इसमें जीत रहा है

महामारी के समय में सीरम इंस्टीट्यूट एक उम्मीद की रोशनी

वैक्सीन

कोरोना के कोहराम को कम करने के लिए कई देश इस वायरस के वैक्सीन की खोज में लगे हैं। भारत भी उन देशों में शामिल है जहां इस खतरनाक महामारी के लिए वैक्सीन की खोज की जा रही है। साथ ही चीन भी इसी दौड़ में शामिल दिखाई दे रहा है। ऐसा लगता है कि  इस दौड़ में अब भारत चीन से आगे निकल गया है और दुनिया को कोरोना से बचाने में अहम भूमिका निभाएगा।

दरअसल, भारत ने 136 करोड़ की जनसंख्या के बावजूद अभी तक कोरोना को अन्य देशों से अधिक सक्षम तरीके से नियंत्रित किया है। यहाँ पर कोरोना के पॉज़िटिव मामले और मौतें भी अन्य बड़े देशों की तुलना में काफी कम है। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि भारत ने 100 से अधिक देशों को करोड़ो HCQ दे कर मदद की है।

अब, ऐसा लगता है, भारत दुनिया भर के देशों को कोरोना वायरस के वैक्सीन की आपूर्ति करने में सबसे आगे होगा। फिलहाल, शुरुआती चरण में 50 से अधिक वैक्सीन पर काम चल रहा है लेकिन, ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित एक वैक्सीन अन्य वैक्सीन से कहीं अधिक सफल होती दिखाई दे रही है। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय ने इस वैक्सीन के बड़े स्तर पर उत्पादन के लिए भारत के Serum Institute of India को चुना है। बता दें कि यह इंस्टीट्यूट दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन मैनुफैक्चरर है। यदि यह वैक्सीन सफल हो जाती है तो पूरी दुनिया से कोरोना को समाप्त करने में इस इंस्टीट्यूट और भारतवर्ष का नाम सबसे आगे होगा।

बता दें कि ये वैक्सीन इबोला के मरीजों के लिए बनाई गयी थी लेकिन, यह इबोला पर फेल हो गई थी। अब यह बात सामने आई है कि इसमें थोड़े से बदलाव करके covid-19 के खिलाफ इस्तेमाल किया जा सकता है। जब इबोला फैला था तभी इस वैक्सीन को मनुष्यों पर टेस्ट किया गया था, ऐसे में इसके सफल होने की संभावना और बढ़ गई है।

Serum Institute of India इस वैक्सीन के उत्पादन करने की प्रक्रिया शुरू कर चुका। इस वैक्सीन को ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के जेनर इंस्टीट्यूट द्वारा विकसित किया जा रहा है। यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि इबोला के जिस वैक्सीन में बदलाव कर उसे कोरोना के खिलाफ experiment किया जा रहा है उस experiment में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय सफल होगा। कंपनी के सीईओ अदार पूनावाला ने एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में बताया कि ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक बहुत योग्य, महान वैज्ञानिकों का एक समूह हैं … इसलिए हमने कहा कि हम इस वैक्सीन को बनाने का चांस लेंगे और हम इसके लिए आश्वस्त हैं। उन्होंने आगे कहा “एक निजी कंपनी होने के नाते, हम सार्वजनिक निवेशकों या बैंकरों के प्रति जवाबदेह नहीं, इसीलिए मैं थोड़ा जोखिम ले सकता हूं और दूसरे अन्य कमर्शियल उत्पादों को रोका जा सकता है।”

एक बार वैक्सीन विकसित हो जाएगी तो भारत में इसका उत्पादन बड़े पैमाने पर शुरू किया जाएगा। साथ ही इसका उपयोग पहली बार भारतीयों के लिए किया जाएगा, और फिर दुनिया भर के देशों को निर्यात किया जाएगा, जैसे देश ने HCQ के मामले में किया था।

पूनावाला ने कहा, कम से कम शुरुआत में, इस वैक्सीन के निर्यात से पहले इसका इस्तेमाल हमारे देशवासियों के लिए किया जाएगा।” किस देश को कितनी Vaccine दी जाएगी, किन देशों में Vaccine को पहले भेजा जाएगा यह सब भारत सरकार तय करेगी। मोदी सरकार पहले से ही सीरम इंस्टीट्यूट के साथ मिलकर काम कर रही है और पीएमओ इस घटनाक्रम की बारीकी से निगरानी कर रहा है।

पुनावाला ने कहा कि, हमें मई से भारत में ट्रायल शुरू होने की उम्मीद है। ट्रायल के सफल रहने पर सितंबर-अक्टूबर तक काफी संख्या में Vaccine तैयार हो जाएगी। हम भारत में एक हजार रुपए की अफॉर्डेबल कीमत पर इस वैक्सीन को तैयार करने की दिशा में काम कर रहे हैं।

वहीं अगर चीन की बात करें तो चीन ने कोरोनावायरस के तीन Vaccine के क्लिनिकल परीक्षण को मंजूरी दी है, जिनमें एक को चीन की सेना पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने विकसित किया है। सरकारी शिन्हुआ समाचार एजेंसी की खबर के अनुसार, वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल प्रोडक्ट्स ने चाइना नेशनल फार्मास्युटिकल ग्रुप (सिनोफार्म) के तहत विकसित अपने टीके का और वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (डब्ल्यूआईवी) ने अपने वैक्सीन का क्लिनिकल परीक्षण शुरू कर दिया है।

चीन की एक दवा कंपनी ने दावा किया है कि नोवेल कोरोना वायरस के टीके का बंदरों पर परीक्षण सफल रहा है। चीनी कंपनी सिनोवैक बायोटेक ने इस टीके का परीक्षण आठ रीसस मकाऊ बंदरों पर किया। उसने कहा कि परीक्षण के दौरान टीके ने बंदरों को संक्रमण से संरक्षित किया।

पर अगर इन दोनों देशों को देखें तो स्पष्ट रूप से भारत आगे दिखाई दे रहा है क्योंकि भारत ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के वैक्सीन का उत्पादन भी दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन मैनुफेक्चरर की मदद से शुरू कर दिया है। इसलिए, कोई फर्क नहीं पड़ता है कि कौन सा देश पहले Vaccine को सफलतापूर्वक विकसित करता है। भारत का सीरम ही Vaccine के बड़े पैमाने पर उत्पादन में सबसे आगे होगा, और यह भारत को वैश्विक उच्चाई देगा।

कम्युनिस्ट देश चीन ने भी युद्धस्तर पर वैक्सीन बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। सिनोवैक बायोटेक नाम की दो दशक पुराने फर्म को चीनी सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर Vaccine निर्माण की मंजूरी दी गई है जिसे चीनी चिकित्सा अधिकारियों द्वारा विकसित किया जा रहा है।

कोरोना महामारी के इस भयानक दौर में सीरम इंस्टीट्यूट ने उम्मीद की रौशनी जलायी है अब देखना है कि आगे क्या होता है।

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