कहते हैं उस जंग को कभी शुरू ना करें, जो आप जीत ना सकें। परन्तु ये बात शायद पत्रकार शेखर गुप्ता को नहीं समझ आई है। जनाब अपने पोर्टल द प्रिंट पर ये खबर छापते पकड़े गए कि “मोदी सरकार के विरुद्ध विपक्ष को इतना फेक न्यूज़ फैलाना चाहिए कि जनता का विश्वास सरकार से उठ जाए, तो मोदी सरकार अपने आप घुटने टेक देगी” –
परन्तु गुप्ताजी को क्या पता था कि यह खबर उनपर इतनी भारी पड़ जाएगी। दरअसल, द प्रिंट की इस खबर पर पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह (सेवानिवृत्त) का ध्यान जैसे ही गया, उन्होंने शेखर गुप्ता को खरी खोटी सुनाते हुए ट्वीट किया, “एडिटर्स गिल्ड के अध्यक्ष होने के नाते जब आप ऐसे लेख को बढ़ावा देते हो, तो आप अपनी ही बिरादरी का अपमान करते हैं couptaji! आपने एक बार फिर सिद्ध किया है कि आप बिके हुए हैं। अपने जॉब से नहीं तो कम से कम अपने पद से ही ईमानदारी रखिए” –
However, as the President of the Editors Guild, when you retweet an article that does both of the above and slyly advised they opposition to peddle #FakeNews or stem opinion in states that they govern, you do a disservice to your fraternity (2/n)
— Gen VK Singh(MODI KA PARIWAR) (@Gen_VKSingh) May 15, 2020
You highlight to the world, again, that you are sold out.C’mon #Coupta be honest to the post even if you can’t to your profession
From #FakeCoup stories to advising on curbing speech & peddling #FakeNews– You are living up to your name!! #FakeNewsPeddler #Coupta (n/n)
— Gen VK Singh(MODI KA PARIWAR) (@Gen_VKSingh) May 15, 2020
पर एक मिनट, यह जनरल साहब शेखर गुप्ता को Couptaji के नाम से क्यों संबोधित कर रहे हैं? उसका इतिहास काफी पुराना है, जो सिद्ध करता है कि मक्कारी का दूसरा नाम शेखर गुप्ता है, या शायद शेखर गुप्ता मक्कारी का दूसरा नाम। 2010 में जनरल वीके सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में अपने आयु के आधिकारिक रिकॉर्ड्स में कुछ त्रुटियों को सुधारने हेतु सुप्रीम कोर्ट में अर्जी डाली थी। परन्तु मीडिया और यूपीए सरकार के कुछ नेताओं ने इस मामले पर बखेड़ा खड़ा कर दिया, और वे सब जनरल वीके सिंह को सत्ता की लालसा में धुत बताने का प्रयास करने लगे।
परन्तु शेखर गुप्ता तो दस कदम आगे चल दिए। जनाब के नेतृत्व में 2012 में ये खबर फैलाई गई कि सेना द्वारा तख्तापलट की कोशिश की गई थी। ये खबर अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में छपी थी, जिसे उस समय की केंद्र सरकार द्वारा प्लांट कराया गया था। उस समय शेखर गुप्ता इंडियन एक्सप्रेस के प्रमुख संपादक मंडल का हिस्सा थे।
पिछले वर्ष समाचार वेबसाइट ‘द संडे गार्डियन’में यह दावा किया गया था। गार्डियन ने खूफिया एजेंसी के एक सूत्र के हवाले से यह रिपोर्ट छापी थी। गार्डियन की इस रिपोर्ट के बाद बीजेपी ने राहुल गांधी से सवाल पूछे थे। भाजपा ने तब आरोप लगाया था कि इस साजिश के पीछे यूपीए सरकार के 4 बड़े मंत्रियों का हाथ था।
गार्डियन की रिपोर्ट में बताया गया है कि उस समय सेना द्वारा तख्तापलट की कोशिश की खबर को इंटेलिजेंस ब्यूरो ने सिरे से नकार दिया था। इस बात की जानकारी इंटेलिजेंस ब्यूरो ने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी दे दी थी। रिपोर्ट में बताया गया है कि इसके बावजूद भी इस काल्पनिक कहानी को कुछ लोगों ने मीडिया में लीक कर दिया।रिपोर्ट के अनुसार, इसके पीछे दो उद्देश्य थे। पहला तो जनरल वीके सिंह को बदनाम करना था, क्योंकि उस समय उनका रक्षा मंत्रालय के साथ विवाद चल रहा था। दूसरा यह कि उस समय यूपीए सरकार भ्रष्टाचार के आरोपों से घिर रही थी और कांग्रेस की विश्वसनीयता सबसे निम्न स्तर पर थी। ऐसे में यूपीए सरकार ने देश की जनता का ध्यान भटकाने के लिए तख्तापलट की अफवाह को आगे बढ़ाया, ऐसा रिपोर्ट में दावा किया गया था।
शेखर गुप्ता ने एक बार फिर सिद्ध किया है कि वे फेक न्यूज़ फैलाने हेतु किसी भी हद तक जा सकते हैं, पर अपने प्रोपेगैंडा को फैलाने में उन्होंने गलती ये की, कि वे सोशल मीडिया पर जनरल वीके सिंह की उपस्थिति को भूल गए, और फिर तो जनरल वीके सिंह ने वो धुलाई की, कि धागा खोल दिया एकदम!