महाराष्ट्र के पालघर में हुई साधुओं की लिंचिंग का मामला और पेचीदा होत जा रहा है और रोज़ इस मामले से जुड़ी कोई न कोई खबर या यूं कहे अनहोनी सामने आ रही है। अब मारे गए साधुओं के केस को कोर्ट में पेश करने वाले VHP वकील की सड़क दुर्घटना में मौत हो गयी है। पहले केस के पाँच दिन बाद ही इस मामले को देख रहे SP को छुट्टी पर भेजा जाना कई सवाल खड़े करो है।
दरअसल, रिपोर्ट्स के अनुसार विश्व हिन्दू परिषद की ओर से साधुओं का प्रतिनिधित्व करने वाले दिग्विजय त्रिवेदी नाम के इस वकील की मृत्यु बुधवार को तब हुई जब वो अपनी गाड़ी से मुंबई-अहमदाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग से दहानु अदालत की ओर जा रहे थे। रिपोर्ट के अनुसार हाइवे पर उनकी कार फिसल गयी और डिवाइडर से जा टकराई जिसमें उनकी वारदात स्थल पर ही मौत हो गई। उनके साथ एक महिला को काफी चोटें आई थी लेकिन अभी तक उसकी पहचान नहीं हुई है।
इस मामले की रिपोर्टिंग पढ़कर तो सभी को यही लगेगा की उनकी मृत्यु एक हादसे के कारण हुई, लेकिन हादसे के दौरान न तो पुलिस मौजूद थी और न ही कोई रिपोर्टर। कुछ लोग यह भी कह सकते हैं कि घटनास्थल का जायजा लेने के बाद ही मृत्यु का कारण लिखा गया होगा, परंतु यहाँ पर यह बात सभी को पता होनी चाहिए कि ये वही मामला है जिसे मेन स्ट्रीम मीडिया ने इन साधुओं की लिंचिग को गलत तरिके से पेश किया था। इस मामले को शुरू में साधुओं को चोर बताया गया था जिसकी भीड़ ने पिटाई की थी और इस तरह से मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की गई थी। यही नहीं यह घटना से जुड़ी वीडियो 3 दिन बाद सोशल मीडिया पर वायरल हुई तब लोगों को यह पता चला कि यह कितना बड़ा मामला था।
स्पष्ट है किसी भी रिपोर्टिंग को इस मामले में पूरा सच तो माना ही नहीं जा सकता है। पहले साधुओं की हत्या, फिर SP को छुट्टी पर भेजा जाना और फिर ये हादसा बस संयोग तो नहीं हो सकता।
एक वकील जो साधुओं का पक्ष रखने कोर्ट में जा रहा था और उसकी एक सड़क हादसे में मौत हो जाती है और वह इस केस में अपनी बाते नहीं रख पाता। यह सुनने में तो फिल्मी लगता है लेकिन, असल जिंदगी में ऐसा होना किसी न किसी काले कारनामे की ओर इशारा करता है।
बता दें कि इससे पहले पालघर में साधुओं की लिंचिंग के 5 दिन बाद ही वहाँ के एसपी यानि पुलिस अधीक्षक (एसपी) गौरव सिंह को अनिवार्य रूप से छुट्टी पर भेज दिया गया था। जिसके बाद कई लोगों ने आवाज उठाई थी और उन्हें वापस बुलाने के लिए कैम्पेन चलाया है।
महाराष्ट्र सरकार ने पालघर SP गौरव सिंह को छुट्टी पर भेजा-
गौरव वही ऑफ़िसर हैं जिन्होंने मरकज़ जमात का बड़ा कार्यक्रम पालघर में रद्द कर लोगों को कोरोना संक्रमित होने से बचाया था.
वैसे इतने दिनों के बाद अधिकारी को छुट्टी पर भेजकर पालघर मामले की लीपापोती तो नहीं कर रही सरकार? pic.twitter.com/mw07EPVvMw
— Chitra Tripathi (@chitraaum) May 8, 2020
सिर्फ यही नहीं इस मामले पर सीधे सवाल करने वाले रिपब्लिक के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी पर भी एक बाद एक ताबड़तोड़ FIR दर्ज कर दिये गए थे।
अब इस मामले में इस तरह से एक वकील की सड़क हादसे में हत्या होना कई सवाल खड़े करता है। ट्विटर पर तो लोगों ने सवाल भी पूछना शुरू कर दिया है। महाराष्ट्र सीएम, पालघर पुलिस, महाराष्ट्र डीजीपी को ट्विटर पर टैग करके सवाल किए जा रहे कि आखिर इस लिंचिंग में किस-किस का हाथ है?
दिग्विजय त्रिवेदी की मौत पर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने सवाल उठाए हैं और इसकी जांच की मांग की है। संबित ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर लिखा, “पालघर में संतो की हत्या मामले में VHP के वकील श्री दिग्विजय त्रिवेदी की सड़क हादसे में मृत्यु हो गयी। यह खबर विचलित करने वाली है। क्या ये केवल संयोग है कि जिन लोगों ने पालघर मामले को उठाया उनपर या तो कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने हमला किया या FIR कराया? ख़ैर ये जाँच का विषय है!”
एक ट्विटर यूजर ने लिखा कि, “पालघर में साधु की लिंचिंग मामले में पैरवी कर रहे वकील दिग्विजय त्रिवेदी, सड़क दुर्घटना में मारे गए।“ आगे इस ट्विटर यूजर ने महाराष्ट्र के सीएम और पुलिस को टैग करते हुए सवाल पूछा कि क्या आप इस खबर को देख रहे हैं? अभी भी बड़े पैमाने पर लिंचिंग के पीछे किसका असली दिमाग हैं? क्या यह योजनाबद्ध है?
#Palghar Sadhu lynchings- Adv Digvijay Trivedi, A lawyer pleading on behalf of deceased Sadhus killed in a road accident. @OfficeofUT @AnilDeshmukhNCP @DGPMaharashtra @Palghar_Police are U following this news? How many real brains behind lynching still at large? Is this planned? pic.twitter.com/kqCrjejdrY
— Legal Rights Observatory- LRO (@LegalLro) May 14, 2020
https://twitter.com/MrsGandhi/status/1260928878094188544?s=20
वहीं अभिजीत अय्यर मित्रा ने लिखा कि उन्होंने पहले साधुओं को मार दिया उसके बाद अब वकील को। उन्हें जस्टिस लोया की मृत्यु में शक होता है लेकिन यहाँ पर हुए किसी भी आकस्मिक मौत पर शक नहीं होता।
https://twitter.com/anjanaomkashyap/status/1251891876270989312?s=20
इस मामले पर पुलिस कुछ भी कहे लेकिन जिस प्रकार से एक के बाद एक घटना हुई है है उससे जनता के मन में सवाल उठना तो तय है। आखिर क्यों पुलिस के रहते साधुओं की लिंचिंग हुई? आखिर क्यों साधुओं को चोर बता कर इस लिंचिंग को दबाने की कोशिश हुई? आखिर क्यों पुलिस लिंचिंग के समय मुकदर्शक बनी रही रही? आखिर क्यों पालघर के SP को पाँच दिन बाद ही परमानेंट छुट्टी पर भेजा गया? और फिर इन सबके तुरंत बाद आखिर कैसे कोर्ट में पेशी के लिए जा रहे वकील की सड़क दुर्घटना हो जाती है?
इस मामले में पहले से ही कम्युनिस्टों का हाथ होने की खबर आई है और वह क्षेत्र भी उनका गढ़ माना जाता है। जिस तरह से उद्धव की सरकार अर्बन नक्सलियों को बचाने में जुटी थी ऐसा लगता है उसी प्रकार इस मामले के कवरअप में जुटी है।