2018 में अमेरिकी राष्ट्रपति ने स्टील के आयात पर 25 प्रतिशत तक टैरिफ बढ़ाए थे। निस्संदेह ये निर्णय उनके ‘मेक अमेरिका ग्रेट एगेन’ अभियान का एक अभिन्न हिस्सा था, परन्तु इसकी यूरोप में काफी आलोचना हुई, क्योंकि इससे वहां बसी अमेरिकी कम्पनियों को भी काफी नुकसान पहुंचा था.
परन्तु इस निर्णय का एक सकारात्मक पक्ष यह था कि डोनाल्ड ट्रंप स्टील को एक आवश्यक उत्पाद के तौर पर देख रहे थे, हालांकि ज़रूरी नहीं की सभी संसार में उसी दृष्टि से देखें।
स्टील के उत्पादन में चीन ने किस तरह से दबदबा बनाया है, ये सभी अच्छी तरह से जानते हैं। लेकिन वुहान वायरस के कारण चीन की प्रतिष्ठा को जो धक्का पहुंचा है, उससे एक बात स्पष्ट है – ये भारत के लिए एक सुनहरे अवसर से कम नहीं है।
दुनिया भर में सबसे ज्यादा चीन स्टील बेचता है
स्टील को भले ही सोना, चांदी या एल्युमिनियम की तरह ऊंचा दर्जा ना दिया जाता हो, परन्तु जिस तरह से इसकी आवश्यकता बर्तनों से लेकर शस्त्र निर्माण, एयरक्राफ्ट, सर्जिकल उपकरण इत्यादि में पड़ता है, उसे देखते हुए इस क्षेत्र में केवल एक देश पर निर्भर रहना हद दर्जे की मूर्खता कही जाएगी।
पर चीन पर स्टील के लिए दुनिया यूं ही इतनी निर्भर नहीं है। 2005 में केवल वैश्विक स्टील उत्पादन में 12.9 प्रतिशत का हिस्सा रखने वाले चीन आज वैश्विक उत्पादन में 52 प्रतिशत से ज़्यादा की हिस्सेदारी रखता है, तो वहीं अमेरिका और यूरोप का हिस्सा लगभग 16 प्रतिशत और 6 प्रतिशत ही है।
चूंकि स्टील उद्योग को लोग हेय की दृष्टि से देखते थे, इसलिए पश्चिमी देशों ने चीन को इस क्षेत्र में कब्ज़ा जमाने दिया। आज स्थिति यह है कि विश्व के दस सबसे बड़े स्टील उत्पादकों में चीन के अकेले छः कम्पनी शामिल हैं.
चीन का प्रभाव स्टील उद्योग में कितना है, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि 2018 में चीन के बाओवू ग्रुप ने 6.743 करोड़ टन स्टील का उत्पादन किया, पर वह विश्व के सबसे बड़े स्टील उत्पादकों में दूसरे स्थान पर आता है.
HBIS ग्रुप ने उससे भी कम मात्रा में स्टील का उत्पादन किया, पर विश्व के बड़े स्टील उत्पादकों में वह चौथा स्थान रखता है। चीन के स्टील उत्पादन और वैश्विक स्टील उत्पादन में ज़मीन आसमान का अंतर है। जिस तरह से विश्व अनावश्यक रूप से चीन पर स्टील के लिए निर्भर है, वो एक शुभ संकेत नहीं है।
कोरोनावायरस के बाद चीनी स्टील से दुनिया की निर्भरता खत्म हो जाएगी
अब वुहान वायरस के पश्चात विश्व चीन पर अपनी निर्भरता से पीछे हटना चाहता है, और ये भारत के लिए निस्संदेह एक स्वर्णिम अवसर है। जितना स्टील पूरा यूरोप मिलकर नहीं निकाल पाता, उससे ज़्यादा स्टील उत्पादन तो भारत अकेले करता है, जो वैश्विक उत्पादन का लगभग 6 प्रतिशत है। परन्तु अब उसे अपने स्टील उत्पादकों को अधिक सुविधाएं और ताकत देनी होगी.
दुनिया की बड़ी कंपनियां अपनी स्टील प्रोडक्शन यूनिट भारत में डालेंगीं
वुहान वायरस के कारण वैसे भी विश्व की बड़ी स्टील उत्पादक कंपनियां भारत में अपना प्रोडक्शन यूनिट शिफ्ट करने के लिए सोच रही हैं। पिछले वर्ष केंद्रीय इस्पात मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने जापानी इस्पात कम्पनियों को भारत में निवेश करने के लिए आमंत्रित किया था।
इतना तो स्पष्ट है कि वुहान वायरस से मुक्त होने के पश्चात वैश्विक स्टील उत्पादन में व्यापक बदलाव लाना ही होगा, जिसमें प्रमुख होगा चीन पर वैश्विक शक्तियों की निर्भरता कम करना और भारत, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों का आगे आकर वैश्विक स्टील की आवश्यकता को पूरा करना।