वुहान वायरस ने जहां एक ओर विश्व को चीन के वास्तविक रूप से परिचित कराया है, तो वहीं भारत के कुछ राज्यों के वह व्यवस्था की पोल भी खोल के रखी है। इनमें से एक राज्य है तेलंगाना, जहां के CM के चंद्रशेखर राव को इस बात की चिंता अधिक है कि पीएम मोदी के आर्थिक पैकेज में उनके राज्य के लिए क्या है।
के चंद्रशेखर राव ने हाल ही में पीएम मोदी द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज की आलोचना की थी। के चंद्रशेखर ने कहा था कि, “यह पैकेज बोगस है। सच कहूं तो केंद्र सरकार ने हमें इस पैकेज में से एक लाख करोड़ रुपए भी ना देकर सौतेला व्यवहार किया है। केंद्र सरकार राज्यों के साथ भिखमंगे की तरह व्यवहार है। ये पैकेज ना सिर्फ छलावा है, बल्कि निरर्थक है और खोखला है।”
अब एक बात होती है प्रमाण सहित आलोचना करना और एक होता है केवल आलोचना करने के लिए वह काम करना। केसीआर दुर्भाग्यवश दूसरी पद्वति में ज़्यादा विश्वास रखते हैं, और अपने गिरेबान में झांकने के बजाए वे केंद्र सरकार को दोषी बना रहे हैं। सच कहें तो केसीआर के नेतृत्व में तेलंगाना अब उत्तर प्रदेश वाली राह से हटकर बंगाल की राह पर निकल पड़ा है।
यदि आपको विश्वास नहीं होता, तो कृपया यहां और करें। वर्तमान में तेलंगाना में रिपोर्ट लिखे जाने तक 1634 लोग संक्रमित पाए गए हैं, जिसमें से केवल 38 लोगों की मृत्यु हुई है, जबकि 1011 से ज़्यादा लोग ठीक हो चुके हैं। परन्तु इन आंकड़ों पर अधिक खुशी जताने की आवश्यकता नहीं।है, क्योंकि तेलंगाना की टेस्टिंग संख्या बहुत कम है।
के चंद्रशेखर राव के राज में तेलंगाना में औसतन 225 सैंपल प्रतिदिन टेस्ट किए जाते हैं। ये राष्ट्रीय औसत के अनुसार बहुत कम है, और ये बंगाल को भी टक्कर दे सकता है, जिसके पीछे केंद्र सरकार ने तेलंगाना को लताड़ भी लगाई है। शर्म की बात तो यह है कि तेलंगाना से बदतर स्थिति में होने के बावजूद जहां आंध्र प्रदेश में 9000 टेस्ट प्रतिदिन हो रहे हैं, वहां तेलंगाना 500 टेस्ट भी प्रतिदिन नहीं कर पा रहा है।
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने राज्य की टेस्ट रणनीति का बचाव किया था। स्वास्थ्य मंत्री ईटेला राजेंदर ने कहा था कि, “किसी भी सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग के लिए महामारी जैसे समय में, मौत के आंकड़ों या पॉजिटिव मामलों को छिपाना असंभव होता है। हम तेलंगाना में कोरोना वायरस प्रकोप के शुरुआती दिनों से ही आईसीएमआर दिशानिर्देशों का पालन कर रहे हैं और बिना किसी देरी के नए संशोधित दिशानिर्देश लागू किए जाएंगे।” इस बीच भाजपा तेलंगाना इकाई के मुख्य प्रवक्ता के कृष्ण सागर राव ने कहा था, ‘स्वास्थ्य मंत्री ईटेला राजेंदर ने लोगों, विपक्ष और मीडिया को यह दावा करके गुमराह किया कि राज्य ICMR के दिशानिर्देशों के अनुसार परीक्षण कर रहा है। जबकि उनका विभाग भी कई हफ्तों से दैनिक बुलेटिनों में आईसीएमआर द्वारा अनिवार्य रूप से परीक्षण के आंकड़ों की रिपोर्ट नहीं कर रहा था’। उन्होंने आगे कहा था कि, “कम कोरोना केस संख्या और राज्य सरकार द्वारा दर्ज की जा रही मौतों की सबसे कम संख्या बताना नैतिक शासन मानकों से पूर्ण रूप गलत है।”
तेलंगाना का अन्य राज्यों की तुलना में टेस्टिंग दर बहुत कम है जिसका मतलब यही है राज्य में मामले और गंभीर हो सकते हैं और अगर अभी भी के चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली सरकार ने सख्ती से दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया तो बहुत देर हो गयी। परन्तु कोई भी एक्शन लेने की बजाय केसीआर पत्रकार के सवाल पर ही भड़क गए जिसने पीपीई और अन्य चिकित्सा उपकरणों की कमी के बारे में सवाल किया था। इसपर भड़के हुए के चंद्रशेखर राव ने कहा था कि “आपको किसने कहा कि हमारे पास पर्याप्त पीपीई किट नहीं हैं? क्या आप जानते हैं कि हमारे पास अभी कितने पीपीई किट हैं? महामारी के खिलाफ लड़ने वाले डॉक्टरों की ताकत बनाने के बजाय, आप उनमें डर को बढ़ावा दे रहे हैं”। सच कहें तो तेलंगाना बंगाल की भांति एक बड़ी आपदा की ओर अग्रसर है, और केसीआर मीठी नींद सोने में व्यस्त है।