भारत में कोरोना के मामले दिन प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहा है. मौजूदा हालात ये है कि करीब 60 हजार मामले होने वाले हैं और लगभग 2 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. पूरा देश बीते 50 दिनों से इस महामारी से लड़ाई लड़ रहा है. इस बीच देश में बहस हो रही है कि क्या सरकारें कोरोना के खिलाफ एक्शन में हैं. कौन सीएम सबसे मजबूत बनकर उभरा है तो कौन सबसे कमजोर साबित हुआ है? इस पर देशभर की मीडिया सर्वे कर रही हैं. ये जानने के लिए देश की सबसे प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान टाइम्स नाऊ ने ORMAX Media के साथ मिलकर एक सर्वे किया जिसमें लोगों ने अपने सीएम-पीएम को रेटिंग दी है.
ये सर्वे 6 मेट्रो सिटीज मुंबई, दिल्ली, बंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद और कोलकाता की जनता के बीच किया गया। सर्वे ऑनलाइन किया गया और इसका सैंपल साइज 600 है। हर शहर के 100 लोगों से सवाल किए गए। ये सभी लोग इंग्लिश न्यूज चैनल देखने वाले थे।
इस सर्वे में पीएम मोदी की लोकप्रियता बरकरार है. अनुच्छेद 370, राम मंदिर और तीन तलाक के मुद्दे पर पीएम मोदी की लोकप्रियता पिछले एक साल में बढ़ गई है. कोरोनावायरस संकट लड़ने में भी लोगों ने पीएम मोदी का लोहा माना है. पिछले एक साल में 10 में से 7.1 से बढ़कर 7.8 हो गई है.
वहीं अगर सीएम की बात करें तो पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी हर मोर्चे पर फेल रहने के कारण सबसे फिसड्डी आई हैं. कोलकाता में मात्र 6 फीसदी लोगों ने ममता को प्रबंधन के लिए सराहा. बता दें कि कोरोना में सबसे कमजोर सीएम के रुप में ममता बनर्जी सामने आई हैं. पहले तो इन्होंने राज्य में कोरोना मृतकों के आंकड़ों को दबाया.
फिर राज्य में रेड जोन और ग्रीन जोन को लेकर केंद्र से भिड़ गईं. न तो इन्होंने केंद्रीय टीम को भी बंगाल में काम करने से रोका था. डॉक्टरों को पीपीई किट भी इन्होंने देर से दिया. जब पूरे राज्य में बवाल हो गया. कुल मिलाकर 9 वर्षों का अनुभव होने के बाद भी दीदी हर मोर्चे पर कोरोना के सामने फेल नजर आईं। राज्य में दीदी को मात्र 6 प्रतिशत रेटिंग मिले हैं.
पश्चिम बंगाल में 2021 में विधानसभा चुनाव होगा और इस तरह की घटिया रेटिंग से साफ पता चलता है कि ममता बनर्जी का चुनाव में ममता बनर्जी साफ होने वाली हैं.
वैसे भी आम चुनाव में बीजेपी ने 18 सीटों पर जीत का परचम लहरा चुकी है। लोकसभा चुनाव में ममता बनर्जी राज्य की प्रमुख सीटें हार चुकी हैं. ऐसे में विधानसभा चुनाव ममता के लिए किसी हारे हुए जंग जैसा लग रहा है जिसके जीतने की कोई उम्मीद नहीं है.
इसके बाद नंबर आता है सीएम उद्धव ठाकरे का जिन्हें लोगों ने मात्र 35 प्रतिशत ही रेटिंग की है. जिस हिसाब से कोरोना ने मुंबई को तबाह किया हुआ है उससे तो यह रेटिंग कुछ ज्यादा ही लग रहा है. इसके अलावा आरे मेट्रो मामले में भी उद्धव के दोहरे मापदंड पर लोगों ने जवाब दिया है.
इसी कड़ी में नाम आता है तमिलनाडु के सीएम पलानीसामी का, जिन्हें 40% रेटिंग मिली है। इसके बाद नंबर आता है 49% रेटिंग के साथ तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर का, जिनके यहां कोरोना ने कम तबाही नहीं मचाई है.
तमिलनाडु में, पलानीस्वामी तब्लीगी जमात को नियंत्रित करने में सक्षम नहीं थे जिसके कारण पूरे तमिलनाडु को कोरोना के दंश में पड़ना पड़ा. राज्य के खजाने को भरने के लिए मंदिर के धन को लूटने की उनकी कोशिश भी की जिससे कारण उन्हें खराब रेटिंग मिला. उनकी पार्टी एआईएडीएमके, ममता की टीएमसी के साथ 2021 में भी विधानसभा चुनाव लड़ेगी, आम चुनाव 2019 में भी ये दोनों पार्टियां साथ थीं लेकिन कहीं भी टिक नहीं पाई. ऐसे में इनके लिए विधानसभा चुनाव भी किसी मील के पत्थर से कम नहीं है.
वहीं कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा उन मुख्यमंत्रियों में शामिल हैं जिन्हें सबसे ज्यादा रेटिंग मिला है. येदियुरप्पा को 56% रेटिंग मिली है, जोकि काफी संतोषजनक है. महानगर के लोगों ने दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल को सबसे ज्यादा 65% रेटिंग दी है। कुल मिलाकर इस सर्वे ने ममता और उद्धव जैसे नेताओं की पोल खोल दी है.