कांग्रेस ने खुद ही मजदूरों से वसूला किराया, अब खुद ही किराया देने का नाटक कर हितैषी बन रही है

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PC: Afternoon Voice

फेक न्यूज़ और झूठ फैलाने में कांग्रेस का कोई जवाब नहीं, शायद इसीलिए कांग्रेस इतने सालों तक देश पर राज़ कर पाई। यही उसने अब की बार भी किया जब केंद्र सरकार ने दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों को अपने-अपने राज्यों में जाने के लिए ट्रेन की व्यवस्था करने का फैसला किया। इसके लिए टिकट के पैसे को लेकर जमकर राजनीति शुरू हो गयी, और कांग्रेस ने यहाँ झुठ के सहारे मौका पर चौका मारने की कोशिश की।

कल कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने बयान जारी करते हुए कहा, ‘श्रमिक व कामगार देश की रीढ़ की हड्डी हैं। उनकी मेहनत और कुर्बानी राष्ट्र निर्माण की नींव है। सिर्फ चार घंटे के नोटिस पर लॉकडाऊन करने के कारण लाखों श्रमिक व कामगार घर वापस लौटने से वंचित हो गए। 1947 के बंटवारे के बाद देश ने पहली बार यह दिल दहलाने वाला मंजर देखा कि हजारों श्रमिक व कामगार सैकड़ों किलोमीटर पैदल चल घर वापसी के लिए मजबूर हो गए।’

यहाँ सबसे बड़ा सवाल तब उठा कि जब रेलवे ने यह पहले हो साफ कर दिया है कि टिकट के पैसे का 85 फीसदी खर्च रेलवे उठाएगी और 15 फीसदी खर्च राज्य सरकार को उठाना होगा, तो कांग्रेस किस टिकट के पैसे देने की बात कर रही है? हालांकि, पाखंडता की हद तो तब हो गयी जब यह सामने आया कि बाकी राज्य सरकारें तो अपने-अपने हिस्से का खर्चा दे रही हैं, लेकिन सिर्फ केरल, राजस्थान और महाराष्ट्र की राज्य सरकारें ही मजदूरों को टिकट का पैसा देने पर मजबूर कर रही हैं। स्पष्ट है यहाँ कांग्रेस ने स्वयं मजदूरों से अपने शासित राज्यों में किराया वसूला और उल्टा रेलवे और केंद्र सरकार पर इसका दोष मढ़ कर मोदी सरकार के प्रति घृणा फैला रही है

रेलवे ने यह पहले ही साफ कर दिया था कि वह भीड़ से बचने के लिए खुले तौर पर टिकट नहीं बांटेगी बल्कि टिकटों को राज्य सरकार के जरिये मजदूरों को दिया जाएगा, रेलवे ने 2 मई को ही नोटिस जारी कर कह दिया था कि राज्य सरकारों को अपने हिस्से का 15 प्रतिशत भाड़ा देकर इन टिकटों को मज़दरों को सौंपना होगा।

भारतीय रेलवे कुल लागत का 85% का भुगतान करता है, जो कुल मिलाकर यानि सोशल डिस्टेन्सिंग, वापसी का किराया आदि का होता है। राज्यों को शेष 15% का भुगतान करना पड़ता है, जो इस मामले में एक बड़ी राशि नहीं है, लेकिन इससे जवाबदेही सुनिश्चित होती है। यह श्रमिक स्पेशल social distancing का पालन करते हुए यानि लगभग 60% यात्री भोजन तथा पानी की व्यवस्था, सुरक्षा आदि के साथ विशेष ट्रेन में यात्रा कर रहे हैं तथा वापसी में खाली ट्रेने लाई जा रही है। सामान्य दिनों में भी भारतीय रेल यात्रियों को यात्रा करने पर लगभग 50% सब्सिडी देती है।

भारतीय रेलवे ने इस मुश्किल समय में मजदूरों की पीड़ा समझी है,  और साथ ही उनको उनके घर तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया है। हालांकि, इसके साथ ही रेलवे ने यह भी सुनिश्चित किया है कि किसी भी मजदूर को एक भी पैसा किराया के रूप में ना देना पड़े। हालांकि, कांग्रेस यहाँ भी राजनीति करने से बाज़ नहीं आई। ऐसा देखने में आया है कि कुछ गुजरात के मजदूरों से भी गुजरात सरकार ने टिकट के पैसे वसूल किए हैं, जो कि बिलकुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए।

 

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