कैसे कश्मीर के युवाओं को कट्टरपंथियों द्वारा बरगलाया जाता है, ज़ायरा वसीम उसका जीता-जागता उदाहरण है

ज़ायरा की कहानी से कश्मीर की कहानी समझिए

जायरा वसीम

पूर्व अभिनेत्री ज़ायरा वसीम एक बार फिर से सुर्खियों में है, और इस बार भी गलत कारणों से। मोहतरमा ने हाल ही में टिड्डों के हमले को लेकर एक ट्वीट किया था, जिसके कारण ना सिर्फ उसे सोशल मीडिया पर ज़बरदस्त ट्रोलिंग का शिकार होना पड़ा, अपितु यह भी सिद्ध हुआ कि आखिर कश्मीर में कट्टरपथियों का प्रभाव कहां तक फैला हुआ है।

परन्तु वह ट्वीट क्या था?  दरअसल  टिड्डों के हमले को लेकर जायरा वसीम ने ट्वीट किया, “हमने इनपर बाढ़ भेजी, टिड्डे भेजे, मेंढक और खून भी दिया, पर ये तो मानो घमंड में पूरी तरह डूबे हुए थे”।

इस ट्वीट के जरिए जायरा ये बताने का प्रयास कर रही थी कि कैसे यह महामारी, टिड्डे का हमला सब “अल्लाह का प्रकोप” है। हालांकि, इस ट्वीट के चलते सोशल मीडिया पर आक्रोश उमड़ पड़ा, और सभी ने जायरा वसीम की जमकर आलोचना की। उदाहरण के लिए maddix B नाम के ट्विटर यूज़र ने लिखा, “धार्मिक होना अच्छी बात है, पर धर्मांध हो जाने के बहुत बुरे परिणाम होते हैं, और एक उदाहरण यह भी है”।

पिछले वर्ष जायरा वसीम ने अभिनय छोड़ने का निर्णय किया था, क्योंकि यह अल्लाह से उसके संबंध के बीच में रोड़ा बन गया था। इंस्टाग्राम पर प्रकाशित पोस्ट के अनुसार उनका वर्तमान पेशा उनके धर्म के आड़े आ रहा है, और इससे पहले की बात और बिगड़ जाये, उन्होंने अभिनय से सन्यास लेना ही उचित समझा।

परन्तु जायरा का धर्मांध स्वभाव तब जगजाहिर हुआ, जब अगस्त 2019 में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के विशेषाधिकार संबंधी प्रावधानों को निरस्त किया गया। जायरा वसीम ने भी इस निर्णय की निंदा करते हुये यह संकेत दिया कि यह एक तूफान के समान है, जो जल्द ही गुज़र जाएगा।

परन्तु ठहरिए, यदि आपको लगता है कि जायरा वसीम अभी जाकर इतनी कट्टरपंथी बनी है, तो क्षमा करें, पर आप गलत हैं। इसकी नींव 2017 में ही पड़ गई थी, जब तत्कालीन मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती से मिलने के लिए जायरा को कट्टरपंथियों ने आड़े हाथ लिया था। इतना ही नहीं, मोहतरमा को जान से मारने की धमकी भी मिली थी, परन्तु ना सिर्फ जायरा ने कट्टरपंथियों से माफी मांगी, अपितु उसके समर्थन में सामने आए विजय गोयल को भी खरी खोटी सुनाई। इनके पाकिस्तान प्रेमी परिवार के बारे में जितना कम बोलें उतना ही अच्छा।

सच बताएं तो जायरा वसीम इस बात का परिचायक है कि कश्मीर घाटी में कट्टरपंथ ने किस हद तक अपनी पैठ बनाई है। यहां भारत और उसकी संस्कृति को गाली देना फैशन है। अब हर कोई तो लेफ्टिनेंट उमर फैय्याज़ तो है नहीं, जो विपरीत परिस्थितियों में भी वतन से गद्दारी ना करे, पर जायरा वसीम उस विकृत सोच का हिस्सा है, जो कश्मीर को पूरी तरह से इस्लाम के आधीन देखना चाहता है।

जिस तरह से मोहतरमा ने कश्मीर की आड़ में कट्टरपंथ को बढ़ावा दिया है, उससे एक बात सत्य सिद्ध होती है, सांप को कितना भी दूध पिला दो, वह काटना नहीं छोड़ेगा, और जिसे कट्टरपंथ की लत लग गई, वो इंसानियत से उसी दिन मुंह मोड़ लेगा।

 

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