ताइवान ने दिया चीन की गुंडई को फिर से मुंहतोड़ जवाब

लगता है चीन पर जल्द ही एक कहावत स्थाई रूप से चरितार्थ होने वाली है, “लातों के भूत बातों से नहीं मानते”। ताइवान से लगभग हर मोर्चे पर मात खाने के बाद अब चीन अपनी सैन्य शक्ति के दम पर ताइवान को डराना चाहता है। इसी परिप्रेक्ष्य में अभी हाल ही में चीन ने ताइवान में फाइटर जेट्स के जरिए घुसपैठ करने का प्रयास किया, परन्तु ताइवान ने अपने जोशीले अंदाज़ में ना सिर्फ चीन को मुंहतोड़ जवाब दिया, बल्कि चीन के फाइटर जेट्स को अपने क्षेत्र से भगाकर ही दम लिया।

अभी हाल ही में प्रेस वार्ता के दौरान ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट बताया कि कैसे चीन के सुखोई 30 फाइटर जेट्स को ताइवान के क्षेत्र में दखल देने के लिए ताइवानी फाइटर जेट्स ने चेतावनी सहित खदेड़ दिया।

परन्तु बात यहीं तक सीमित नहीं थी। बुधवार को ताइवान के तट रक्षकों ने चीनी जहाज़ों को अवैध रूप से सीमा में प्रवेश करते हुए पकड़ा। अप्रैल में भी ताइवान के कोस्ट गार्ड के सिपाहियों ने 40 ऐसे अवैध ड्रेजिंग जहाज़ पकड़े थे, जो दक्षिण चाइना सागर के उत्तरी छोर से ताइवान में प्रवेश करना चाह रहे थे।

चीन के द्वारा अवैध रूप से मछली पकड़ना और रेत के अवैध खनन के कारण ताइवान से अक्सर उसकी तनातनी की खबरें सामने आती रही हैं।  न्यूज़ रिपोर्ट्स की माने तो बीजिंग प्रतिदिन 1 लाख टन के करीब रेत का अवैध खनन करता है।

इसमें कोई दो राय नहीं है कि शी जिनपिंग की सत्ता को ताइवान की धाकड़ राष्ट्रध्यक्ष टसाई इंगवेन से काफी चिढ़ मचती है। पिछले कुछ महीनों में चीन ने वुहान वायरस की आड़ में ताइवान को चारों ओर से घेरने का प्रयास किया है। और उसकी क्षेत्रीय अखंडता को रोज़ चुनौती देता रहता है

दरअसलज़ चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है, पर ताइवान की ऐसी सोच नहीं है, खासकर ताइवान की राष्ट्रध्यक्ष त्साईं इंगवेन तो ऐसा बिल्कुल नहीं सोचती। इससे चिढ़कर चीन अब ज़बरदस्ती Taiwan पर कब्ज़ा जमाना चाहती है।

पर ताइवान ने भी कच्ची गोलियां नहीं खेली हैं। अपने मास्क डिप्लोमेसी और अपने मुखर स्वभाव से विश्व का दिल जीतने वाली त्साईं इंगवेन ने चीन के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है, और उसे ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, ब्राज़ील, यहां तक कि भारत का भी समर्थन प्राप्त है। स्वयं यूरोपीय संघ को Taiwan के योगदान को स्वीकारते हुए उसकी तारीफ में कुछ ट्वीट करने पड़े थे –

परन्तु बात यहीं पर नहीं रुकती। जैसा कि TFI ने पहले बताया था, चीन के केंद्रीय सैन्य कमीशन के सदस्य ली झोचेंग का मानना है कि चीन कोई विकल्प ना बचने पर ताइवान पर धावा बोल सकता है। शायद चीन ने पूर्वी लद्दाख के अपने अनुभव पर ध्यान नहीं दिया है। इससे स्पष्ट पता चलता है कि Taiwan ने चीन को कितना ज़ोरदार झटका दिया है।

इतना ही नहीं, अब ताइवान ने तकनीकी क्षेत्र में भी चीन को चुनौती दी है। कई न्यूज़ रिपोर्ट्स के अनुसार, ताइवान सरकार लगभग 10 बिलियन डॉलर का निवेश करेगी, ताकि वैश्विक चिप निर्माता अपनी रिसर्च एंड डेवलपमेंट फैसिलिटी को Taiwan में स्थापित कर सकें। इसका प्रमुख उद्देश्य ना केवल चीन को तकनीक के क्षेत्र में चुनौती देना है, अपितु दुनिया के सामने एक बेहतर विकल्प देना है। इसके अलावा ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कम्पनी ने स्पष्ट किया था कि वे अब चीनी टेक कम्पनी हुआवेई से कोई भी नया ऑर्डर नहीं लेगी।

जिस तरह से भारत के बाद अब ताइवान ने चीन को खदेड़ा है, उससे एक बात तो स्पष्ट है कि ताइवान को उसकी बहादुरी के लिए जितना सम्मान दिया जाए, उतना कम। चीन जैसे गुंडे के सामने डटकर खड़े रहना सबके बस की बात नहीं, और ताइवान को इस मामले में सम्पूर्ण दुनिया के लिए एक आदर्श बनना चाहिए।

 

Exit mobile version