चीन के String of Pearls को तबाह करने के बाद भारत ने चीन को ही चारों तरफ से घेर लिया

भारत को घेरने आया था, चीन खुद घिर गया

String of pearls

(PC: CNN)

चीन पिछले एक दशक से लगातार अपने string of pearls के जरिये हिन्द महासागर में भारत को घेरने की कोशिश कर रहा था। String of pearls के तहत चीन ने पूर्व में हाँग-काँग से लेकर पश्चिम में जिबूती और तंजानिया में अपने कमर्शियल और सैन्य ठिकाने विकसित करने शुरू किए थे। दक्षिण एशिया में भी चीन ने श्रीलंका, पाकिस्तान और मालदीव जैसे देशों को अपने झांसे में फंसाकर यहाँ अपने रणनीतिक दृष्टि से अति-महत्वपूर्ण बन्दरगाहों और सैन्य ठिकानों को विकसित किया। पाकिस्तान का ग्वादर पोर्ट और श्रीलंका का हंबनटोटा पोर्ट इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। हालांकि, चीन जिस प्रकार string of pearls के जरिये भारत को घेरना चाह रहा था, अब भारत ने अपनी शानदार रणनीति और कूटनीति के तहत चीन को ही चारों ओर से घेर लिया है, और आने वाले सालों में यह घेराव और ज़्यादा मजबूत हो सकता है।

4 जून को भारत और ऑस्ट्रेलिया ने द्विपक्षीय वर्चुअल समिट के दौरान Mutual Logistics Support Agreement यानि MLSA पर हस्ताक्षर किए, जिसके बाद दोनों देशों को एक दूसरे के military bases इस्तेमाल करने का अधिकार मिल गया है। अब खबर आ रही है कि भारत जापान के साथ भी ऐसा ही MLSA समझौता कर सकता है। इससे पहले भारत सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, फ्रांस और अमेरिका के साथ भी इसी प्रकार Logistics Support Agreement पर साइन कर चुका है।

अब एक नज़र में देखा जाए तो भारत ने अब string of pearls के जवाब में दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, अमेरिका और सिंगापुर के सभी सैन्य ठिकानों तक अपनी पहुँच बना ली है। भारत की इस रणनीतिक चाल से अब भारत ने समुन्द्र में चीन को चारों ओर से घेर लिया है। एक बार अगर भारत जापान के साथ भी इसी तरह का LSA समझौता कर लेता है, तो भारत को पूर्व में जापान के military bases से लेकर जिबूती में अमेरिकी base और हिन्द महासागर में ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और फ्रांस के सभी सैन्य ठिकानों तक पहुँच मिल जाएगी और चीन के लिए यह बड़ी रणनीतिक शिकस्त होगी।

बता दें कि MLSA साइन होने के बाद दोनों देशों की वायुसेना और नेवी एक दूसरे देश के सैन्य ठिकानों को रसद, रिफ़्यूलिंग, रख-रखाव और सैनिकों को एक जगह से दूसरे जगह ले जाने के लिए इस्तेमाल कर सकती हैं। इससे दोनों सेनाओं को एक दूसरे के क्षेत्रों में भी पेट्रोलिंग और मॉनिटरिंग करने में आसानी हो जाती है और उनकी पहुँच बढ़ जाती है।

भारत द्वारा लगातार कई देशों के साथ LSA साइन करना दिखाता है कि भारत वैश्विक स्तर पर एक जिम्मेदार रणनीतिक साझेदार देश के तौर पर उभरता जा रहा है, और अधिक से अधिक देश भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी करना चाहते हैं। हाल ही में भारत-ऑस्ट्रेलिया ने ऑस्ट्रेलिया के कोकोस द्वीप और भारत के अंडमान एवं निकोबार द्वीपों को एक दूसरे के साथ साझा करने को लेकर भी करार किया है, जिसके बाद दक्षिण हिन्द महासागर में अगर भारत चाहे तो आसानी से अपने साथियों के साथ मिलकर 100 प्रतिशत मूवमेंट ब्लॉक कर सकता है। हिन्द महासागर से चीन समेत कई दक्षिण-पूर्व एशियाई देश अपना ट्रेड करते हैं, ऐसे में हिन्द महासागर में भारत की स्थिति बेहद मजबूत हो गयी है।

कोरोना के बाद से ही चीन का बेहद आक्रामक रवैया देखने को मिल रहा है। दक्षिण चीन सागर से लेकर हिन्द महासागर तक, चीन ने भारत और अन्य देशों के लिए बड़ी Geopolitical चुनौती खड़ी करनी में कोई कसर नहीं छोड़ी है। इससे पहले पिछले वर्ष चीन ने भारत के Exclusive Economic Zone में भी घुसपैठ करने की कोशिश की थी, जिसके बाद भारत ने उसे भगा दिया था। अब भारत चीन को उसी की भाषा में जवाब देने के लिए उसे चारों ओर से घेरने का प्लान तैयार कर चुका है। स्पष्ट है कि समुन्द्र में अब चीन की गुंडागर्दी को लगाम लगने वाली है।

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