गूगल इन दिनों काफी सुर्खियों में है, पर गलत कारणों से। अभी हाल ही में अमेरिका में गूगल पर 5 बिलियन डॉलर का क्लास एक्शन मुकदमा दाखिल किया गया है। Google पर यह कार्रवाई ब्राउज़रों पर प्राइवेट मोड यानि incognito mode का इस्तेमाल करने के बावजूद लाखों उपयोगकर्ताओं की प्राइवेसी को ट्रैक करने के लिए लगाया गया है।
यही नहीं, गूगल प्ले स्टोर से हाल ही में दो ऐसे भारतीय एप्स को हटाया गया है, जो सीधे सीधे चीन के खिलाफ थे। पहले टिकटॉक की रेटिंग सही करना, फिर यूट्यूब से कमेंट डिलीट करना इसके बाद रिमूव चाइना एप्प्स को गूगल प्ले स्टोर से हटाना जो अपने नाम के अनुसार चीनी एप्स को हटाने में यूज़र की सहायता करता था।
ऐसे में अब प्रश्न पूछना तो उठता है, क्या गूगल चीन के इशारों पर काम करता है? अगर वर्तमान की घटनाओं पर नज़र डालें, तो ऐसा ही प्रतीत होता है। कितनी विडंबना की बात है कि जो गूगल अमेरिका में स्थित है, और जिसका सीईओ एक भारतीय है, वह चीन के लिए वफादारी दिखा रहा है, जो उसे अपने देश में स्वच्छंद रूप से काम भी नहीं करने देता।
बता दें कि गूगल का सीईओ सुंदर पिचाई हैं, जो मूल रूप से भारत में स्थित मदुरई से संबंध रखते हैं। उन्होंने अपना स्नातक IIT खड़गपुर से पूरा किया था और आगे की पढ़ाई उन्होंने अमेरिका में पूरी की। वे 2015 में गूगल के सीईओ के तौर पर नियुक्त हुए थे।
पिछले कुछ हफ्तों से गूगल के साथ कई ऐसी घटनाएं घटी है, जिससे गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई की प्रतिबद्धता और काम करने के तरीके पर अब एक बड़ा प्रश्नचिन्ह खड़ा हो गया है। उदाहरण के लिए टेक उद्यमी पामर लक्की के ट्विटर पर शिकायतों के बाद The Verge में रिपोर्ट आई। उस रिपोर्ट के ऊपर ही ये कमेंट किए गए थे जिन्हें गूगल ने डिलीट कर दिया। दरअसल, वर्चुअल रियलिटी ग्रुप ओकुलस के एक संस्थापक लक्की, ने कुछ दिन पहले ट्वीट किया था कि, ‘YouTube ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के इंटरनेट प्रचार विभाग Wumao से संबंधित मेरे हर कमेंट को हटा दिया है‘ और कहा कि ये फ़िल्टरिंग सेंसरशिप CCP की तरह ही है।
उनके बाद कई अन्य ट्विटर यूजर ने भी उनके कमेन्ट के डिलीट होने की बात कही। हालांकि, पकड़े जाने पर YouTube ने इसे तकनीकी खराबी का बहाना दिया ,पर सफाई देने से क्या फायदा जब चिड़िया चुग गयी खेत!
गूगल चीन में प्रतिबंधित है, उसके बावजूद गूगल ना केवल चीन में निवेश करने को लालायित है, अपितु चीन की खुशामद में अपने ही आदर्शों की धज्जियां उड़ाने को भी तैयार है। विश्वास नहीं होता तो टिक टॉक का उदाहरण ही देख लीजिए।
जब टिक टॉक बनाम यूटयूब के मुद्दे पर यूटयूब रोस्टर अजय नागर उर्फ कैरीमिनाटी ने अपने विचार रखे, तो यूटयूब ने बिना किसी ठोस कारण के उसका वीडियो हटवा दिया। इसके पश्चात जब असंख्य सोशल मीडिया यूजर्स ने टिक टॉक को उसके भद्दे कॉन्टेंट के लिए गूगल प्ले स्टोर पर नकारात्मक रेटिंग दी, तो गूगल प्ले स्टोर ने लगभग 50 लाख ऐसे रेटिंग्स को डिलीट भी कर दिया।
जिस तरह से गूगल हाथ धोकर चीन विरोधी कॉन्टेंट और एप्स के पीछे पड़ा हुआ है, उसे देखकर विश्वास ही नहीं होता कि इसका मुख्य ऑफिस अमेरिका में है, और इसका सीईओ एक भारतीय है। हालाँकि, ये सवाल भी उठते हैं कि आखिर सुंदर पिचाई ये क्यों कर रहे हैं क्या उनपर चीन का दबाव है? और यदि नहीं तो चीन की वफादारी निभाने में उन्होंने भारतीय जनमानस की भावनाओं को अनदेखा किया है जो बेहद शर्मनाक है। चीन से निवेश के लिए लालायित गूगल जिस तरह से अभिव्यक्ति की आजादी को रौंद रहा है उसके लिए सुंदर पिचाई की जवाबदेही बनती ही है। यदि सुंदर पिचाई समय रहते नहीं चेते, तो उन्हें इस चीन प्रेम के लिए आगे बहुत दुष्परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।