नेपाल के PM भारत के खिलाफ भौंक ही रहे थे कि नेपाली लोगों ने सड़क पर उतरकर ओली की बखिया उधेड़ दी

भारत को छोड़ो, पहले अपनों से निपटो ओली!

नेपाल

नेपाल के वर्तमान प्रशासन के लिए फिलहाल स्थिति ठीक नहीं है। नेपाल के पीएम जितना ज़्यादा भारत के प्रति विष उगल रहे हैं , उससे स्पष्ट पता चल रहा है कि वे किस तरह से अपने देश का ध्यान अपनी विफलताओं से भटकाने की कोशिशों में लगे हैं। हालांकि, नेपाल की जनता ओली की तरह मूर्ख नहीं है। अब नेपाल की जनता ने वुहान वायरस के परिप्रेक्ष्य में ज़रूरी व्यवस्था न करने के लिए ओली प्रशासन को न केवल आड़े हाथों लिया है, अपितु पीएम ओली के विरुद्ध मोर्चा भी खोल दिया है।

नेपाली समाचार पत्र काठमांडू पोस्ट के रिपोर्ट्स के अनुसार बड़ी संख्या में युवा वर्ग पीएम ओली के प्रशासन द्वारा वुहान वायरस पर कुप्रबंधन को लेकर देश के प्रमुख नगरों में बड़ी संख्या में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उनके अनुसार पीएम ओली न तो मरीजों के लिए आवश्यक उपचार और quarantine की व्यवस्था कर पा रहे हैं, और न ही वे वित्तीय खर्चों को लेकर मुखर हैं। विरोधियों ने स्पष्ट कहा है कि उनकी लड़ाई वर्तमान प्रशासन  के कुप्रबंधन से लेकर है, और वे किसी भी राजनीतिक पार्टी से संबन्धित नहीं है। हालांकि काठमाण्डू में इनके शांतिपूर्ण प्रदर्शन का जवाब नेपाली पुलिस ने बड़ी बर्बरता से दिया, और प्रदर्शनकारियों पर वॉटर कैनन के साथ साथ लाठीचार्ज का उपयोग भी किया गया।

बता दें कि नेपाल में वुहान वायरस के मामले काफी तेज़ी से बढ़ रहे हैं। प्रारम्भ में कुछ 50 से 100 मामलों तक सीमित रहने वाले नेपाल में संक्रमण के कुल मामले अब 5000 के पार पहुँच चुके हैं। ताज़ा आंकड़ों के अनुसार अब तक 5062 लोग इस महामारी से संक्रमित हो चुके हैं और कोविड के कारण करीब 16 लोगों की जान जा चुकी है।

परंतु नेपाली प्रधानमंत्री के व्यवहार को देखते हुए ऐसा तो बिलकुल नहीं लगता कि वे इस मामले पर ज़रा भी गंभीर है। जनाब को वुहान वायरस से निपटने से ज़्यादा चिंता इस बात की है कि भारत कैसे उसके अनेक भड़काऊ भाषणों के बाद भी विचलित नहीं हुआ है। अभी हाल ही में जनाब ने कालापानी क्षेत्र पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि भारत ने हमारी भूमि के कई क्षेत्रों पर 1962 से कब्जा जमाया है, और उसे बिना किसी विलंब के इसे नेपाल को लौटा देना चाहिए।

वाह भाई, एक तो चोरी और ऊपर से सीनाज़ोरी का इससे बढ़िया उदाहरण कोई हो ही नहीं सकता। अभी हाल ही में नेपाली पुलिस ने सीमा पर अंधाधुंध फायरिंग करते हुए कई भारतीयों को घायल कर दिया और 1 की जान भी ले ली। इसके अलावा नेपाली पुलिस ने एक भारतीय नागरिक को बंदी बनाने का प्रयास भी किया, परंतु सशस्त्र सीमाबल के मोर्चा संभालते ही उन्हें उस नागरिक को वापस लौटाना पड़ा। चीन से नेपाल के वर्तमान प्रशासन की बढ़ती निकटता किसी से नहीं छुपी है, और ऐसे में यह कहना गलत भी नहीं होगा कि समय आने पर नेपाल के वर्तमान प्रधानमंत्री अपनी सत्ता के लालच में नेपाल को चीन को बेचने से ज़रा भी नहीं हिचकेंगे।

केपी शर्मा ओली चीन को प्रसन्न करने के लिए कितना उतावले हैं, इसका अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि उन्होंने न केवल वुहान वायरस को फैलाने के लिए चीन की बजाय भारत को दोषी ठहराया, बल्कि भारत को चीन से भी खतरनाक बताया। रही सही कसर तो जनाब ने हाँग-काँग के मुद्दे पर चीन के पक्ष में अपना मत रखकर पूरी कर दी।

परंतु नेपाल में युवा वर्ग द्वारा किए जा रहे विरोध प्रदर्शन ने यह सिद्ध कर दिया है कि पीएम ओली केवल चीन के चाटुकार मात्र है, जिन्हें अपने खुद के देश में कोई विशाल समर्थन हासिल नहीं है। भारत और नेपाल सांस्कृतिक रूप से काफी समान है, और एक आम नेपाली कभी नहीं चाहेगा कि भारतीयों के साथ उसके संबंध खराब हों। पर जिस तरह से केपी शर्मा ओली सिर के बल खड़े हो कर चीन की चाटुकारिता कर रहे हैं, उसके लिए उन्हें आगे काफी दुष्परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।

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