जैसे-जैसे चीन और भारत के बीच सीमा विवाद को लेकर तनाव बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे यह भली भांति समझ में आ रहा है कि चीन कहीं से भी पीछे नहीं हटने वाला है, और वो तनाव को और बढ़ाने पर बेहद उतारू है। अब कई चीनी थिंक टैंक और रक्षा विशेषज्ञ सत्ताधारी सीसीपी यानि चीनी कम्यूनिस्ट पार्टी को छोटे स्तर पर युद्ध करने के लिए उकसा रहे हैं।
सेवानिर्वृत्त वायुसेना के मेजर जनरल और सैन्य विशेषज्ञ कियाओ लिकियांग के अनुसार भले ही भारत और चीन के बीच एक पूर्णकालिक युद्ध लगभग असंभव है, फिर भी चीन को भारत के साथ एक सशस्त्र झड़प के लिए तैयार रहना चाहिए। अपने वीचैट अकाउंट पर पोस्ट लिखते हुए कियाओ ने बताया, “यदि हमें युद्ध लड़ना है, तो हमें शत्रु पर तुरंत प्रहार करना पड़ेगा, और छोटे स्तर पर ही सही, पर युद्ध लड़ना पड़ेगा, ताकि दुश्मन को ज़्यादा से ज़्यादा नुकसान हो और हमारा कद भी बढ़े।”
इसी परिप्रेक्ष्य में चीनी नौसैनिक विशेषज्ञ वांग यूनफेई ने भी भारत के तर्ज पर बॉर्डर पर तैनात पीएलए के सिपाहियों को और अधिक छूट देने को कहा। वांग के ऑर्डिनेन्स इंडस्ट्री एण्ड साइन्स टेक्नोलॉजी में प्रकाशित लेख के अनुसार, “हमें बॉर्डर क्षेत्र पर सर्विलांस को और मजबूत करना चाहिए और अगर एलएसी पर भारतीय आर्मी ने हमला किया, तो हमें भी प्रत्युत्तर में जवाब देने की पूरी स्वतंत्रता होनी चाहिए”। इसके अलावा वांग ने ये भी कहा कि चीनियों को लेजर हथियार, आँसू गैस और स्टन ग्रेनेड जैसे हथियारों का भी प्रयोग करना चाहिए, और जंग कूटनीति से अधिक महत्वपूर्ण है।
ऐसे विचारों पर ध्यान काफी आवश्यक है, विशेषकर कियाओ लियांग के दावों पर, जहां उन्हें लगता है कि भारत के साथ एक अल्पकालिक युद्ध से अमेरिका और ताइवान को सबक सिखाया जा सकेगा। यह बताता है कि आखिर किस तरह से चीन जंग पर जाने के लिए अति उत्सुक है, और क्यों वह अनेक मोर्चों पर लड़ने से बचना चाहता है। चीन आज भले ही भारत के साथ युद्ध करने पर आमादा हो, परंतु वह भूल रहा है कि इसका वास्तविक परिणाम क्या होगा।
लेकिन इन खुलासों से ये भी स्पष्ट हो चुका है कि आखिर क्यों चीन अल्पकालिक युद्ध तक ही सीमित रहना चाहता है, क्योंकि इस कागजी ड्रैगन को भी पता है कि वास्तव में युद्ध लड़ने का क्या परिणाम उसे मिलने वाला है। अगर चीन को वास्तव में भारत से पूर्णकालिक युद्ध लड़ना पड़ा, तो वो यह कतई न सोचे कि केवल भारत और चीन की लड़ाई होगी, क्योंकि ऐसे में भारत और चीन की नौसेना भी आपस में लड़ेंगी, तब जापान, यूएसए, वियतनाम जैसे देश हस्तक्षेप न करें, ऐसा हो ही नहीं सकता।
परंतु अगर चीन को ऐसा लगता है कि वह अल्पकालिक युद्ध में भारत को पटक सकता है, तो उससे बेवकूफ़ कोई नहीं हो सकता। कई रिपोर्ट्स में टीएफ़आई ने बताया कि कैसे चीन कहीं भी सैन्य क्षमता के मामले में भारत के सामने नहीं ठहरता। चीन की तुलना में भारत को कई युद्धों का अनुभव है, और पाकिस्तान के कारण भारत हर प्रकार से किसी भी झड़प के लिए तैयार है। स्वयं चीन के विशेषज्ञों ने स्वीकारा है कि पहाड़ी युद्ध में चीन भारत के सामने कहीं नहीं ठहरता। सच कहें तो चीन का भारत के विरुद्ध युद्ध जीतने की संभावना लगभग ना के बराबर है, और यदि चीन को भारत के विरुद्ध वास्तविक युद्ध लड़ना पड़ा, तो उसका नुकसान पाटते पाटते चीन को दशकों लग जाएंगे। साफ-साफ कहें तो ड्रैगन अब ऐसी स्थिति में है जहां आगे कुआं तो पीछे खाई है।