भारत की पीठ में छुरा घोंपना पड़ेगा भारी, अब चीन हर साल खोएगा 40 बिलियन डॉलर

एक गलती की सज़ा सारी उम्र भुगतेगा चीन!

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(PC: CNN)

15 जून की रात को चीन ने लद्दाख में भारत की पीठ में छुरा घोंपा था। चीन के सैनिकों ने लोहे की कील लगे डंडों के साथ भारतीय सैनिकों पर धावा बोला था, जिसमें भारत के 17 जवान वीरगति को प्राप्त हो गए थे। उस हमले के जवाब में भारत ने भी चीन के 43 सैनिकों को निपटाया था, लेकिन भारत अब शांत बैठने वाला नहीं है। भारत के PM पहले ही कह चुके हैं कि भारत चीन को जोरदार जवाब देगा। सरकार चीन पर Economic Strike करने के लिए तैयारी भी कर चुकी है। Economic Strike बालाकोट स्ट्राइक और किसी सर्जिकल स्ट्राइक से भी भयंकर होगी, क्योंकि चीन को इस स्ट्राइक का नुकसान आने वाले कई दशकों तक उठाना पड़ेगा। दरअसल, अब भारत चीन से आयात होने वाले कई सामानों पर प्रतिबंध लगाने वाला है। ऐसे में भारत के इस कदम से चीन की साँसे फूलना तय है।

Business Standard की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार बच्चों के खिलौनों से लेकर स्पोर्ट्स के सामान तक, अथवा फ़र्निचर से लेकर प्लास्टिक के अन्य सामानों तक, कुल 371 चीजों के आयात पर अधिक इम्पोर्ट ड्यूटि और कड़े नियम लागू करने वाली है। इन 371 चीजों का बड़ा हिस्सा भारत China से ही इम्पोर्ट करता है। अभी हर साल भारत इन्हें खरीदने के लिए 127 बिलियन डॉलर खर्च करता है। अगर चीन की बात करें तो भारत हर साल China से लगभग 51 बिलयन डॉलर का सामान आयात करता है। ऐसे में अगर भारत आने वाले कुछ सालों में इस आयात का बड़ा हिस्सा रोक पाने में सक्षम हो पाता है तो China को 40 से 50 बिलियन डॉलर का तगड़ा झटका लगना तय है।

चीन को नुकसान सिर्फ व्यापार में ही नहीं होने वाला है, बल्कि चीनी कंपनियों द्वारा भारत में सेवा प्रदान करने पर भी रोक लगाई जा रही है। उदाहरण के तौर पर सरकार ने सभी सरकारी टेलिकॉम कंपनियों के साथ-साथ सभी प्राइवेट कंपनियों को निर्देश देकर कहा है कि वे अपनी 4G या 5G सेवाओं को प्रदान करने के लिए किसी भी चीनी कंपनी से कोई उपकरण नहीं खरीदेंगे। इसके साथ ही सरकारी कंपनी BSNL ने मौजूदा टेंडर को रद्द कर नए टेंडर जारी करने की तैयारी कर ली है, जिसमें किसी भी चीनी कंपनी को शामिल होने की इजाजत नहीं दी जाएगी। माना जा रहा है कि इससे हुवावे और ZTE जैसी चीनी कंपनियों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। हुवावे का तो वैसे भी दुनियाभर में भारी विरोध हो रहा है। ऐसे में चीन के खिलाफ भारत सरकार के इस कदम से हुवावे की कमर टूटना तय है।

इसके साथ ही भारतीय रेलवे भी चीनी ठेकेदारों से काम छीनना शुरू कर चुकी है। वर्ष 2016 में भारतीय रेलवे ने चीन की कंपनी China Railway Signal and Communication को 400 किमी लंबे Eastern Dedicated Freight Corridor पर सिग्नल सिस्टम को इन्स्टाल करने का ठेका दिया गया था, अब रेलवे ने इस ठेके को रद्द कर दिया है।

सरकार ने इसके साथ ही China की सॉफ्टवेयर कंपनियों के खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया है। भारत सरकार से जुड़ी खूफिया एजेंसियों ने देशवासियों से चीन की 52 एप्स इस्तेमाल नहीं करने की सलाह दी है। सरकारी एजेंसियो ने कहा है कि ShareIt, Clean master, UC browser, Xender, TikTok और Zoom जैसी चीनी एप्स लोगों का डेटा आसानी से चीन पहुंचा सकती हैं, ऐसे में इन्हें ब्लॉक करने में ही फायदा है।

कोरोना के बाद सरकार पहले ही “वोकल फॉर लोकल” और “आत्मनिर्भर भारत” जैसे अभियान चला रही है। ऐसे में चीन की आक्रामकता ने भारत सरकार को खुलकर चीन का विरोध करने का अच्छा मौका प्रदान किया है। अब चीन को उसके किए की सज़ा हर साल मिलेगी। अब हर साल उसे भारत से मिलने वाले 40 बिलियन डॉलर से हाथ धोना पड़ेगा।

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